...तो अगली परीक्षा में पास कराने का ठेका लेने को के लिए गिरोह को दी क्लीनचिट Bareilly News
मजेदार बात यह है कि विवि ने यूएफएम-अनुचित साधन का हवाला देकर इनका परिणाम भी रोक दिया। गत नौ अगस्त को जब विद्यार्थियों ने कैंपस में आंदोलन किया।
बरेली, जेएनएन : दो सितंबर को एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय का 17वां दीक्षा समारोह है। मंच पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्य अतिथि स्वामी चिदानंद होंगे। वे स्नातक और परास्नातक के 84 टॉपरों को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित करेंगे। सम्मान इस बात का क्योंकि वह अपने कोर्स में अव्वल आए हैं।
हालांकि इस बीच जब मंच से टॉपरों के नाम पुकारे जा रहे होंगे। ठीक उसी पल रुविवि की परीक्षा अपनी पारदर्शिता बरकरार रखने की फरियाद लगा रही होगी। चंद लोगों के सिवा शायद बाकी समारोह इससे अनजान होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय की परीक्षा 25-25 हजार रुपये के ठेके पर पास कराने के इल्जाम में फंसी है। रुविवि प्रशासन इन आरोपों की गंभीरता से जांच कराने से अब तक कतरा रहा है।
रुविवि की परीक्षा से लेकर मूल्यांकन तक सेंधमारी होती है। पिछले चार-पांच साल से यह खेल चल रहा है। इस बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर रुविवि की जांच में इसकी पुष्टि भी हो चुकी है। ताजा आरोप बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन (बीपीएड) का है। बीपीएड के विद्यार्थियों ने अपनी कॉपी के अंदर पन्नों पर रोल नंबर, कॉलेज और अपना नाम लिखा था। इसी आरोप में 21 विद्यार्थियों के विरुद्ध सामूहिक नकल की संस्तुति हुई।
मजेदार बात यह है कि विवि ने यूएफएम-अनुचित साधन का हवाला देकर इनका परिणाम भी रोक दिया। गत नौ अगस्त को जब विद्यार्थियों ने कैंपस में आंदोलन किया। खुलेआम आरोप लगाए कि पास कराने के लिए 25-25 हजार में ठेके हुए। बताया कि नकल माफिया का गिरोह सक्रिय है। इसमें शिक्षक, कॉलेजों के लोग और कर्मचारी शामिल हैं। तब कुलपति ने छात्राओं के सामने गिरोह का नाम पूछा। अब 15 दिन बाद इन सभी विद्यार्थियों को यूएफएम कमेटी ने नकल के आरोपों से बरी करते हुए पांच-पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाकर मामला समाप्त कर दिया।
रुविवि के प्रोफेसर नाम न छापने की शर्त पर इस पूरे प्रकरण पर प्रशासन को कठघरे में खड़ा करते हैं। बताते हैं कि मई में परीक्षा हुई। नौ अगस्त को यूएफएम का हवाला देकर इनका रिजल्ट रोका गया। मगर इस बीच न तो गिरोह के विरुद्ध अज्ञात में मुकदमा दर्ज कराया गया, न ही इन आरोपों की जांच के लिए कोई कमेटी बनाई गई। जबकि एबीवीपी के शिकायत पर प्रो. एके जेटली की अध्यक्षता में एक कमेटी दूसरे प्रकरण की जांच भी कर रही है।
वह सवाल उठाते हैं कि फिर यह मामला जांच समिति को क्यों नहीं सौंपा गया? प्रशासन ने आरोपों पर संज्ञान लेते हुए अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा क्यों नहीं दर्ज कराया? वह कहते हैं कि क्या विवि प्रशासन ने नकल माफिया के गिरोह को अगली परीक्षा में पास कराने का ठेका लेने के लिए छोड़ दिया है। पूरे प्रकरण पर विवि की अनदेखी तो ऐसा ही संकेत दे रही है। कम से कम प्रशासन को आरोपों की जांच तो करानी चाहिए थी।
कुछ लोगों के नाम मौखिक तौर पर सामने आ रहे हैं। आंतरिक जांच चल रही है। समारोह के बाद इस पूरे प्रकरण आगे की कार्रवाई की जाएगी। - प्रो. अनिल शुक्ल, कुलपति रुविवि