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Jagran Special : ये बालिकाएं हैं इन्हें वधू न बनाइए Badaun News

लड़कियों को कॉलेज जाते देखती थी लेकिन उसके लिए यह सपने से ज्यादा नहीं था क्योंकि बचपन से सुन रही थी कि बेटी सयानी होने लगे तो शादी कर दो। उसके परिवार वालों ने भी ऐसा ही किया।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 12:55 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 09:28 AM (IST)
Jagran Special : ये बालिकाएं हैं इन्हें वधू न बनाइए Badaun News
Jagran Special : ये बालिकाएं हैं इन्हें वधू न बनाइए Badaun News

बदायूं [अभिषेक सक्सेना] : सुमन की उम्र 15 साल है। एक साल से अपनी शादी के बारे में लोगों की चिंताएं और माता-पिता की स्थिति का सामना कर रही थी। इस बीच कभी टीवी में तो कभी शहर जाते वक्त अपनी उम्र की लड़कियों को कॉलेज जाते देखती थी लेकिन उसके लिए यह सपने से ज्यादा नहीं था क्योंकि बचपन से सुन रही थी कि बेटी सयानी होने लगे तो शादी कर दो। उसके परिवार वालों ने भी ऐसा ही किया। मई में शादी तय कर दी, बारात का दिन तय हो गया। गनीमत रही कि उसी रात को आशा ज्योति केंद्र की टीम पहुंच गई। शादी तो रुकवा दी मगर, यह प्रथा अभी भी बरकरार है।

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कटरी से सटे गांवों में हर साल ऐसी दर्जन भर बालिका वधुओं की डोली उठा दी जाती है। जो पता चल जाते हैं वो शादी समारोह रुकवा दिए जाते हैं लेकिन ज्यादातर पता नहीं चलते। उसावां में रहने वाली सुमन (काल्पनिक नाम) की कहानी तो इस क्षेत्र का उदाहरण मात्र है। बदायूं में बाल विवाह जैसी कुप्रथा अभी तक खत्म नहीं हुई। वर्ष 2018 में जिले में ऐसे नौ मामले आशा ज्योति केंद्र के सामने आए।

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सूचना आई तो टीम पहुंची और वे सातों शादियां रुकवा दीं, जिनमें लड़कियों की उम्र 18 साल से कम थी। इस साल यानी जनवरी से अब तक सात महीने में सात शिकायतें आ चुकीं। टीम पहुंची तो पता चला कि चार शिकायतें असली थीं, बाकी तीन गलत। कटरी में बसे उसावां में दो बेटियां ऐसी थीं और उसहैत व हजरतपुर में एक-एक। जब टीम पहुंची तो लड़का व लड़की पक्ष के लोग शादी की बात से मुकर गए।

लड़की के पिता, दूल्हा, पंडित व हलवाई तक दोषी
मामले सामने आते हैं मगर, अधिकतर में लड़की व लड़के पक्ष के लोगों को समझाकर छोड़ दिया जाता है। बदायूं में इस साल हुए चार मामलों में भी ऐसा ही हुआ। टीम ने पहुंचकर लड़की पक्ष के लोगों को समझाया। बताया कि बेटी की उम्र अभी इस लायक नहीं कि परिवार का बोझ उठा सके। मानसिक व शारीरिक रूप से तैयार होने तक उसकी शादी नहीं की जाए।

यह भी प्रावधान
ऐसे मामले में लड़की के पिता व लड़का पक्ष पर मुकदमा दर्ज कराया जाए। शादी कराने वाले पंडित, खाना बनाने वाले हलवाई को तक नामजद कराया जा सकता है। हालांकि ऐसा करने के बजाय चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। पुलिस लड़की पक्ष के निगरानी करती है ताकि दोबारा बाल विवाह की कोशिश न की जाए। बरेली में पिछले साल तीन बाल विवाह कराने के प्रयास हुए। पीलीभीत में एक मामला सामने आया।

क्या कहती हैं काउंसलर
आशा ज्योति केंद्र की वरिष्ठ काउंसलर नीतू सिंह कहती हैं कि मंडल में बदायूं जिले में बाल विवाह के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। कटरी क्षेत्र में शिक्षा के संसाधन पर्याप्त न होने और शहर से काफी दूर होने का भी असर पड़ता है। पिता कभी गरीबी तो कभी अपनी जिम्मेदारी जल्द निपटाने के नाम पर नाबालिग बेटियों की शादी तय दे रहे। उन्हें समझाने की कोशिश की जा रही।


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