टॉपर्स बोले बदलाव के लिए बदलनी होगी सोच
समाज में शिक्षा का अर्थ केवल अंक और जॉब पाने तक सीमित हो चुका है
जागरण संवाददाता, बरेली : समाज में शिक्षा का अर्थ केवल अंक और जॉब पाने तक सीमित हो चुका है। इस नजरिये को बदलने की जरूरत है। बच्चे जिस क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं, उन्हें उसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए। माहौल मिले। निश्चित तौर पर वे सफलता हासिल करेंगे। मंगलवार को रुहेलखंड विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में राज्यपाल से मेडल और डिग्री पाने के बाद टॉपर्स ने यह नजरिया बयां किया है।
एमए समाजशास्त्र के टॉपर अभिषेक कहते हैं कि समाज में दूरी बढ़ रही है। इसमें सोशल मीडिया का बढ़ा रोल है। जाति, धर्म के आधार पर दुष्प्रचार थमे। युवाओं के रोजगार, कानून व्यवस्था और सामाजिक सद्भाव पर बात हो। इसी में समाज-देश का भला है। एमए मनोविज्ञान की टॉपर महक का मानना है कि समाज में ये जो फासला बढ़ रहा है, उसकी वजह अशिक्षा और बेरोजगारी है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को अच्छा माहौल नहीं मिल पाता। इसलिए वे तनाव में आ जाते हैं। रिश्तों में कड़वाहट बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी। राजनीति शास्त्र की टॉपर सुरभि मिश्रा का मानना है कि राजनीति नागरिकों को बेहतर सेवाएं देनी की हो। रोजगार, सुरक्षा, सम्मान की बात होनी चाहिए। मगर अमूमन सभी राजनीतिक दल जनता की बुनियादी जरूरतों के बजाय आरोप-प्रत्यारोप पर अटके रहते हैं। इसका नुकसान समाज को होता है। सामाजिक में जो सुधार, विकास होना चाहिए, वह नहीं हो पाता।
मेडल मिल गया जॉब की टेंशन
रुविवि में मेडल पाने वाले छात्रों की अगली तलाश अब जॉब है। समाज शास्त्र के छात्र अभिषेक कहते हैं कि युवाओं के सामने सबसे बड़ा संकट रोजगार का है। शासन को रोजगार जोर देना चाहिए।