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टेक्सटाइल पार्क लाएगा खुशहाली का उजाला

साढ़े तीन साल से लटके हुए टेक्सटाइल पार्क को लेकर उम्मीदें नये सिरे से परवान चढ़ी हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 10:49 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 10:49 AM (IST)
टेक्सटाइल पार्क लाएगा खुशहाली का उजाला
टेक्सटाइल पार्क लाएगा खुशहाली का उजाला

जागरण संवाददाता, बरेली: साढ़े तीन साल से लटके हुए टेक्सटाइल पार्क को लेकर उम्मीदें नये सिरे से परवान चढ़ी हैं। उद्यमियों ने तरक्की के एतबार से अत्यंत महत्वपूर्ण इस प्रोजेक्ट की अड़चन से कमिश्नर रणवीर प्रसाद को अवगत कराया। तय हुआ कि विभाग और शासन स्तर पर बात करके कोई न कोई हल जल्द निकाल लिया जाएगा। उसके लिए जिम्मेदारी तय कर दी गई है। इस प्रोजेक्ट के शुरू होते ही जिले को तरक्की की तरफ से ले जाने का रास्ता साफ हो जाएगा। बरेली के साथ बदायूं और शाहजहांपुर जिले को भी फायदा पहुंचेगा। उन जरी कारीगरों की जिंदगी में नया उजाला आएगा, जो पलायन करके काम की तलाश में हरियाणा और पंजाब का रुख कर रहे हैं या फिर रोजी-रोटी कमाने के लिए दूसरे क्षेत्र में हाथ-पैर मार रहे हैं।

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प्रोजेक्ट पर नजर

124 करोड़ का प्रोजेक्ट

400 करोड़ प्रतिवर्ष व्यापार का लक्ष्य

50 नई इकाइयां स्थापित होगी पार्क में

46 करोड़ केंद्रीय वस्त्र एवं हथकरघा मंत्रालय देगा

2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिखाई हरी झंडी

यह बना था खाका

इस बेल्ट में जरी-जरदोजी के कारीगरों की बहुतायत है। उसको सामने रखते हुए टेक्सटाइल पार्क की स्थापना का फैसला हुआ। राज्य सरकार के प्रस्ताव को केंद्र सरकार से भी मंजूरी मिल गई। इनवेस्टर खोजे जाने के बाद जमीन खरीदी गई। तैयारी यह थी कि एक्सपोर्ट क्वालिटी के कपड़े बरेली में तैयार किए जाएंगे। उसके लिए टेक्सटाइल पार्क में 50 इकाइयां खोली जाएंगी। बड़े एक्सपोर्टर को भी बुलाया जाएगा। कारीगरों के साथ उद्यमियों को भी फायदा पहुंचेगा।

अर्जेटीना और कनाडा को एक्सपोर्ट

वियतनाम, बांग्लादेश, कंबोडिया की तरह अपने जिले से भी फ्यूजन गारमेट तैयार करके विदेश में एक्सपोर्ट की योजना है। उसके लिए टेक्सटाइल पार्क में एक्सपोर्टर को भी आमंत्रित किया गया है। वे आर्डर देकर जॉब वर्क पर माल तैयार करा सकते हैं।

मीरगंज के गांव रहपुरा में बनेगा

केंद्रीय मंत्री एवं सांसद संतोष गंगवार के गोद लिए गांव रहपुरा जागीर में 39 एकड़ जमीन खरीदी जा चुकी है। प्रोजेक्ट मंजूर होने के बाद काम शुरू नहीं हो सका है, क्योंकि बीडीए ने अड़ंगा लगा दिया है।

