मुस्लिम सियासत: भाजपा की एक और पारी से सुन्नियों के बड़े मरकज से सुनाई दे रहीं दो तरह की आवाजें
भाजपा की प्रचंड जीत के बाद नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की प्रतिबद्धता ने मुसलमानों में भरोसा बढ़ाया है। इसलिए अब वे भाजपा पर नजरें लगाए हैं।
बरेली, जेएनएन। देश की राजनीति में धुव्रीकरण और कथित सेक्युलर दलों के वोट बैंक की सियासी पहचान से मुसलमान उकताते नजर आने लगे हैं। भाजपा की प्रचंड जीत के बाद एनडीए दल के नेता नरेंद्र मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' की प्रतिबद्धता ने मुसलमानों में भरोसा बढ़ाया है। इसलिए अब वे भाजपा पर नजरें लगाए हैं। इस उम्मीद के साथ कि अगर भाजपा विश्वास कायम रखने पर खरी उतरी तो मुस्लिमों नजरिया और रवैया दोनों बदलेगा।
भाजपा की प्रचंड जीत के बाद सत्ता पर काबिज होने की तैयारी के बीच सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े मरकज (केंद्र) दरगाह आला हजरत से दो तरह की आवाजें सुनाई दे रही हैं। सत्ता के साथ रहने का हिमायती वर्ग भाजपा से जुडऩे को बेताब है। दूसरा आम मुसलमानों का बड़ा वर्ग इंतजार का तलबगार है। वह इस इंतजार में है कि भाजपा की तरफ से विश्वास के दावे पर कोई ठोस कदम उठे। 30 मई को प्रधानमंत्री की शपथ लेने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा में लाने का क्या कार्यक्रम पेश करती है? इसके बाद ही मुसलमानों में भरोसा पैदा होगा।
वोट बैंक टूटने के क्या होंगे मायने
अब तक के चुनावों में मुसलमान वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल होते रहे हैं। कथित सेक्युलर दलों के भाजपा का खौफ दिखाकर थोक में मुसलमानों का वोट पाया है। लोकसभा चुनाव में उप्र के नतीजों ने मुस्लिम नौजवान पीढ़ी में सियासी समझ बढ़ाई है। गठबंधन में शामिल सपा-बसपा के अलावा कांग्रेस, इन्हीं दलों के झोली में मुस्लिम वोट गया। इस चुनाव में भी ऐसा ही हुआ। गली-चौराहों के साथ यह चर्चा सोशल मीडिया पर इसे लेकर घमासान मचा है। फेसबुक-वाट्सएप पर मुस्लिम युवक अनगिनत पोस्ट-कमेंट डाल रहे हैैं। एएमयू के छात्र रहे अहमद मियां बताते हैं कि मुसलमानों को राजनीति से अछूत का दाग मिटाना है तो उसे कथित सेक्युलर दलों के एजेंडे से बाहर आना होगा। देश की राजनीतिक व्यवस्था में वह किसी पार्टी के वोट बैंक के रूप में कब तक इस्तेमाल होंगे। पहली बार समाज के बीच यह चर्चा छिड़ी है। उम्मीद है कि भाजपा का रुख अच्छा होगा और मुसलमान उससे जुड़ेंगे। दूसरी तरफ इस बहसबाजी के बीच आला हजरत खानदान के लोग चुप्पी साधे हैैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
यादव बिरादरी सपा से छिटक चुकी है। चुनावी रिजल्ट ने यह साफ कर दिया। मुसलमान नतीजों को समझें और भाजपा से जुड़ें। -शाहिद खान
प्रदेश में जिन सीटों पर गठबंधन जीता है, उसकी जीत में पहली भूमिका मुसलमानों की है। जहां हार हुई, वहां साफ पता लगता है कि गठबंधन में जुड़े दल अपना कोर वोट बैंक नहीं पा सके। इसलिए मुसलमानों को इनकी चिंता छोड़ अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करनी चाहिए। -मुहम्मद नबी
मौलाना बोले- मोदी के बयान से मुस्लिमों में बढ़ा भरोसा
तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के सचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से मुस्लिम समाज में भरोसा बढ़ा है। यकीनन अगर भाजपा सबके विश्वास पर खरा उतरी तो मुसलमान भाजपा से जुड़ेंगे। ऐसा हुआ तो देश की स्वस्थ राजनीति के लिए बेहतर होगा।
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