कार नहीं थी, जीत के बाद बैलगाड़ी पर निकाल विजय जुलूस
कृषि स्नातक की पढ़ाई के बाद सोचा कि विधायक का चुनाव लडूंगा। घर में साइकिल थी उसी पर बैठकर रोजाना लोगों से मिलने निकल पड़ता।
जेएनएन, बरेली: कृषि स्नातक की पढ़ाई के बाद सोचा कि विधायक का चुनाव लडूंगा। घर में साइकिल थी, उसी पर बैठकर रोजाना लोगों से मिलने निकल पड़ता। तब लोग यह भरोसा करने को तैयार नहीं थे कि मैं विधायक बनूंगा। यहां तक कि भारतीय जनसंघ के तत्कालीन महामंत्री पंडित दीन दयाल उपाध्याय को भी भरोसा नहीं था। मैं शाहजहांपुर के केशव नगर कालोनी निवासी स्व. नत्थू सिंह के आवास पर आए पंडित जी से मिलने पहुंच गया और विधानसभा टिकट का आग्रह किया। उन्होंने पूछा कितना पैसा खर्च करोंगे मैने कहा कि एक हजार....। पंडित जी के साथ आए पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल राम प्रकाश गुप्ता बोले इतने से चुनाव कैसे जीतोगे। मैंने कहा कि चाहे चंद्रभान गुप्ता आ जाएं या चौधरी चरण सिंह, मैं चुनाव जरूर जीत लूंगा। मेरी योग्यता व आत्मविश्वास देख, पंडित जी राम प्रकाश गुप्ता की ओर मुखातिब हुए, बोले जलालाबाद में पार्टी प्रत्याशियों की जमानत तो जब्त ही हो जाती है, लेकिन इस बार इस लड़कों को ही लड़ाएंगे।
मैं लड़ा और जीता। शाहजहांपुर में मतगणना के बाद बस से जलालाबाद पहुंचा। चूंकि किसी की कार का इंतजाम नहीं था इसलिए बैलगाड़ी पर बिठाकर विजय जुलूस निकाला गया।
जब मैं जीतकर विधानसभा पहुंचा तो पंडित जी बहुत खुश हुए। 1969 का चुनाव भी लड़ा मगर हार गया। 1974 में दोबारा एमएलए बना। दोनों बार अटल जी सभाएं करने आए थे।
संसाधन बढ़े, भरोसा टूटा
संसाधन व सुविधाएं बढऩे से अब सियासत पहले से आसान हो गई। लेकिन जनता और नेता के बीच का भरोसा टूट गया। पहले राजनीति में लोग सम्मान और सेवा के लिए आते थे, अब शोहरत के साथ कमाई के लिए राजनीति की जाती है।
अपने प्रबंधक के खिलाफ लड़ा था चुनाव
उस वक्त सेठ सियाराम इंटर कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष केशव सिंह विधायक थे। मैं उन्हीं के विद्यालय में शिक्षक था। जनसंघ से टिकट मिलने पर उनके खिलाफ लड़कर चुनाव जीत लिया, लेकिन उन्होंने बुरा नहीं माना। बल्कि जीतने पर खुशी जताई। अब ऐसा नहीं है।
(दल सिंह यादव, जलालाबाद के पूर्व विधायक हैं। जन्म मिर्जापुर में हुआ मगर पिछले चार दशक से शहर के बाडूजई मुहल्ला में रहते हैं।