पहले घंटो की दूरी, अब चंद मिनटों में पूरी
श्यामगंज फ्लाईओवर पर वाहनों को फर्राटा भरते एक वर्ष पूरा हो गया है।
जेएनएन, बरेली: श्यामगंज फ्लाईओवर पर वाहनों को फर्राटा भरते एक वर्ष पूरा हो गया है। एक साल पहले 16 जनवरी को ही लोगों के लिए यह सहूलियत भरी डगर खुली थी। दो हिस्सों में बंटे शहर को इस पुल ने जोड़ा। आज यह पुल शहर की लाइफ लाइन बन चुका है। अब सिविल लाइंस से डेलापीर जाना या उधर से इधर आना लोगों के लिए मिनटों की बात रह गई है, जबकि पहले घंटों जाम की समस्या झेलते, तब कहीं जाकर श्यामगंज से ईट पजाया तक सफर तय कर पाते थे।
श्यामगंज पुल बन जाने से अब राजेंद्रनगर, जनकपुरी तक के ही नहीं, बल्कि दोहना तक के लोग यहीं से होकर सिविल लाइन आना पसंद करते हैं। एक साल पूरा होने पर बुधवार को 'जागरण' ने राहगीरों से बात की। उन्होंने पुल को शहर के लिए एक बड़ी सौगात बताया। यह भी कहा कि इस तरह के काम आगे भी प्राथमिकता के आधार पर होने चाहिए।
श्रेय लेने की होड़ रही लेकिन काम सराहा गया
श्यामगंज पुल बनने के बाद राजनीतिज्ञों में इसका श्रेय लेने की होड़ मची रही। वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल का कहना रहा कि श्यामगंज में जाम की समस्या को देखते हुए प्रस्ताव उन्होंने ही बनवाया था। डॉ. आइएस तोमर के महापौर रहते निर्माण को मंजूरी मिली और पुल बनना शुरू हुआ। उद्घाटन डॉ. उमेश गौतम के महापौर बनने पर हुआ। लोगों के दिल की बात
यह पुल बनना बहुत जरूरी था। इससे अब शहर आना आसान हो गया। वरना पहले काफी घूमकर और कुतुबखाना के जाम में फंसकर आते थे।
- सीमा श्रीवास्तव, दोहना पुल बनने से काफी राहत मिली है। अब स्टेडियम रोड पर या फिर श्यामगंज में कोई काम हो, एक ही बार में हो जाता है। जबकि पहले अगल-अलग जाना पड़ता था।
- जीसी शर्मा, यूनिवर्सिटी कैंपस यह पुल बनने काफी सहूलियत हुई है। इससे अब काफी कम समय में आना जाना होता है, जबकि पहले कहीं भी जाने के लिए काफी पहले निकलना पड़ता था।
- ज्योति श्रीवास्तव पुल बनने से जाम खत्म होने की उम्मीद थी, लेकिन ई-रिक्शा और ऑटो यहीं से गुजर रहे हैं। अफसरों को इन्हें भी ऊपर से गुजारना चाहिए। जिससे पुल का लाभ नीचे के लोगों को भी मिले।
- अनुज अग्रवाल, दुकानदार पुल बनाने में कुछ लापरवाही हुई है। जैसे पानी के पाइप खुले छोड़ दिए हैं। नीचे लाइट नहीं लगवाई है। सड़क भी खराब है। ई-रिक्शा को पुल के नीचे निकलने से रोका जाना चाहिए। इनसे बाजार प्रभावित हुआ है।
- राजीव ऐरन, दुकानदार