Wonderful : वातावरण शुद्ध करने के लिए यूपी के इस प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने तैयार किया ऑपरेशन द्वारिका मॉडल Badaun News
पराली को जलाने की बजाय खेत में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर डेढ़ या दो मीटर गड्ढ़ा खोदकर उसके अंदर बोरे में भर करके दबाया जाएगा। इससे कई फायदे होंगे।
ऋषिदेव गंगवार, बदायूं : दूषित होता पर्यावरण चिंता का विषय बना हुआ है। न तो पीने लायक पानी बचा है और न ही सांस लेने के लिए शुद्ध हवा। किसानों के खेत में पराली जलाने की वजह से हवा में जहर घुल रहा है। नदियों में नालों, सीवरेज का गंदा पानी जाने से पेयजल की शुद्धता नहीं बची। इन सभी समस्याओं को दूर करके वातावरण को शुद्ध करेगा ऑपरेशन द्वारिका।
जिले में वजीगंज ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय टिकुरी के प्रधानाध्यापक अनिलेश कुमार ने यह मॉडल तैयार किया है। अनिलेश ने विद्यालय में पढ़ाने के साथ-साथ 14 वर्ष तक पर्यावरण संरक्षण को लेकर शोध किया है। इस मॉडल को जिला विज्ञान क्लब के माध्यम से मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया है।
यह मॉडल वातावरण के तापमान को कम करेगा, जल-वायु प्रदूषण से बचाएगा, खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाएगा और बाढ़, सूखा व आंधी-तूफान को नियंत्रित करने में सहायक होगा। भगवान श्रीकृष्ण की द्वारिका के नाम पर शिक्षक अनिलेश ने अपने मॉडल को ऑपरेशन द्वारिका नाम दिया गया है।
ऐसे काम करेगा मॉडल : पराली को जलाने की बजाय खेत में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर डेढ़ या दो मीटर गड्ढ़ा खोदकर उसके अंदर बोरे में भर करके दबाया जाएगा। इससे कई फायदे होंगे। पहला खेत के जरिये ज्यादा से ज्यादा पानी भूमि के अंदर जा सकेगा और जलस्तर बढ़ेगा। दूसरा पर्यावरण दूषित नहीं होगा और तीसरा पराली से सड़ कर बनने वाली खाद से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी।
इसके अलावा शहर के गंदे पानी को हाईवे के बीच में लगी फुलवारी पर टपक विधि से बूंद-बूंद करके टपकाएंगे। ऐसे में हाईवे हरे-भरे रहेंगे और कुछ पानी हाईवे पर भी रिसेगा। जिससे वाहनों की गति से उत्पन्न होने वाले घर्षण से वाष्पोत्सर्जन होगा और धूल के कण आसमान में जाकर वातावरण को दूषित नहीं करेंगे। अनिलेश कहते हैं कि अगर सरकार ऑपरेशन द्वारिका मॉडल पर काम कराए तो जल्द सुधार नजर आएगा।
गुप्त गंगा की तरह काम करेंगी नहरें : ऑपरेशन द्वारिका के अनुसार, नहरों को ऊपर की बजाय अंडरग्राउंड 20 से 25 फिट नीचे बनाया जाए। जिसमें नदी की रेत का प्रयोग हो। हर पांच सौ मीटर पर अंडरग्राउंड पाइपलाइन में दो वॉल्व रहेंगे। एक वॉल्व से किसानों के लिए पानी दिया जाएगा और दूसरे का प्रयोग बाढ़ आने पर किया जाएगा। वहीं, नहर का एक छोर बांध से जुड़ेगा। बाढ़ आने पर बांध के लोड को कम करने के लिए उसमें पानी छोड़ा जाएगा। खास बात, नहरों के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की जरूरत भी नहीं होगी।
ऑपरेशन द्वारिका से ये मिलेगा लाभ
-भूमिगत जलस्तर में वृद्धि।
-वर्षा दर बढ़ेगा, जिससे सूखा भी नहीं पढ़ेगा।
-सभी स्थानों पर समान वर्षा होगी।
-फसलों के उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी।
-जल व वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगेगा।
-बिना खर्च दूषित जल का शोधन होगा।
-नदियों का प्रदूषण समाप्त होगा।
-खेतों की उर्वरक क्षमता बढ़ेगी।
-बाढ़ नहीं आएगी।