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Special Report : सात पुश्तों से आयुर्वेद की परंपरा को सहेज रहा बरेली का ये परिवार...Bareilly News

शहर की एक ऐसी खास दुकान से परिचित करा रहे हैं जिसने अपनी सात पीढ़ियों से आयुर्वेद की समृद्ध परंपरा को न केवल सहेज रखा है वरन इस पर आधुनिकता का लेप भी चढ़ा दिया है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 03:45 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 03:45 PM (IST)
Special Report : सात पुश्तों से आयुर्वेद की परंपरा को सहेज रहा बरेली का ये परिवार...Bareilly News
Special Report : सात पुश्तों से आयुर्वेद की परंपरा को सहेज रहा बरेली का ये परिवार...Bareilly News

शैलेष उपाध्याय, बरेली : आयुर्वेद सबसे प्राचीन और कारगर चिकित्सा पद्धति है। जीवन को स्वस्थ रखने के साथ-साथ आहार-विचार में बेहतरी के लिए बदलाव के सभी नियम-कायदे आयुर्वेद में वर्णित हैं। इन दिनों बदलती जीवनशैली से होने वाले जटिल रोगों का निदान भी इस पद्धति के माध्यम से किया जा रहा है। इसीलिए पिछले एक दशक से लोगों का रुझान आयुर्वेद की तरफ फिर बढ़ा है। ऐसे में हम आपको शहर की एक ऐसी खास दुकान से परिचित करा रहे हैं, जिसने अपनी सात पीढ़ियों से आयुर्वेद की समृद्ध परंपरा को न केवल सहेज रखा है, वरन इस पर आधुनिकता का लेप भी चढ़ा दिया है।

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शहर के आलमगिरि गंज स्थित लाला गट्टूमल की पुरानी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की दुकान है। आज से करीब दो सौ साल पहले इसकी नींव लाला गिरधारी लाल अग्रवाल ने रखी थी लेकिन, इनके पौत्र लाला राम गोपाल उर्फ गट्टूमल के समय में इसको काफी प्रसिद्धि मिली। वर्तमान में इस खानदान की छठी पीढ़ी के श्याम बाबू जहां अभी भी परंपरा को जीवित रखते हुए जड़ी-बूटियों का व्यापार कर रहे हैं।

इनके पुत्र रवि अग्रवाल ने इसको आधुनिकता का जामा पहना दिया है। गट्टूमल फार्मेसी के नाम से वह आयुर्वेद की दवाओं का उत्पादन एवं बिक्री करते हैं। करीब दो दर्जन आयुर्वेदिक दवाओं का उन्होंने पेटेंट करा रखा है। इनके करीब 250 उत्पाद बाजार में बिक रहे हैं। रवि विश्व आयुर्वेद परिषद के सदस्य भी हैं। इन्हीं के खानदान के स्व. बाबू सत्यप्रकाश अग्रवाल प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे।

ऑनलाइन भी बिकती हैं आयुर्वेदिक दवाएं: इनके विभिन्न उत्पाद अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि ऑनलाइन ट्रेडिंग साइट्स पर भी उपलब्ध हैं। रवि की पत्नी मानसी अग्रवाल उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री व प्रमोशन आदि का कार्य देखती हैं। रवि बताते हैं कि आयुर्वेद में होने वाले बदलाव एवं शोध से लोगों को परिचित कराने के लिए वह ‘आयुर्वेदम’ नाम से त्रैमासिक पत्रिका के प्रकाशन की योजना बना रहे हैं। फरवरी 2020 में इसका पहला संस्करण प्रकाशित होने की उम्मीद है।

लगाते हैं निश्शुल्क शिविर: समय-समय पर उनकी ओर से मधुमेह आदि की जांच एवं इलाज के लिए निश्शुल्क शिविर आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने लाला गट्टूमल के नाम से आयुर्वेदिक चिकित्सालय भी खोल रखा है, जहां रोगियों को निश्शुल्क परामर्श दिया जाता है।

परंपरागत दुकान पर उपलब्ध हैं दुर्लभ जड़ी-बूटियां: घी मंडी स्थित इस खानदान की एक दुकान पर तमाम दुर्लभ जड़ी-बूटियां उपलब्ध हैं। दुकान का काम देख रहे श्याम बाबू बताते हैं कि चेन्नई, बेंगलूरू, बाड़मेर, लखनऊ, दिल्ली आदि शहरों से वह दुर्लभ जड़ी-बूटियां मंगवाते हैं।


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