झोलाछाप के चक्कर में चली गईं दो और जान Bareilly News
कई मौतें होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग न तो इलाज के पर्याप्त इंतजाम कर सका और न गंदगी दूर हो पा रही है।
जेएनएन, बरेली : जिले के दर्जनों गांव इस बार भी बुखार से कराह रहे हैं। कई मौतें होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग न तो इलाज के पर्याप्त इंतजाम कर सका और न गंदगी दूर करने के। नतीजतन, ग्रामीण झोलाछाप के चक्कर में आकर जान गवां रहे है । रविवार को भी दो लोगों की मौत हो गई, जिनका झोलाछाप इलाज कर रहे थे। तीसरे युवक का तबीयत ऐसी बिगड़ी कि परिजन दिल्ली लेकर जा रहे थे। रास्ते में उसने दम तोड़ दिया।बच्ची को लाए अस्पताल, 15 मिनट में मौत
भमोरा के गांव दलीपुर निवासी हरीशचंद्र की 11 वर्षीय बेटी गुड़िया को पिछले करीब दो हफ्तों से बुखार आ रहा था। घरवालों ने लापरवाही बरती और गांव के ही झोलाछाप से इलाज कराते रहे। उसकी दवा से बच्ची की हालत में सुधार नहीं हुआ, बल्कि उसकी हालत बिगड़ती चली गई। रविवार सुबह हालत काफी खराब होने पर परिवार ने 108 पर फोन कर एंबुलेंस को बुलाया। एंबुलेंस उन्हें भमोरा सीएचसी पर ले गई। मरीज की गंभीर हालत देख उसे तुरंत जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। दोपहर करीब डेढ़ बजे परिवार वाले बच्ची को लेकर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे। इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराने के कुछ ही देर बाद बच्ची ने दम तोड़ दिया। इस पर परिवार वालों में कोहराम मच गया।
तंगी के कारण नहीं करा पाए इलाज
बच्ची के पिता हरीश चंद्र ने बताया कि शुरूआत में कुछ दिनों तक पड़ोस के ही एक क्लीनिक से दवा ली। तंगी सेप्राइवेट अस्पताल में भर्ती नहीं करा पाए। बच्ची की हालत बिगड़ी तो सीएचएसी भमोरा ले गए, वहां भी पर्याप्त संसाधन नहीं थे। तब डॉक्टरों ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया। तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
दो दिन किया इलाज, बरेली में मौत
बिशारतगंज प्रतिनिधि के अनुसार, ग्राम बेहटा बुजुर्ग के नरपत सागर के पुत्र विकास (18) को चार दिन से बुखार आ रहा था। दो दिन तक उनके परिजन झोलाछाप से इलाज करते रहे। हालत बिगड़ने पर वे उन्हें बरेली के निजी अस्पताल में ले गए, जहा रविवार सुबह उनकी मौत हो गई। गत वर्ष भी इस गांव में कई दर्जन लोग बुखार की चपेट में आ गए थे। इस वर्ष भी अब तक आठ लोगों की बुखार से मौत हो चुकी है। दर्जनों लोग बीमार हैं। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभी तक रोकथाम की दिशा में कदम नहीं उठाया गया है। वहीं, गांव में गंदगी भी कम नहीं है। संक्रामक रोग फैलने के पीछे यह भी एक वजह मानी जा रही है।
पेड़ के नीचे कर रहे लोगो का इलाज
बेहटा बुजुर्ग गांव में लगभग हर घर में मरीज हैं। झोलाछाप उनका इलाज कर रहे। कभी पेड़ के नीचे तो कभी दुकान के बाहर बेंच पर लिटाकर उन्हें बोतलें चढ़ाई जा रहीं। इन सबके बीच गांव में पहले ही आठ लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले साल भी इस गांव में बुखार से दर्जनों मौतें हुईं थीं।
तीन दिन से बुखार, दिल्ली जाते समय मौत
फतेहगंज पश्चिमी प्रतिनिधि के अनुसार, कस्बे के मुहल्ला खेड़ा निवासी इब्राहिम (48) को तीन दिन पहले बुखार आया था। शनिवार को जब उनकी हालत बिगड़ी तो परिजन बरेली के एक निजी हॉस्पिटल में लेकर पहुंचे। उन्हें भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने इब्राहिम की जांच कराई तो प्लेटलेट्स कम आईं, जिसपर उन्होंने इलाज किया तो हालत सुधरने की जगह और बिगड़ गई। इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उन्हें दिल्ली ले जाने की सलाह दी। शनिवार को परिजन उनको दिल्ली लेकर जा रहे थे कि रास्ते में उनकी मौत हो गई। एक सप्ताह पूर्व मुहल्ला साहूकारा निवासी जगदीश प्रसाद गंगवार की पत्नी विमला देवी की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई।
जिले में फैल रहा बुखार का प्रकोप
जिले में बुखार का जबरदस्त प्रकोप फैल रहा है। मझगवां, भमोरा, आंवला, रामनगर क्षेत्र में सबसे बुरा हाल है। यहां कई गांवों में बुखार के मरीज हैं। अब भी सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं जरूरतमंदों के पास तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इस कारण लोग झोलाछाप के चक्कर में पड़ रहे हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के इंतजाम भी अधूरे हैं। एक ओर झोलाछाप पर सख्त कार्रवाई नहीं हो रही वही दूसरी ओर जरूरतमंदों तक स्वास्थ्य विभाग नहीं पहुंच पा रहा है।