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Video Conferencing: चार घंटे के मंथन के बाद तैयार हुए मनरेगा के दो करोड के प्रोजेक्ट, जानिए क्या है खास

करीब चार घंटे चली वीडियो कांफ्रेसिंग में अधिकारियों के साथ किसानों की मौजूदगी रही। सुझाव और समाधान पर राज्य मुख्यालय में बैठे प्रमुख सचिव कृषि और निदेशकों ने मंथन किया।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 09:20 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 05:53 PM (IST)
Video Conferencing: चार घंटे के मंथन के बाद तैयार हुए मनरेगा के दो करोड के प्रोजेक्ट, जानिए क्या है खास
Video Conferencing: चार घंटे के मंथन के बाद तैयार हुए मनरेगा के दो करोड के प्रोजेक्ट, जानिए क्या है खास

बरेली, जेएनएन। बरेली, सहारनपुर, मेरठ और मुरादाबाद के अधिकारियों और किसानों ने धान, गेहूं, सब्जी की उन्नत फसल के साथ सभी विकासखंडों में किसान उत्पादक संगठन को मजबूत करने पर चर्चा की। करीब चार घंटे चली वीडियो कांफ्रेसिंग में अधिकारियों के साथ किसानों की मौजूदगी रही। सुझाव और समाधान पर राज्य मुख्यालय में बैठे प्रमुख सचिव कृषि और तकरीबन सभी विभागों के निदेशकों ने मंथन किया।

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शुक्रवार को कलेक्ट्रेट के एनआइसी कमरे में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए खरीब की खेती से लेकर मनरेगा के कामों पर चर्चा हुई। कमिश्नर रणवीर प्रसाद, डीएम नितीश कुमार, ज्वाइंट डायरेक्टर कृषि जितेंद्र तोमर, पशुपालन विभाग, उद्यान विभाग, नलकूप विभाग, सिंचाई विभाग, मत्स्य विभाग समेत कई विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने बताया कि बरेली मंडल में धान बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। दलहन के बीच एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध कराने को कहा गया है। खाद की कमी भी नहीं है।

पीएम किसान सम्मान निधि का फायदा सौ फीसद दिया जाए। पात्र किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना से बैंकों के सहयोग से र्जोड़ने के लिए कहा गया। कृषक उत्पादक संगठन पर अधिकारियों ने डायरेक्शन दिया कि हर विकासखंड में एक कृषक उत्पादक संगठन अवश्य होना चाहिए। एफपीओ उत्पात विशेष के होने चाहिए।

मनरेगा को लेकर प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिए जाने के बिंदु पर अधिकारियों ने बताया कि दो करोड़ में प्रोजेक्ट मनरेगा तैयार किए जा चुके हैं। इन पर दो दिन स्वीकृति और इसी हफ्ते में काम शुरू होंगे। पशु पालन विभाग को पशु शेड बनाने के लिए कहा गया।

उद्यान विभाग को सब्जियों के बीजों के व्यवस्था के लिए कहा गया। आलू का बीज स्थानीय स्तर पर किसानों को उलब्ध कराया जाए। बदायूं में मक्का के क्रय केंद्र की व्यवस्था होनी चाहिए। फसल अवशेष प्रबंधन के तहत पराली न जलाने के प्रबंधन के दिशा निर्देश दिए गए हैं।


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