पीलीभीत में बाघ ने ग्रामीण को हमला कर बनाया निवाला, रिजर्व बनने से अब तक दो दर्जन मौतें
कलीनगर और दियूरिया क्षेत्र में दो महीने से बाघ का आतंक जारी है। दर्जनों मवेशियों को मौत के घाट उतारने के बाद बाघ ने ग्रामीण पर हमला बोलकर उसे निवाला बना लिया।
पीलीभीत(जेएनएन)। कलीनगर और दियूरिया क्षेत्र में दो महीने से बाघ का आतंक जारी है। पूरनपुर-दियूरिया रोड पर बाघ ने एक ग्रामीण को हमला बोलकर निवाला बना लिया। बुधवार को उसका क्षत-विक्षत शव टाइगर रिजर्व की दियूरिया वन रेंज में रोड से पाच सौ मीटर अंदर धनइयन घाट पर मिला। घटनास्थल शाहजहांपुर जिले के बंडा थाना क्षेत्र बताया जा रहा है। इसकी जानकारी होने पर कई थानों की पुलिस और सैकड़ों ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। घटना के पास से राहगीरों में भी दहशत फैल गई है। ग्रामीणों को अकेले बाहर जाने में डर लगने लगा है।
पूरनपुर के सिमराया गाव निवासी लक्ष्मण (34) पुत्र भगवानदास एक दिन पूर्व रिश्तेदारी में गए थे। देर शाम तक वह वापस नहीं लौट के आए तो परिजनों ने उनकी खोजबीन शुरू कर दी। रिश्तेदारों व परिजनों से मालूमात करने के बाद जंगल में उनकी तलाश की गई। बुधवार सुबह लक्ष्मण का क्षत-विक्षत शव पीलीभीत टाइगर रिजर्व की दियूरिया वन रेंज में पूरनपुर-दियूरिया रोड से पाच सौ मीटर अंदर धनइयन घाट पर मिला। बताया जा रहा है कि पूरनपुर-दियूरिया रोड पर बाघ ने उनपर हमला बोल दिया। जिससे उनकी मौत हो गई। इसके बाद शव को पांच सौ मीटर अंदर जंगल की ओर खींच ले गया। बाघ हमले में ग्रामीण की मौत होने की सूचना कुछ ही देर में आसपास के क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। इसके बाद दर्जनों गांव से सैकड़ों ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। घटनास्थल बंडा थाना क्षेत्र माना गया इसलिए शव को पोस्टमार्टम के लिए शाहजहापुर भेज दिया गया है। सूचना पर टाइगर रिजर्व के एसडीओ प्रवीण खरे, पूरनपुर के सीओ, बंडा थाना इंचार्ज समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। परिजनों ने बताया कि एक साल पहले मृतक का विवाह गीता देवी से हुआ था। पिता भगवानदास व अन्य ग्रामीणों ने गरीबी का हवाला देकर मुआवजा दिलाने की माग की है। --दर्जनों मवेशियों को मौत के घाट उतार चुका है बाघ
कलीनगर तहसील क्षेत्र के रमनगरा सहित आधा दर्जन गावों में बाघ की दहशत है। बीते 19 सितंबर को रमनगरा निवासी दिलीप ¨सह रोज की तरह अपने मवेशियों को शारदा डैम के पास चरा रहे थे। अपरान्ह दो बजे झाड़ियों से निकले बाघ ने उनके बैल को निवाला बना लिया। दिलीप सिंह के चीखने पर तमाम लोग पहुंच गए। तब तक बाघ झाड़ियों में गुम हो गया। उधर, उसी दिन टाइगर रिजर्व की माला वन रेंज में बाघ ने पहले संडई रेलवे हाल्ट क्षेत्र में रेलवे लाइन किनारे कुछ कुत्तों पर हमला बोला। उसके बाद आवारा घूम रहे बछड़े को जंगल में खींच ले गया था। उससे एक सप्ताह पूर्व बाघ ने महाराजपुर निवासी प्रेम सरदार के बैल को भी मार डाला था। बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने महाराजपुर के कंपार्टमेंट नंबर 3 में ¨पजरा लगाया गया था मगर हर बार वह चकमा देकर निकल जाता है।
--एक हफ्ते पहले पकड़ा गया था तेंदुआ
रमनगरा क्षेत्र में पिछले दो माह से बाघ के साथ ही तेंदुआ ने भी आतंक मचा रखा था। हालांकि, बीते 19 सितंबर को तेंदुआ को पिंजरा में कैद हो गया था। वन विभाग ने बाघ व तेंदुआ को पकड़ने के लिए दो अलग-अलग ¨पजरे लगाए थे। बीते बुधवार को सुबह महाराजपुर के कंपार्टमेंट तीन में तेंदुआ पिंजरा में कैद हो गया, लेकिन बाघ लगातार टीम को चकमा दे रहा है।
--चार सालों में दो दर्जन से ज्यादा की गई जानें
2014 में टाइगर रिजर्व की स्थापना की गई थी। पिछले चार सालों में आएदिन बाघ और इंसानों के बीच संघर्ष होने की घटनाएं सामने आती रहती है। अब तक दो दर्जन से ज्यादा लोगों की बाघ हमले में जान जा चुकी है। जबकि दर्जनों घायल हो चुके हैं।