प्रोसेसिंग यूनिट से और बढ़ेगी बरेली के शहद की मिठास
बरेली के शहद को देश-दुनिया में नई पहचान मिलेगी। प्रशासन इसके लिए न सिर्फ प्रोसेसिंग यूनिट लगाएगा बल्कि लोगों को शहद उत्पादन से जोड़ा भी जाएगा।
बरेली, जेएनएन। बरेली के शहद को देश-दुनिया में नई पहचान मिलेगी। प्रशासन इसके लिए न सिर्फ प्रोसेसिंग यूनिट लगाएगा, बल्कि लोगों को शहद उत्पादन से जोड़ा भी जाएगा। जिले में क्लस्टर बनाकर लोगों को उत्पादन व मार्केटिंग के गुर भी सिखाए जाएंगे। ब्रांड बनाकर ई-कॉमर्स साइट्स पर इसका प्रमोशन भी किया जाएगा।
बड़े पैमाने पर शहद उत्पादन के लिए भोजीपुरा को मॉडल के तौर पर चुना गया है। क्लस्टर बनाने के साथ ही प्रशासन यहां 12 लाख की लागत से प्रोसेसिंग यूनिट लगाएगा। शहद को बड़ी कंपनियों की तरह गुणवत्तापूर्ण बनाने के साथ ही उसकी शानदार पैकिंग भी कराई जाएगी, ताकि वह बाजार में दूसरे बड़े ब्रांडों को टक्कर दे सके। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) के विज्ञानी उत्पादकों को प्रशिक्षित कर शहद बॉक्स भी मुहैया कराएंगे। 10-15 लोगों का समूह बनाकर प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए उनको आर्थिक सहायता भी दी जाएगी। प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए मनरेगा के तहत टिन शेड बनाने की भी योजना है। ब्रांड बनाकर ई-कॉमर्स साइट्स पर इसका प्रमोशन भी किया जाएगा।
बागवानी के लिए किसानों को मिलेगा अनुदान
किसानों को मनरेगा से जोड़कर बागवानी की योजना बनाई गई है। इसके लिए सरकार तीन साल तक अनुदान देगी। लाभार्थियों को उद्यान विभाग में आवेदन करना होगा। किसानों को एक हेक्टेयर में आम-आंवला की बागवानी के लिए 51,253 रुपये अनुदान मिलेगा। पौधारोपण के बाद 35,813, दूसरे वर्ष 7920 और तीसरे वर्ष 7520 रुपये मिलेंगे। नीबू आदि की बागवानी करने वाले किसानों को 1,18,375 रुपये मिलेंगे। पहले वर्ष 69,877, दूसरे वर्ष 25,129 व तीसरे वर्ष 23,379 रुपये उद्यान विभाग देगा। अमरूद-बेर की बागवानी पर पहले साल 52,915, दूसरे वर्ष 20,255 और तीसरे वर्ष 18,155 रुपये दिए जाएंगे। इसके लिए किसान के परिवार में किसी एक सदस्य का मनरेगा जॉबकार्ड जरूरी है। सहायक उद्यान अधिकारी आनंद स्वरूप ने कहा कि एक हेक्टेयर में 100 पौधे लगाए जाएंगे। पौधे कम मिले तो धनराशि की कटौती कर दी जाएगी।