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जानिए कांग्रेस ने क्याें लगाया नए चेहरों पर दांव, अपनाया सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला

UP Election 2022 यूपी के शाहजहांपुर जिले की सियासत में हाशिये पर पहुंची कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम से उतरने की तैयारी में है। बीस साल बाद विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर पार्टी अपना खाता खोलना चाहती है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 02:21 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 02:21 PM (IST)
जानिए कांग्रेस ने क्याें लगाया नए चेहरों पर दांव, अपनाया सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला
जानिए कांग्रेस ने क्याें लगाया नए चेहरों पर दांव, अपनाया सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला

बरेली, जेएनएन। UP Election 2022 : यूपी के शाहजहांपुर जिले की सियासत में हाशिये पर पहुंची कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम से उतरने की तैयारी में है। बीस साल बाद विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर पार्टी अपना खाता खोलना चाहती है। यही कारण है कि इस बार पुराने नेताओं की दावेदारी को दरकिनार कर नए चेहरों पर दांव लगाया है। इसमें भी सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ध्यान रखा है।

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तिलहर विधानसभा को छोड़ दें तो अन्य स्थानों से टिकट पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए भी चौंकाने वाले रहे। टिकट बंटवारे के जरिए सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है। शहर से ब्राह्मण प्रत्याशी पूनम पांडेय को उतारा है तो जलालाबाद से सिख गुरमीत कौर को। तिलहर में प्रत्याशी बनाए गए रजनीश गुप्ता वैश्य समाज से हैं। जबकि ददरौल प्रत्याशी तनवीर सफदर के जरिए मुस्लिम मतदताओं को साधने की कोशिश की है। पुवायां से अनुसूचित जाति की अनुज कुमारी उम्मीदवार हैं।

2002 में मिली थी सिर्फ एक सीट

1996 तक पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा। 2002 में कांग्रेस के वीरेंद्र प्रताप सिंह मुन्ना ही तिलहर विधानसभा से चुनाव जीत सके थे। 2007 से लेकर 2017 तक पार्टी का कोई विधायक चुनाव नहीं जीत सका। 2004 में जितिन प्रसाद जरूर सांसद चुने गए, लेकिन 2009 के चुनाव से सुरक्षित हुई इस सीट पर भी पार्टी को जीत नहीं मिल सकी। 2017 में सपा से गठबंधन होने के बाद पार्टी को यहां सिर्फ एक सीट तिलहर की मिली थी। जहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को चुनाव लड़ाया गया था, लेकिन उन्हें भाजपा के रोशनलाल वर्मा के हाथों हार मिली थी। सपा भी सिर्फ एक ही सीट जीत सकी थी। गत वर्ष हुए पंचायत चुनाव में जरूर संगठन ने उपस्थिति दर्ज कराई थी।

प्रिंयका ने दिया था मदद का भराेसा

शहर विधानसभा से प्रत्याशी बनाई गईं पूनम पांडेय आशा कार्यकर्ता हैं। दो दिन पहले वह कांग्रेस में शामिल हुई थीं। शहर के नई बस्ती मुहल्ला निवासी पूनम के पति अवनीश पांडेय प्राइवेट नौकरी करते हैं। अब तक पूनम संगठन की ओर से होने वाले आंदोलनों में सक्रिय रहती थीं। नौ नवंबर को खिरनीबाग मैदान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरान संगठन के आह्वान पर वह भी धरना प्रदर्शन के लिए पहुंची थीं।

जहां पुलिस से झड़प के बाद महिला पुलिसकर्मियों ने उनकी पिटाई की थी। उन पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का मुकदमा भी दर्ज कराया गया था, लेकिन कांग्रेसियों ने पूनम के पक्ष में विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद पूनम को पुलिस ने थाने से जमानत दे दी थी। लखनऊ में कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने इस पूरे प्रकरण का संज्ञान लेते हुए उन्हें लखनऊ बुलाया था और हरसंभव मदद का भरोसा दिया था। चुनाव मैदान में उतारा जाएगा यह नहीं सोचा था।


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