World tuberculosis day : टीबी का दर्द मिटाने के लिए रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने तैयार किया डिजिटल प्लेटफार्म, जानिये कैसे टीबी के रोगियों की कर रहे मदद
World tuberculosis day अक्सर टीबी मरीजों के केस बिगड़ने के पीछे उनके कोर्स लगातार न चलना ही होता है। ऐसे में देश से टीबी को खत्म करने के लिए चल रहे अलग अलग अभियानों में एक अभियान रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्रो. अमित वर्मा भी चला रहे हैं।
बरेली [अंकित गुप्ता]। World tuberculosis day : टीबी मरीजों के लिए सबसे जरूरी है कि उनकी दवा के बीच कोई रुकावट न आए। अक्सर टीबी मरीजों के केस बिगड़ने के पीछे उनके कोर्स लगातार न चलना ही होता है। ऐसे में देश से टीबी को खत्म करने के लिए चल रहे अलग अलग अभियानों में एक अभियान रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्रो. अमित वर्मा भी चला रहे हैं। उन्होंने डब्ल्यूएचओ एंड टीबी स्टेटजी आइसीटी 2015 के उद्देश्यों पर आधारित जीरो टीबी डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया है। यह एक वेबसाइट है, इसके जरिए ही टीबी मरीजों की देखभाल की जाएगी, या यू कहें कि मरीजों को छह महीने के लिए गोद लिया जाएगा।
देश में टीबी के कई मरीज हैं और उनकी मॉनीटरिंग करने के लिए विभाग के पास कर्मियों की संख्या न के बराबर है। ऐसे में प्रयासों के बाद भी सभी मरीजों की मॉनीटिरिंग करना संभव नहीं है। टीबी मरीज के संपर्क में जाने से भी लोग कतराते हैं, इसके चलते वालिंटियर भी नहीं मिलते हैं। इन परेशानियों को देखते हुए ही डा. अमित वर्मा ने जीरो टीबी अभियान एडॉप्ट अभियान की शुरुआत की। पहले उन्होंने इंटरनेट मीडियो जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम पर इसका पेज बनाया। इसमें जिले के मरीजों का डेटा डाला गया। वहां से मिले लोगों के रुझान के बाद उन्होंने जीरो टीबी वेबसाइट बनाई। अब इस वेबसाइट पर देश भर के टीबी मरीजों का डेटा एकत्र कर इस पर फीड किया जा रहा है। इस वेबसाइट के जरिए डा. अमित और उनकी टीम लोगों को टीबी प्रभावित लोगों को गोद लेने की पहल करती है।
सवाल-जवाब के जरिए होती काउंसलिंग
टीबी मरीज को वेबसाइट के जरिए गोद लेने के बाद उसकी काउंसलिंग फोन के जरिए ही सवाल जवाब से होती है। इसके लिए सवाल और उनके जवाबों की पूरी लिस्ट बनाई गई है। इसमें ज्यादातर सवाल दवा के शेड्यूल पर हैं। जिससे मरीज दवा खाने का समय और कौन सी दवा खानी है यह न भूलें। सप्ताह में एक बार यह काउंसिंलिंग की जाएगी, जिसमें दवा के साइडइफेक्ट के बारे में भी पूछा जाएगा। अगर किसी मरीज ने दवा खाने में चूक की तो इसकी जानकारी गोद लेने वाला व्यक्ति वेबसाइट पर अपडेट कर देगा। जिससे संबंधित जिले के स्वास्थ्य विभाग को सूचना देकर कोर्स दोबारा शुरू कराया जा सके।
वेबसाइट पर मिला कॉपीराइट
फेसबुक पेज के सफल प्रयोग के बाद डा. अमित ने वेबसाइट डेवलप कराई और उस पर कॉपीराइट भी कराया। 25 जनवरी 2021 को कॉपीराइट मिलने के बाद इस पर काम शुरू हो गया है। डा. अमित ने बताया कि फेसबुक के जरिए उन लोगों ने करीब 60 टीबी मरीजों को गोद दिलाकर उनका कोर्स पूरा कराया है। डा. अमित के कार्यों की सराहना करते हुए सीएमओ डा. सुधीर कुमार गर्ग ने उनका पूरा साथ देने को कहा है।