बरेली में ठगी करने के लिए जालसाजों ने अपनाई Sim Cloning की ये ... ट्रिक Bareilly News
साइबर ठग नई तकनीक से खुद को अपडेट कर रहे हैं। अभी तक आनलाइन ठगी को वह फेक नंबर से कॉल कर एटीएम नंबर या बैंक डिटेल पूछते थे।
अभिषेक पांडेय, बरेली : साइबर ठग नई तकनीक से खुद को अपडेट कर रहे हैं। अभी तक आनलाइन ठगी को वह फेक नंबर से कॉल कर एटीएम नंबर या बैंक डिटेल पूछते थे। या फिर एसएमएस से लिंक भेजकर ठगी करते थे, लेकिन अब साइबर ठगों ने ठगी का नया तरीका इजाद किया है। साइबर हैकर्स इसमें ‘सिम स्वैप’ यानी सिम क्लोन का इस्तेमाल करते हैं। फिर चंद मिनटों में आपके खाते से रुपये ट्रांसफर हो जाता और नंबर बंद होने से आपको पता भी नहीं चलता है। बैंक जाने पर इसकी जानकारी होती है। स्मार्ट फोन यूजर इनका बड़ा शिकार बन रहे हैं।
अब तक नहीं मिले 55 हजार रुहेलखंड कैंपस में रहने वाले यश राना ने बताया कि उन्होंने ओएलएक्स पर एक कार का विज्ञापन देखा। दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो वह हरियाणा के झज्जर-सज्जर सिलना निवासी मंजीत सिंह का था। कार के बारे में बातचीत के बाद सौदा 1.40 लाख में तय हो गया। करीब 55 हजार रुपये उनके खाते में डाल दिए। उसके बाद भी अभी तक कार की डिलेवरी नहीं की गई। आरोपित पेटीएम में और रुपये डालने की बात कह रहा है। पीड़ित ने एसएसपी से शिकायत की तो उनके आदेश पर बारादरी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया।
Sim Swap को बनाया हथियार
हाइटेक सिस्टम में सिम कार्ड एक हथियार बन गया है, जिसमें उपभोक्ता का डाटा स्टोर होता है। मोबाइल नंबर ही है जो लोगों के बैंक खाते, आधार कार्ड नंबर से लिंक होता है। सिम स्वैप होते ही उपभोक्ता के पास जो सिम होता है वह बंद हो जाता है। फिर स्वैप किए सिम को क्लोन करके उसका डुप्लीकेट सिम बना लिया जाता है।
एेसे किया जाता है Sim Swap
सिम स्वैप धोखाधड़ी का सबसे सरल उपाय है। यह एक कॉल से होता है, जिसमें साइबर ठग कंपनी का अधिकारी बनकर उपभोक्ता के नंबर पर कॉल करता है। कंपनी का नेटवर्क बेहतर करने या फिर कुछ प्लान या ऑफर बताने या फिर सिम पोर्ट कराने का झांसा देता है। इसी बहाने वह सिम के पीछे लिखे 20 डिजिट वाला नंबर बताएगा और आप से एक नंबर दबाने के लिए कहेगा। जो कि सिम स्वैप करने की सहमति के लिए होता है। कंपनी आपके इस रिक्वेस्ट को स्वीकार कर लेगी। जिसके बाद आप का सिम कार्ड ब्लॉक हो जाएगा। फिर दूसरा यानी स्वैप किया सिम एक्टीवेट हो जाएगा।
Bank Account की होती है डिटेल
सिम स्वैप करने वाले हैकर के पास पहले से ही आपके बैंक एकाउंट की डिटेल या फिर आपके डेबिट कार्ड या एटीएम का नंबर होता है। बस आवश्यकता होती है ओटीपी की। सिम स्वै¨पग से उसे ओटीपी मिल जाता है। फिर खाते से रकम निकल जाती है।
इस तरह से बने जालसाजों के शिकार
प्रेमनगर निवासी रिटायर इंजीनियर के पास कॉल आई। उन्होंने कुछ नहीं बताया लेकिन सिम की जानकारी के बाद उनके खाते से 80 हजार रुपये निकल गए।
सिविल लाइंस में नौकरी करने वाले निदेश पाठक के मोबाइल पर नंबर पोर्ट करने का आवेदन आया। फिर उन्होंने कॉल करने वाले को जरूरी जानकारी दी। 30 मिनट में खाते से दो लाख रुपये निकल गए।
प्रेमनगर के टिबरी नाथ कॉलोनी निवासी विजेता के मोबाइल पर कॉल आई। नंबर बंद होने के बहाने ठगों ने सिम अपग्रेड करने की बात कहते हुए जानकारी जुटा ली। फिर खातों से हजारों रुपये पार हो गए।
साइबर ठग बेहद शातिर हैं। वह नई तकनीकी से खुद को अपडेट कर रहे हैं। सिम स्वैप ठगी का नया तरीका है। इससे को किसी को भी सिम की जानकारी न दें। चूक पर हैकर खाते से रकम उड़ा देंगे।
-रमेश भारतीया, एसपी क्राइम