धुएं के छल्लों युवाओंं की जिंदगी बचाने को जारी हुआ ये आदेश
अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलों में हुक्का बार चलाने पर रोक लगा दी है। 30 सितंबर तक सख्ती से व्यवस्था लागू कराने के लिए निर्देश दिए है।
बरेली, जेएनएन। राजेंद्रनगर, डीडीपुरम और पीलीभीत रोड के कई रेस्टोरेंट और होटलों में अनाधिकृत रूप से हुक्काबार चलाए जा रहे हैं। पुलिस की दबिशें भी हुई, मामले भी खुले, लेकिन बार चलते रहे। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलों में हुक्का बार चलाने पर रोक लगा दी है। 30 सितंबर तक सख्ती से व्यवस्था लागू कराने के लिए निर्देश दिए है। राज्य मुख्यालय से अपर मुख्य सचिव इस संबंध में आदेश जारी कर रहे हैं। हालांकि यह निर्देश अधिकृत बार के लिए जारी हुए हैं। लेेकिन बरेली की तस्वीर जुदा है। यहां कई अनाधिकृत बार और रेस्टोरेंट संचालित है। जिन्हें अब पूरी तरह से सख्ती के साथ बंद कराने के अलग रणनीति के साथ काम किया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश से पहले से ही शहर के हुक्काबार बंद कराए जा चुके है। कई रेस्टोरेंट मालिकों पर मुकदमे दर्ज कर जेल भी भेजे जा चुके है। बावजूद अभी भी कुछ जगह चोरी-छिपे हुक्काबार चलाने की सूचनाएं मिलती रहती है।
इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज करेंगे निगरानी
हाईकोर्ट के आदेश के बाद और सख्ती की जाएगी। सभी इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज को कार्रवाई और निगरानी का जिम्मा दिया जाएगा। हालाकि अभी भी चोरीछिपे कई बारों में हुक्का परोसा जाता है। जिसके बाद आसपास के छोटे दुकानदार को मुखबिरी के लिए तैयार किया जाएगा
दोस्तों के साथ बर्थडे पार्टी आदि आयोजन में आदि में हुक्का पिया जाता था। तम्बाकू उत्पाद की जगह फ्लेवर्ड हुक्का परोसा जा सकता है। अमन अली प्रेमनगर
तम्बाकू वाले हुक्के पर रोक लगनी चाहिए। युवाओं के स्वास्थ्य को देखते हुवे फ्लेवर्ड हुक्के से कोई दिक्कत नहीं होती है। प्रदेश के दूसरे के शहरों में व्यवस्था है। राजकिरन किला
बारादरी में युवाओं के साथ ही नाबालिग को भी हुक्का परोसा जाता था। हाईकोर्ट का निर्णय एकदम सही है। कई रेस्टोरेंट के पास लाइसेंस तक नहीं है। नाजिम, बारादरी
कई रेस्टोरेंट में हुक्काबार तो चोरी से चलाया जा रहा था। रुपये देने पर बियर और शराब आदि भी परोस दिया जाता था। शिकायत के बाद पुलिस ध्यान नहीं देती। अक्षय, प्रेमनगर
हुक्का में तम्बाकू उत्पाद का इस्तेमाल करने से फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। कम उम्र के बच्चो में चलन अधिक है। अगर नशीले पदार्थ का इस्तेमाल होता है तो मानसिक विकास पर भी असर पड़ता है। कैंसर जैसी असाध्य बीमारी हो सकती है। डॉ वागीश वैश्य, वरिष्ठ चिकित्सक जिला अस्पताल