Move to Jagran APP

Jagran Special : बरेली के इन चाैराहों के अजीब है किस्से Bareilly News

इन चौराहों पर हर दिन दिखती है भागती-दौड़ती जिंदगी। कभी दो पल ठहरकर महसूस कीजिए इनकी अपनी कहानी को तो शहर का भरा-पूरा अतीत झलक उठता है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 06:06 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 08:00 PM (IST)
Jagran Special : बरेली के इन चाैराहों के अजीब है किस्से Bareilly News
Jagran Special : बरेली के इन चाैराहों के अजीब है किस्से Bareilly News

अविनाश चौबे, बरेली : शहर के चौराहे अपने भीतर विकास और बदलाव की लंबी दास्तान समेटे हुए हैं। साथ ही, ये हमें हमारी परंपराओं से भी जोड़ते हैं। इन चौराहों पर हर दिन दिखती है भागती-दौड़ती जिंदगी। कभी दो पल ठहरकर महसूस कीजिए इनकी अपनी कहानी को तो शहर का भरा-पूरा अतीत झलक उठता है। कुतुबखाना चौराहा, अयूब खां चौराहा (पटेल चौक), चौकी चौराहा, नॉवेल्टी (रोडवेज) चौराहा, छत्रपति शिवाजी चौराहा (शील चौराहा), कारगिल चौक और वीरांगना चौक समेत ये चौराहे शहर की कहानी कहते हैं। 

loksabha election banner

जिस शहर का कण-कण इतिहास का साक्षी हो, वहां चौराहों का क्या कहना। वह तो अपने आप में पूरी किताब हैं। शहर के डेलापीर, शील चौराहा, वीरांगना चौक और कारगिल चौक को छोड़कर अन्य चौराहे आजादी से पहले के हैं। आजादी के बाद भी श्यामगंज चौराहे को छोड़कर अन्य किसी के नाम में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हालांकि अयूब खां चौराहे का नाम पटेल चौराहा करने की मांग कई बार हुई, लेकिन आज भी इसका नाम अयूब खां चौराहा ही है। पिछले वर्ष नगर निगम बोर्ड की बैठक में चौकी चौराहा को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा गया, जिस पर सहमति भी बन गई है, लेकिन अभी अधिकृत रूप से नाम परिवर्तित नहीं हुआ है। वर्तमान में भी यह चौकी चौराहा के नाम से ही जाना जा रहा है।

चौकी चौराहा

जंक्शन से शहर में आने पर सबसे पहले चौकी चौराहा पड़ता है। पार्षद राजेश अग्रवाल बताते हैं कि इलाके के बुजुर्गों के अनुसार यहां पुलिस चौकी होने के कारण इसका नाम चौकी चौराहा पड़ा। यहां देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा लगी है। आजादी के बाद सबसे पहली प्रतिमा पुलिस चौकी के सामने पार्क में महात्मा गांधी की लगी, जिसे वर्ष 1950 में लाला रघुवीर शरण लेकर आए थे। फिर 1984-85 में चौराहे पर पं. जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा लगी।

अयूब खां चौराहा

शहर का यह दूसरा और सबसे प्रमुख चौराहा है। कहें तो आधुनिक शहर का हृदयस्थल। यहां 15 अगस्त 1983 को नगर निगम की ओर से सरदार पटेल की मूर्ति स्थापित की गई, इसलिए वर्तमान में लोग इसे पटेल चौराहा भी कहते हैं। हालांकि नगर निगम के रिकॉर्ड में इसका नाम अयूब चौराहा ही है। शहर के पूर्व महापौर कुंवर सुभाष पटेल बताते हैं कि आजादी से पहले यहां अयूब खां नाम के फर्नीचर के बड़े व्यवसायी थे, जिनका चौराहे पर ही शोरूम था। उन्हीं के नाम पर इस चौराहे का नाम अयूब खां पड़ा। शहर के बीचोबीच होने से यह हर बड़े आंदोलन का केंद्र रहता है। चाहे वह आरक्षण विरोधी आंदोलन रहा हो या फिर निर्भया कांड के समय निकला शांति मार्च, यह चौराहा हर आंदोलन का साक्षी बना। आज भी ज्यादातर बड़े आंदोलन और प्रदर्शन इसी चौराहे पर होते हैं।

नॉवेल्टी चौराहा

यह शहर का पुराना और सबसे प्रमुख चौराहा है। पुराने दौर में यहां नॉवेल्टी सिनेमा हॉल था, जिसके चलते इसका नाम नॉवेल्टी चौराहा पड़ा। सिनेमा बंद होने के बाद वर्तमान में यहां मार्केट बन चुका है। इसके साथ ही यहां पुराना रोडवेज बस स्टैंड भी है, इसलिए कुछ लोग इसे रोडवेज चौराहा भी कहते हैं।

कुतुबखाना चौराहा

यह शहर के प्रमुख चौराहों में से एक है। वर्तमान में यहां बने घंटाघर के चलते कुछ लोग इसे घंटाघर चौराहा भी कहते हैं। आजादी से पहले यहां लाइब्रेरी थी, जिसके चलते इसका नाम कुतुबखाना (पुस्तकालय) पड़ा, जो आज तक कायम है। यहीं पर मोती पार्क भी है। जिसके चलते यह चौराहा आजादी के दौरान हुए आंदोलनों और प्रदर्शनों का केंद्र भी रहा। महात्मा गांधी ने भी शहर में अपनी सभा यहीं मोती पार्क में की थी। स्वामी दयानंद सरस्वती ने भी यहां लोगों को संबोधित किया था।

वीर छत्रपति शिवाजी चौक

राजेंद्र नगर स्थित इस चौराहे का नया नाम दो वर्ष पहले अस्तित्व में आया। इससे पहले तक लोग इसे शील चौराहे के नाम से जानते थे। यहां पर जून, 2018 में वीर छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा भी लगी, जिसके बाद से इस चौराहे की सुंदरता और बढ़ी। अब यहां से डीडीपुरम तक की सड़क को आदर्श सड़क के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे इस चौराहा की सुंदरता आने वाले दिनों और बढ़ेगी।

चौपुला पुल के ऊपर भी होगा चौराहा

शहर के सबसे व्यस्त चौराहों में से एक चौपुला चौराहा है। वर्तमान में यहां पर दिल्ली-लखनऊ रोड पर पुल का निर्माण हो रहा है, जिसकी एक लेन अयूब खां चौराहा की तरफ जाने वाली सड़क पर भी उतरेगी। इसके साथ ही यह पुल एक लीफ द्वारा पहले से बने पुल से जुड़ेगा, जिससे यह शहर का पहला ऐसा पुल होगा, जिसके ऊपर भी चौराहा होगा।

चौराहों से कम नहीं ये दो तिराहे

शहर के विस्तार के साथ डेलापीर और सेटेलाइट चौराहा भी अस्तित्व में आए। भले ही इन दोनों स्थानों को चौराहा के नाम से जाना जाता हो, लेकिन वास्तविक रूप से यह तिराहा ही हैं। शहर के प्रमुख स्थान होने के कारण इनको चौराहा कहा जाता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.