यह आ रही है दिक्कत

प्रोजेक्ट में बीडीए ने भू-उपयोग का पेच फंसा दिया है। इस प्रोजेक्ट में पैसा लगाने वाले कारोबारियों की माने तो पार्क को महायोजना में शामिल तो कर लिया गया है। बीडीए भू-उपयोग में परिवर्तन संबंधी कोई गाइडलाइन पेश नहीं कर रहा है। भू-उपयोग परिवर्तन में 30 मीटर चौड़ी रोड न होना बाधा बन रहा है। बाद में हल निकला कि सड़क की चौड़ाई 12 मीटर करा ली जाए। सड़के के दोनों तरफ तीन-तीन मीटर रिजर्व लैंड रहेगी। जिससे आवास एवं शहरी विकास बीडीए की मार्फत 18 मीटर चौड़ी सड़क भविष्य में बना सके।

30 कंपनियां जता चुकी निवेश की इच्छा

प्रस्तावित पार्क से निवेश के कई रास्ते खुलेंगे। बरेली और दिल्ली, पंजाब तक की 30 कंपनिया निवेश करने की इच्छा भी जता चुकी हैं। लेटलतीफी के कारण निवेशक परेशान हैं। विशेष औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने में अनुमानित तौर पर 124 करोड़ रुपये की लागत आ रही है, जिसमें से केंद्रीय वस्त्र एवं हथकरघा मंत्रालय 46 करोड़ रुपये देगा। शेष राशि स्थानीय डेवलपर्स का समूह निवेश करेगा।

400 करोड़ के व्यापार का खुलेगा रास्ता

टेक्सटाइल पार्क प्रोजेक्ट से जुड़े कारोबारी दिनेश गोयल बताते हैं कि इस पार्क के बनने के बाद जरी जरदोजी और कपड़ा उद्योग से लगभग 400 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का कारोबार होगा। पार्क में लगभग 50 यूनिट स्थापित की जा सकती हैं। काम नहीं होने के कारण जो कारीगर आज पलायन को मजबूर हैं, उन्हें फिर से इससे जोड़ा जा सकेगा। शहर के विकास को भी रफ्तार मिलेगी।

ऐसे होगा समाधान

टेक्सटाइल पार्क का समाधान दो तरह से हो सकता है। एक तो विभाग प्रस्ताव कैबिनेट में लाने के लिए शासन को भेज दे या फिर बीडीए इसे अपनी सीमा के बाहर कर दे। एक रास्ता यह भी है कि बीडीए 2021 के मास्टर को लागू करते हुए आगे व्यवस्था कर दे कि भू-उपयोग बदल देंगे।

उपायों पर कमिश्नर करेंगे बात

कमिश्नर ने आश्वस्त किया कि तीनों समाधान को सामने रखकर कोई न कोई हल निकाल लेंगे। उन्होंने बीडीए और आवास विकास के अफसरों से भी बात की है।

कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव

विभागीय स्तर पर तय हो गया है कि टेक्सटाइल पार्क के भू उपयोग परिवर्तन के प्रस्ताव को कैबिनेट में रखे जाने के लिए भेजा जाएगा। 12 मीटर की सड़क के आधार पर ही ऐसा कर दिया जाएगा। प्रस्ताव इसी कैबिनेट में पास कराने की तैयारी है।

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भू उपयोग परिवर्तन का प्रस्ताव बोर्ड में पास करने के बाद दो साल चार माह पहले ही शासन को भेज चुके हैं। अभी उस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। निश्चित ही यह प्रोजेक्ट बरेली का भविष्य बदल देगा।

डॉ. सुरेंद्र कुमार पांडेय, उपाध्यक्ष, बरेली विकास प्राधिकरण

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-टेक्सटाइल पार्क के गतिरोध को दूर कराने के लिए सभी अपने-अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द प्रोजेक्ट जमीन पर उतर आएगा और बरेली की तरक्की का रास्ता साफ हो जाएगा।

दिनेश गोयल, उद्यमी

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टेक्सटाइल पार्क स्थापित होने के बाद शहर के जरी-जरदोजी के कारीगरों को काफी फायदा होगा। उन्हें यहां निवेशक मिल जाएंगे। साथ ही रॉ मैटेरियल भी सस्ता उपलब्ध होगा। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी विभागों की कोशिश है कि इसे जल्द से जल्द स्थापित करवाया जाए।

- अनुज कुमार, उपायुक्त, जिला उद्योग


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