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कांवड़-ताजिये में फंसकर बर्बाद हुए उमरिया-खजुरिया

सावन निकल गया और मुहर्रम भी। रह गई तो टीस और बर्बादी के निशां।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 01:42 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 02:05 AM (IST)
कांवड़-ताजिये में फंसकर बर्बाद हुए उमरिया-खजुरिया
कांवड़-ताजिये में फंसकर बर्बाद हुए उमरिया-खजुरिया

जागरण संवाददाता, बरेली: सावन निकल गया और मुहर्रम भी। रह गई तो टीस और बर्बादी के निशां। कड़ी मशक्कत के बाद जिन ग्रामीणों को दो जून की रोजी रोटी नसीब होती थी, सांप्रदायिकता के नाम पर लड़ने का हश्र अब भुगत रहे हैं। घरों में चूल्हे ठंडे पड़े हैं और राजनीतिक पार्टियां सियासी रोटियां सेक रही हैं। इन्हीं सियासी लोगों के बहकावे में आकर हाथ में पत्थर उठा लिए और नतीजा जेल की चहारदीवारी के रूप में सामने आ रहा है। महज एक महीने के भीतर उमरिया और खजुरिया के एक हजार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है। समझने के लिए काफी है कि गांव का हाल क्या होगा।

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सावन में नई परंपरा का हवाला देकर उमरिया के लोगों ने कांवड़ यात्रा का विरोध किया। नफरत में उमरिया के लोग कुछ इस कदर अंधे हुए कि हाथों में हथियार उठा लिए। खून-खराबे पर उतारू हो गए थे। कांवड़ यात्रा तो नहीं निकली, अलबत्ता बिथरी थाने में उमरिया के 250 लोगों के खिलाफ मुकदमा जरूर लिख गया। इसमें प्रधान जलालुद्दीन, पूर्व प्रधान रिहानुद्दीन, बीडीसी शराफत अली व गांव के तमाम लोग शामिल हैं। इसके अलावा कैंट थाने में करीब 500 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। मुकदमा दर्ज करने के बावजूद पुलिस ने छूट दी। गिरफ्तारी नहीं की। तब भी लोगों की समझ में नहीं आया। मुहर्रम वाले दिन खजुरिया के ग्रामीणों ने रास्ता बंद कर दिया और पुलिस से टकरा गए। लिहाजा पुलिस ने 16 लोगों को पकड़कर जेल भेज दिया। कई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। उमरिया के लोग भी कम नहीं थे। रात में खजुरिया गांव पर धावा बोलने चले। रास्ते में आड़े आई पुलिस पर हमला कर दिया। करीब सात सौ लोग मुकदमे की चपेट में आ गए। इनमें सवा सौ लोग तो नामजद हैं। अब जब गिरफ्तारी शुरू हुई तो हड़कंप मचा है। उमरिया के 41 और खजुरिया के 16 लोग जेल में हैं। जबकि सैकड़ों की गिरफ्तारियां होनी बाकी हैं। पुलिस का साफ कहना है कि नामजद आरोपितों के खिलाफ उनके पास पर्याप्त सुबूत हैं। लिहाजा वो जेल जाएंगे। अब लोग दहशत में हैं। गिरफ्तारी के डर से पुरुष गांव छोड़कर भाग चुके हैं। घरों में महिलाएं व बच्चे परेशान हैं। दोनों गांवों के लोगों को अब समझ आ रहा है कि अगर तब नहीं लड़े होते तो आराम से अपने घरों में सो रहे होते।

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पिछले 30 साल में हमने कभी ऐसा माहौल नहीं देखा जो पिछले एक महीने में देखने को मिला। दोनों गांव के लोग मिलजुलकर रहते थे। अब दोनों गांव के लोग परेशान हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करें।

- मुहम्मद शफीक, उमरिया

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हमारे घर के दो लोगों को पुलिस ने जेल भेज दिया। सालों से यहां रह रहे हैं। कभी ऐसा नहीं हुआ। आदमी जो कमाकर लाते थे उसी से चूल्हा जलता था। अब घर में रोटी खाने तक के लाले हैं।

-मुन्नी, खजुरिया ब्रह्मनान


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