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सेहत मंत्रा : व्यवस्था ने तोड़ी बुढ़ापे की लाठी Bareilly News

लो भैया बन गया बुजुगों का वार्ड। साल भर पहले ठेकेदार ने यही कहकर स्वास्थ्य विभाग से लाखों रुपये का भुगतान ले लिया।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 09:58 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 09:58 AM (IST)
सेहत मंत्रा :  व्यवस्था ने तोड़ी बुढ़ापे की लाठी Bareilly News
सेहत मंत्रा : व्यवस्था ने तोड़ी बुढ़ापे की लाठी Bareilly News

अशोक कुमार आर्य : लो भैया बन गया बुजुगों का वार्ड। साल भर पहले ठेकेदार ने यही कहकर स्वास्थ्य विभाग से लाखों रुपये का भुगतान ले लिया। दस बेड का वार्ड बनाने में करीब ढाई लाख का खर्च आया। बुजुर्गो के लिए उसमें कई सुविधाएं देने की बात सरकार ने कही थी। विभाग संसाधनों को जुटाने में लगा। व्हीलचेयर, छड़ी, कैलीपर्स, चश्मे, मनोरंजन के लिए टीवी आदि सामान खरीद लिया। बेड भी लग गए, मगर बुजुर्गो को ही यहां भर्ती नहीं किया गया। वार्ड में ताला पड़ा रहा। अफसरों की जुबान पर भी मामले में ताला रहा। बीते दिनों मलेरिया फैला तो इसमें मरीज भर्ती कर दिए। मरीज घटे तो फिर वार्ड पर ताला। अब बुजुर्ग मरीज भटक रहे। जनरल वार्ड में परेशान हैं। फिर भी उन्हें इस वार्ड में भर्ती नहीं किया जा रहा और अफसर मूकदर्शक बने हैं। यह व्यवस्था बुजुर्ग मरीजों की लाठी बनती, लेकिन लापरवाही ने उसे तोड़ दिया।

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अव्यवस्था उपस्थित, टीम नदारद

जिला अस्पताल के प्रबंधन की जिम्मेदारी मैडम के कंधों पर है। सवा तीन सौ भर्ती मरीज, ओपीडी के हजारों मरीज और उनके तीमारदारों के लिए सहूलियत मुहैया कराना। फिर अधिकारियों को रोजाना की रिपोर्ट भेजना। हॉस्पिटल मैनेजर पूजा चौहान इन्हीं कामों में व्यस्त दिखाई देती हैं। अस्पताल में कहीं व्यवस्था बिगड़ती है तो वह व्यस्तता का जिक्र करना नहीं भूलतीं। कहती हैं जहां न देखें वहां काम बिगड़ जाता है। अस्पताल है तो सफाई की व्यवस्था भी दुरुस्त रखनी होगी। इसके लिए लंबी टीम भी है उनके पास। बीते दिनों डीएम अस्पताल के निरीक्षण को आए तो टीम नदारद थी। हुआ यूं कि अधिकारी ने अस्पताल आते ही सफाई व्यवस्था पर नाराजगी जताई। मैडम ने बताया कि 18 कर्मचारी सफाई व्यवस्था में लगे हैं। करीब एक घंटा डीएम वहां रहे, लेकिन सफाई कर्मचारी कहीं नहीं फटके। डीएम ने हकीकत पकड़ ली और परख भी ली। व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए।

टोपी ने खोला राज

साहब, शहर में कहां रहते हैं, यह कम लोग ही जानते होंगे लेकिन, स्वास्थ्य महकमे में टोपी वाले अधिकारी कौन हैं, यह सबको पता है। जाड़ा हो या गर्मी, धूप या बरसात। ये साहब हमेशा टोपी लगाए नजर आते हैं। इस टोपी के कारण ही बीते दिनों बड़ा राजफाश हो गया। यूं तो साहब की फील्ड की ड्यूटी है। उस दिन अपने काम के साथ ही साथी अधिकारी के क्षेत्र में भी घुस गए। वहां कुछ लोगों को हड़काया। धाक जमाई, फिर लौट आए। उनके पीछे-पीछे यह चर्चा भी मुख्य अधिकारी के दफ्तर तक पहुंच गई। शिकायत आई। इसमें उनका नाम तो नहीं लिखा था, लेकिन किसी को समझते देर नहीं लगी कि साहब एसीएमओ डॉ. आरएन गिरि हैं। लिखा था साहब बाइक से पहुंचे। हड़काकर चले गए। चर्चा पूरे विभाग में होने से साहब की बात खुल गई। हालांकि, उन्होंने बड़ी सफाई से पूरे मामले में सफाई पेश की।

वाह, चक्कर होगा रफूचक्कर

अस्पताल आना यानी दो से तीन दिन का फेर। दूर से आना तो उतना ही कठिन। समय भी जाए और रुपया भी। एक दिन डॉक्टर देखते तो दूसरे दिन रिपोर्ट मिलती। अगर डॉक्टर दूसरी बार जांच कराने को लिख दें तो फेरा दोगुना बढ़ जाए। यही हाल रहा है अपने जिला अस्पताल में। अब यहां खून की जांच कराने वाले मरीजों को रिपोर्ट के लिए चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। एक ही दिन में मरीज जांच कराकर रिपोर्ट डॉक्टर को दिखा सकेगा। शासन ने हाल ही में जिला अस्पताल को खून की जांच के लिए अत्याधुनिक मशीन उपलब्ध कराई है। इसमें एक बार में करीब 50 मरीजों के खून के सैंपल जांच के लिए लगाए जा सकते हैं। एक बार मशीन में सैंपल लगाने पर जांच में मात्र ढाई घंटे का लगेगा। इस खबर पर एक मरीज बोला, चलो बदहाल अस्पताल से किसी समस्या के रफूचक्कर होने की आस तो जगी।


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