तीन तलाक पर कानून न बनने से उलमा खुश, पीडि़ताएं नाराज
एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक के लिए केंद्र सरकार जो अध्यादेश लाइ थी।
जेएनएन, बरेली : एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक के लिए केंद्र सरकार जो अध्यादेश लाई थी, बुधवार को राज्यसभा स्थगित होने के साथ अब मियाद केवल छह सप्ताह तक की बची है। इसके बाद यह कानून स्वत: खत्म हो जाएगा।
बरेली कॉलेज में लॉ विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर धमेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि अब भविष्य में इस बिल को नए तरीके से दोनों सदनों से पास कराना होगा। वहीं, राज्यसभा से इस अध्यादेश को मंजूरी मिले बगैर सदन के समाप्त होने पर उलमा ने खुशी जाहिर की है। जबकि तलाक पीड़ित महिलाओं और कार्यकर्ताओं ने निराशा जताई। सोशल मीडिया पर उलमा, मदरसे व दरगाह से जुड़े लोगों ने अपनी खुशी का इजहार किया है।
संयुक्त सत्र का बचा विकल्प
डॉ. धमेंद्र सिंह बताते हैं कि सरकार के पास अभी संयुक्त सत्र बुलाने का विकल्प बचा है। संविधान के अनुच्छेद 108 के अंतर्गत सरकार दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुला सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो राजनीतिक रूप से यह बड़ा कदम होगा। क्योंकि अभी तक केवल तीन बार ही संयुक्त सत्र बुलाया गया है। तलाक का मुद्दे ने पूरे देश का ध्यान खींचा है, इसलिए यह अहम विषय है।
अब नहीं ला सकते अध्यादेश
डॉ. धमेंद्र सिंह कहते हैं कि सरकार अब दोबारा तलाक के मुद्दे पर अध्यादेश नहीं ला सकती है। जनवरी 2017 में सुप्रीमकोर्ट ने कृष्ण कुमार सिंह बनाम स्टेट ऑफ बिहार के संबंध में अपने फैसले में स्पष्ट किया है। इसमें कहा है कि एक ही मुद्दे पर दो बार अध्यादेश लाना संविधान की आत्मा के विपरीत होगा। इसलिए भविष्य में जो भी सरकार बनेगी। अगर वो तलाक पर कानून बनाना चाहती है, तो उसे सामान्य प्रक्रिया का पालन करना होगा।
बरेली से उठी थी आवाज
तीन तलाक के खिलाफ बरेली से बड़ी आवाज उठी थी। बरेली सुन्नी मुसलमानों का मरकज (केंद्र) है। आला हजरत खानदान की बहू रहीं निदा खान एक बार में तीन तलाक के विरुद्ध खड़ी हुई। वहीं, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन फरहत नकवी ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई। इन दोनों महिला कार्यकर्ताओं की आवाज देशभर की तलाक पीड़िताओं के साथ गूंजी।
तीन तलाक पर कानून जरूरी
तीन तलाक पर कानून जरूरी है। इससे महिलाओं का उत्पीड़न रुकेगा। हमने जमीनी स्तर पर काम किया है, तलाक की धमकी देकर औरतों का उत्पीड़न किया जाता। हमारी लड़ाई जारी रहेगी। एक दिन जरूर महिलाओं को न्याय मिलेगा। निदा खान, अध्यक्ष आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी
राजनीतिक नजरिये से न देखे कानून को
हमने महिलाओं के हक की जो आवाज उठाई थी, आगे भी संघर्ष जारी रहेगा। मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा के लिए तलाक पर कानून बनना बेहद जरूरी है। हमने मांग की थी कि इसे राजनीतिक नजरिये से न देखकर महिलाओं की सुरक्षा के रूप में देखा जाए। -फरहत नकवी, अध्यक्ष मेरा हक फाउंडेशन
कानून से मुस्लिम मर्दो का उत्पीड़न होता
तीन तलाक कानून से मुस्लिम मर्दो का उत्पीड़न होता। हमने कांग्रेस से इस पर समर्थन न करने की मांग की थी, जो पूरी हुई है। उम्मीद है कि सरकारें शरीयत के मसले शरीयत के दायरे में ही सुलझाएंगी। मौलाना शहाबुद्दीन, महासचिव तंजीम उलमा-ए-इस्लाम