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बंदरों के आतंक और मच्छरों की ‘एयर स्ट्राइक’ से स्वास्थ्य विभाग ढेर Bareilly News

इवेक्स और बंदरों से फैलने वाले प्लाज्मोडियम नोवेल्सी का परजीवी लगभग समान होने पर मरीजों की मंकी मलेरिया की भी जांच कराने की तैयारी है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 09:37 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 09:37 AM (IST)
बंदरों के आतंक और मच्छरों की ‘एयर स्ट्राइक’ से स्वास्थ्य विभाग ढेर Bareilly News
बंदरों के आतंक और मच्छरों की ‘एयर स्ट्राइक’ से स्वास्थ्य विभाग ढेर Bareilly News

बरेली, जेएनएन : दर्जनों काबिल डॉक्टर। सैकड़ों दक्ष मेडिकल स्टाफ। इलाज के भारी-भरकम संसाधन, दवाइयां और जांच की सुविधा। सब तो है स्वास्थ्य महकमे के पास। फिर भी पूरा विभाग और तमाम संसाधन एक मच्छर के आगे बेबस हैं। प्लाज्मोडियम वाइवेक्स तो पेशानी पर बल दे ही रहा है। ऊपर से एक नया खौफ मंकी मलेरिया का। वाइवेक्स और बंदरों से फैलने वाले प्लाज्मोडियम नोवेल्सी का परजीवी लगभग समान होने पर मरीजों की मंकी मलेरिया की भी जांच कराने की तैयारी है।

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वाइवेक्स व नोवेल्सी की समान है संरचना

एंटोमोलॉजिस्ट डॉ. दीपक के अनुसार प्लाज्मोडियम वाइवेक्स और प्लाज्मोडियम नोवेल्सी परजीवी की संरचना काफी समान है। मरीजों की जांच में अधिकतर वाइवेक्स के मरीज निकल रहे हैं। इसके चलते जरूरी है कि एक बार प्लाज्मोडियम नावेल्सी की भी जांच करा लेनी चाहिए। हालांकि यह पैरासाइट अपने देश में अब तक नहीं आया है।

छह महीने में निकले 12 हजार मरीज

बीते साल वाइवेक्स से 20 हजार से अधिक लोग बुखार की चपेट में आए थे। प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के भी 17 हजार से अधिक मरीज सामने आए थे। विभाग के नियमित सक्रियता के दावों के बावजूद बीते छह महीने में ही 12 हजार मरीज सिर्फ वाइवेक्स के निकले हैं। गनीमत यह है कि खतरनाक फाल्सीपेरम के करीब डेढ़ सौ मरीज निकले, जो समय पर उपचार मिलने से स्वस्थ हैं।

मलेरिया के सोर्स पर असमंजस

मलेरिया का वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर है। इसका सोर्स मनुष्य है। स्वास्थ्य विभाग इस बात पर चिंतित है कि मरीज को नियमित दवा देने के बावजूद मच्छर यह बीमारी कहां से ला रहे हैं।

दस को आएंगे स्वास्थ्य मंत्री, करेंगे समीक्षा

पिछले साल से मलेरिया को लेकर संवेदनशील रहे जिले का हाल लेने स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह दस अगस्त को शहर पहुंचेंगे। वहां अधिकारियों के साथ योजनाओं की समीक्षा करेंगे। उनके द्वारा जिला अस्पताल व महिला अस्पताल का निरीक्षण करने की भी संभावना जताई जा रही है।

जिले में पिछले साल मलेरिया का जबरदस्त प्रकोप रहा था। कई लोगों की मौत हुई थी। तब 11 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। इस बार स्वास्थ्य मंत्री दस अगस्त को शहर पहुंचेंगे। सुबह 11 बजे सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्यक्रमों में जुलाई तक की प्रगति के बारे में जानकारी भी लेंगे। संभावना है कि वह जिला अस्पताल का निरीक्षण भी करें।

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नेताओं से सिफारिश कराई तो सर्विस बुक में होगा चस्पा

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को नेताओं से सिफारिश करवाना महंगा पड़ेगा। सिफारिशी पत्र उनकी सर्विस बुक में चस्पा कर दिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री के लखनऊ में इस संबंध में दिए बयान से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची है। तबादले रुकवाने, मनचाही तैनाती, किसी को हटवाने समेत तमाम अन्य कामों के लिए नेताओं से सिफारिश कराई जाती रही है।

स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कुछ दिन पहले ही लखनऊ में समीक्षा बैठक के दौरान इस पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने अधिकारियों से कहा था, अगर कोई कर्मचारी नेताओं की सिफारिश लेकर आता है तो उसकी सेवा पुस्तिका में प्रतिकूल प्रवृष्टि दर्ज कर दी जाए। इसके साथ ही सिफारिश पत्र को सेवा पुस्तिका में चस्पा कर दिया जाए।

बदायूं में अधोमानक किट से मलेरिया की जांच

मंडल का जिला बदायूं में भी पिछले साल मलेरिया का जबरदस्त प्रकोप रहा। बावजूद इसके अधिकारी इस बार भी लापरवाही पर उतारू हैं। वहां मरीजों की जांच अधोमानक किट से हो रही थी। जेडी की जांच में गड़बड़ी पकड़े जाने के बावजूद स्वास्थ्य महकमे ने शासन से बात छिपा दी। मामले की जानकारी होने पर महानिदेशक ने एडी हेल्थ को जांच कर दोबारा रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं।

पिछले साल बरेली के साथ ही बदायूं में भी मलेरिया की भयावह स्थिति रही थी। शासन इस बार शुरू से ही मलेरिया को लेकर अलर्ट हैं, लेकिन बदायूं में तैनात स्वास्थ अधिकारी नहीं। बीते दिनों 24 जुलाई को संयुक्त निदेशक डॉ. हरीश चंद्रा ने बदायूं का निरीक्षण किया था। वहां सीएमओ, एसीएमओ व डिप्टी सीएमओ उपस्थित नहीं मिले। पता चला कि कुछ अधिकारी बरेली तो कुछ मुरादाबाद से आते हैं। इसे लापरवाही माना जा रहा है।

वाइवेक्स के मरीज निकल रहे : सीएमओ 

सीएओ डॉ. विनीत शुक्ल ने कहा कि मलेरिया नियंत्रण के लिए जिले भर में लगातार टीमें लगी हैं। हर मरीज की जांच व उपचार हो रहा है। फिर भी वाइवेक्स के मरीज निकल रहे हैं। एहतियात के तौर पर नोवेल्सी की जांच के लिए सैंपल भेजा जाएगा।

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