Shahjhanpur News: अफगान कबीलों के नाम पर बसे 52 मुहल्लों के नाम बदलने की मांग, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने की पहल
केंद्रीय गृहराज्यमंत्री ने समिति गठित करते हुए कहा कि महानगर के उन सभी मुहल्लो के नाम बदले जाने की आवश्यकता है जिनके नाम अफगानी आक्रांताओ के नाम पर हैं। उन्होंने कहा कि जब देश अपने पुरातन गौरव की ओर लौट रहा है।
शाहजहांपुर, जेएनएन। अफगान कबीलों के नाम पर बसे शहर के 52 मुहल्लों के नये नामकरण की मांग शुरू हो गई है। पूर्व केंद्रीय गृहराज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने इसे वर्तमान समय की जरूरत बताते हुए बकायदा अध्ययन समिति का गठन किया है। जो 15 दिन में तर्कसंगत विकल्प सुझाकर नये नाम देगी, जिन्हें शासन को भेजा जाएगा।
केंद्रीय गृहराज्यमंत्री ने समिति गठित करते हुए कहा कि महानगर के उन सभी मुहल्लो के नाम बदले जाने की आवश्यकता है, जिनके नाम अफगानी आक्रांताओ के नाम पर हैं। उन्होंने कहा कि जब देश अपने पुरातन गौरव की ओर लौट रहा है। यह जरूरी है कि मुहल्लों व शहरों के नाम ऐसे हो जिनसे युवा पीढ़ी प्रेरणा प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में शहर में ऐसे अनेक मुहल्ले हैं जिनके नामों के न कोई अर्थ स्पष्ट है न ही अभिप्राय जैसे बाडूजई, बीबीजई हद्दफ आदि।
स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि अब समय आ गया है कि हमारी आस्था तथा संस्कृति के जिन स्मारकों के नाम विदेशी आक्रांताओं ने नष्ट किये या उनके मूल नामों में परिवर्तन किया। उनको मौलिक स्वरूप में वापस लाया जाए। जब इलाहाबाद प्रयागराज, फैजाबाद अयोध्या हो सकता है तब शहर में अफगान मुहल्लों के नाम बदलकर यहां के संतो, साहित्यकारों, समाजसेवियों व विभूतियों के नाम पर क्यों नही हो सकते। उन्होंने इसके लिए अधिकृत जानकारी व तर्कसंगत नाम सुझाने के लिए मुमुक्षु आश्रम की समिति गठित की। जो 15 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी उसके बाद शासन से इन असंगत नाम बदलने का अनुरोध किया जाएगा। इस समिति में एसएस कालेज के इतिहास विभागाध्यक्ष डा. विकास खुराना, साहित्यकार डा. प्रशांत अग्निहोत्री व स्तंभकार अमित त्यागी शामिल हैं।
जागरण ने प्रकाशित की थी खबर: दैनिक जागरण ने 21 मई के अंक में प्रकाशित सबरंग में अफगान के कबीले यहां बस गए 52 मुहल्ले खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसमें शहर के मुहल्लों के नामकरण व उनके पीछे के कारण भी बताए थे।