निदा खान ने कहा- हलाला को पाखंडी मौलवियों ने बनाया बिजनेस
शरीयत में तब्दीली की मांग करते हुए निदा कहती हैं, शरीयत में जो हमारे हूकूक हैं, वो दरअसल हमें मिले ही नहीं। इन उलेमाओं ने शरीया को अपनी जागीर बना लिया है।
बरेली (जेएनएन)। तीन तलाक पीडि़ता निदा खान ने फतवा तथा मौलवियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। निदा खान ने कहा कि कुछ पाखंड़ी मौलवियों ने इस्लाम को मजाक बनाकर रख दिया है। इसके साथ ही हलाला तो इनका बिजनेस बन गया है।
निदा खान हलाला पीडि़ताओं को इंसाफ दिलाने के लिए काफी काम कर रही हैं। हाल ही में उनके प्रयास से बरेली में हलाला के मामले में दुष्कर्म का भी एक मुकदमा दर्ज हुआ है। यहां के दरगाह आला हजरत खानदान की बहू निदा कहती हैं कि हलाला को इन मौलवियों ने बिजनेस बना दिया है। देशभर में तकरीबन दो लाख मुस्लिम महिलाएं हलाला की शिकार हैं। मैं इस लड़ाई को दूर तक ले जाऊंगी। इन मौलवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इन मौलवियों में डर बैठाना जरूरी है। इसके लिए जरूरत है कि शरई अदालतों में औरतों को भी काजी बनाने की व्यवस्था की जाए। आपको बता दूं कि जिन लोगों को अभी तक मेरे खिलाफ जारी किए गए इस फतवे के बारे में पता नहीं हैं, उन्हें घूम घूमकर इसके बारे में बताया जा रहा है। हमारे घर जो काजी आते थे, उन्होंने आना छोड़ दिया है।
तीन तलाक पीडि़ता निदा खान ने कहा कि कुछ पाखंडी मौलवियों ने इस्लाम का मजाक बनाकर रख दिया है। उन्होंने कहा कि आपको यकीन नहीं होगा बरेली में हालत ऐसी हैं कि इन्होंने बरेली को तालिबान बना दिया है। एक अजीब सा डर है कि किसी भी समय एक उकसाई भीड़ आकर कुछ कर देगी। तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ डटकर खड़ी निदा खान के खिलाफ मौलवियों ने फतवा जारी कर उन्हें इस्लाम से बेदखल कर दिया और हिंदुस्तान छोडऩे का तालिबानी फरमान सुनाया है।
निदा ने इन फतवों के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की बात कही थी लेकिन किन्हीं कारणों से वह अभी तक याचिका दायर नहीं कर पाई हैं। वह कहती हैं हां, कुछ कारणों से मैं अभी याचिका दायर नहीं कर पाई हूं लेकिन जल्द ही अदालत जाऊंगी। निदा ने कहा कि हम आजाद मुल्क में रह रहे हैं, पाखंडी मौलवी कौन हैं मुझे इस्लाम से बेदखल करने और मुल्क छोडऩे का फरमान जारी करने वाले। इस्लाम में महिलाओं को जो हक दिए गए हैं, असल में हमें उनसे महरूम रखा गया है।
शरियत में तब्दीली की मांग करते हुए निदा कहती हैं, शरियत में जो हमारे हकूक हैं,वो दरअसल हमें मिले ही नहीं। इन उलेमाओं ने शरिया को अपनी जागीर बना लिया है। महिलाओं से बदला लेने के लिए फतवे जारी किए जा रहे हैं। इन्हें मुस्लिम महिलाओं का शिक्षित होना, उनका काम करना, यहां तक कि गूगल इस्तेमाल करना नागवारा है। दरअसल, यह लोग मुस्लिम महिलाओं को सशक्त होते देखना ही नहीं चाहते। मैं अपने ट्रस्ट के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं की मदद कर रही हूं, उन्हें अधिकारों को लेकर जागरूक बना रही हूं। यही बात इनके गले नहीं उतर रही।
इस्लाम से खारिज होने के मामले पर आज फैसला
निदा खान को इस्लाम से खारिज करने के फतवा पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग फैसला करेगा। बरेली से जांच पूर कर लौटी दो सदस्यीय जांच समिति अपनी रिपोर्ट के साथ स्थिति का ब्योरा रखेगी। जिस पर आयोग फाइनल मुहर लगाएगा। आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान को इस्लाम से खारिज के फतवे पर आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया था।
आयोग की सदस्य रूमाना सिद्दीकी और कुंवर इकबाल हैदर को बरेली भेजकर जांच कराई। समिति ने दोनों पक्षों को सुना, लिखित बयान दर्ज किए। फतवे से जुड़े साक्ष्य जुटाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस की वीडियो क्लिप ली। बिंदुओं की पड़ताल और अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है। कल भी आयोग ने इस मामले में कुछ और पुख्ता सबूत जुटाए हैं। आयोग इस पूरे मामले पर बेहद सख्त रुख अपनाए। अध्यक्ष से लेकर सदस्य तक फतवे पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। जांच समिति के सदस्य कुंवर इकबाल हैदर ने बताया कि आज आयोग की बैठक प्रस्तावित है। आयोग ने निदा खान की सुरक्षा बढ़ाने के लिए एसएसपी से एक और गनर देने को कहा था। मगर कल तक निदा को दूसरा गनर नहीं मिल सका।