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Exclusive : सिस्टम का सच... खाट पर कराह रहा 'आयुष्मान भव'

किडनी, फेफड़े और लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे सोमपाल बेघर है। तीन बार कागज जमा करने के बावजूद योजना का कार्ड नहीं बन सका।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 01:27 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 01:27 PM (IST)
Exclusive : सिस्टम का सच... खाट पर कराह रहा 'आयुष्मान भव'
Exclusive : सिस्टम का सच... खाट पर कराह रहा 'आयुष्मान भव'

शाहजहांपुर [कुनेंद्र पाल]। एक आयुष्मान योजना क्या लागू हुई। हजारों, लाखों को लाभ के आंकड़े सरकारी कागजों पर उतर गए। जबकि हकीकत सिंधौली के मिश्रीपुर गांव की एक खाट पर कराह रही है। किडनी, फेफड़े और लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे सोमपाल बेघर है। इलाज के लिए चाट का ठेला तक बेचना पड़ा, फिर भी बेबसी अफसरों को नहीं दिखी। तीन बार कागज जमा करने के बावजूद योजना का कार्ड नहीं बन सका।

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एक साल से है खाट पर, बच्चे रहते हैं भूखे

40 वर्षीय सोमपाल पत्नी और तीन बच्चों के साथ गांव में झोपड़ी नुमा घर में रहता है। दो साल पहले तक गांव में ही चाट का ठेला कर कुछ कमाई कर लेता था। फिर उसे किडनी, फेफड़े और लीवर की बीमारी ने घेर लिया। धीरे-धीरे स्थिति इस कदर हो गई कि चलना-फिरना तक मुहाल हो गया। इलाज के लिए आखिर एक दिन चाट का ठेला भी बेचना पड़ा। पत्नी सोमवती और तीनों बच्चों को अक्सर दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं हो पा रहा।

ब्लॉक, स्वास्थ्य विभाग किसी को न दिखी स्थिति

बीमारी ने रोजगार छीना तो सिस्टम ने निवाला ही छीन लिया। उसके नाम का अंत्योदय कार्ड विभाग ने किसी अन्य के नाम जारी कर दिया। प्रधान आशा देवी ने कई बार ब्लॉक और स्वास्थ्य विभाग में सोमपाल का आयुष्मान योजना कार्ड बनवाने के प्रयास किए। बेघर होने, आर्थिक स्थिति के कागज भी दिए। फिर भी कार्ड न मिल सका।

मदद के भरोसे निवाला

भुखमरी की कगार पर पहुंचने पर क्षेत्र के समाजसेवी राम नरेश यादव, प्रधान आशा देवी और कोटेदार पिंकी देवी मदद को आगे आए। आपस में मिलकर इस परिवार की मदद कर रहे, तब किसी तरह बच्चों को रोटी मिल पाती है। 


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