बरेली, जेएनएन। : राजकीय पक्षी सारस को नाथनगरी की आबोहवा कुछ अधिक रास आ रही है। लगातार चौथे वर्ष इनके कुनबे की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्ष हुई गणना के मुताबिक इस वर्ष 66 सारसों कीं संख्या बढ़ी है।
उत्तर प्रदेश वन एवं वन्यजीव विभाग ने 2010 में पहली गणना की। फिर प्रतिवर्ष इनके संरक्षण को गणना होती है। इसके लिए प्रदेश में सारस संरक्षण समिति का गठन हुआ। यह समिति पानी से तर रहने वाले स्थलों के विकास और संरक्षण के साथ सारस संख्या में वृद्धि के सभी कारकों में मदद करता है। हाल में ही सारस की गणना कराई गई। जिसमें सारस की संख्या अधिक पाई गई है। इस बार भी सारस के कई बच्चे मिले हैं।
इससे स्पष्ट है, सारस का कुनबा बरेली के तराई इलाके में बढ़ा है। वन अधिकारियों का जागरूकता अभियान रंग लाया है। 2019 दिसंबर में हुई गणना में बरेली में कुल 245 सारस थे। जिसमें 229 वयस्क और 16 अवयस्क मिले थे। जबकि इस बार हुई गणना में यह संख्या 311 रही। जिसमें 246 वयस्क और 65 अवयस्क मिले हैं। सबसे अधिक सारस फरीदपुर रेंज में मिले। यहां एक झुंड में कुल 224 सारस मिले।
दांपत्य प्रेम का प्रतीक है सारस: भारतीय वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ. आरके सिंह बताते हैं कि सदैव जोड़े के साथ रहने वाला सारस (क्रेन) सामाजिक पक्षी है। यह जीवन काल में एक ही साथी के साथ आजीवन समय व्यतीत करता है। साथी से बिछड़कर यह खाना-पीना छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में कई बार इनकी मौत भी हो जाती है। कीटनाशी रसायनों के प्रयोग से सारस की संख्या में कमी हुई थी। इसलिए इसके संकटग्रस्त प्रजाति घोषित कर संरक्षण शुरू किया गया है।
इस तरह बढ़ा कुनबा
2017 - 152
2018 -158
2019 - 245
2020 - 311
किसानों व पर्यावरण का मित्र है सारस
नम क्षेत्रों व खेतों में रहने वाला सारस पानी में पैदा होने वाली वनस्पति व उसकी जड़ खाते हैं। मेढक, मछली, छिपकली, सांप घोंघा तथा फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े मकोड़े भी इनका भोजन है। फसलों को दानों को भी यह चुगते हैं। सारस की उपस्थिति से फसल कीटों से सुरक्षित रहती है। इससे वातावरण भी सुरक्षित व संरक्षित रहता है।
यहां मिले इतने सारस
फरीदपुर 224
बरेली सदर 31
नबाबगंज 31
मीरगंज 10
आंवला 02
बहेड़ी 13
सारस की बढ़ती संख्या पर्यावरण के लिए शुभ संकेत है। विभाग की ओर से किए जागरूकता कार्यक्रम का असर दिखने लगा है। - भारत लाल, डीएफओ
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