हलाला-फतवा : प्रधानमंत्री से बेटियों ने मांगा इंसाफ, तीन तलाक के साथ बंद हो हलाला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से से बेटियों ने इंसाफ की मांग की और कहा कि तीन तलाक के साथ हलाला की कुरीति को भी बंद होना चाहिए।
बरेली (जेएनएन)। प्रधानमंत्री जी, बेटियों पर जुल्म हो रहा है। पहले उन्हें तीन तलाक कहकर एक झटके में शौहर अपनी जिंदगी से बाहर कर देते हैैं। फिर उन्हें हलाला के लिए मजबूर किया जा रहा है। जिस तरह से तीन तलाक पर रोक को कानून बन रहा है, वैसे ही हलाला के लिए भी बने...। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह मांग आला हजरत खानदान की पूर्व बहू निदा खान और केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन फरहत नकवी ने की है।
महिलाओं पर जुल्म का जिक्र
शाहजहांपुर में शनिवार को किसान कल्याण रैली में प्रधानमंत्री के आने से पहले निदा खान ने उन्हें ट्वीट किया है। जिस महिला के साथ ससुर ने हलाला किया, उस समेत तमाम महिलाओं पर हुए जुल्म का जिक्र किया है। बताया है कि शौहर अपनी पत्नी को छोटी-छोटी बातों पर तलाक दे रहे हैैं। कोई पढऩा चाहती है तो उसकी यह ख्वाहिश तलाक का सबब बन जाती है। खाने में नमक कम रह गया है या पीने के लिए पानी देने में देर हुई तो आनन-फानन में तीन तलाक बोल देते है। बाद वाली स्थिति इससे ज्यादा खतरनाक है। साथ रखने या गुजारे का इंतजाम करने की मांग पर देवर, ससुर या इस तरह के दूसरे रिश्तेदारों के साथ हलाला कराया जाता है। यह सब शरीयत की आड़ में हो रहा है। उलमा भी महिलाओं के बजाय शौहरों की हिमायत करते हैैं। उनके हक में फतवे जारी कर दिए जाते हैैं।
महिलाओं की स्थिति बताने का प्रयास
फरहत नकवी का कहना है कि वह रैली में जाकर पीएम को महिलाओं की स्थिति बताने का प्रयास करेंगी। उनके सामने रजिया की स्थिति रखेंगी, जिसे तलाक देने के बाद शौहर ने घर में कैद कर लिया। उस पर इतने जुल्म ढहाये की हड्डियों का ढांचा बन गई। जवानी में ही दम तोड़ दिया। बरेली की इन दोनों बेटियों का कहना है कि प्रधानमंत्री मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने की बात अपनी जनसभाओं में कहते रहे हैैं। बता दें कि दोनों ही पीडि़त बेटियां अपनी जैसी तमाम महिलाओं के लिए उम्मीद की नई रोशनी बन गई हैैं। उनके लिए सिस्टम और उलमा दोनों से लड़ रही हैैं।
डंडे के बल पर लागू नहीं कराएंगे शरीयत का हुक्म
तीन तलाक और हलाला पर देश भर में शोर मचने के बाद उलमा-ए-कराम ने अब हर जुमे को शरीयत पर रोशनी डालने का फैसला किया है। दरगाह आला हजरत के संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा के पैगाम पर जुमे को मस्जिदों में यह नजारा दिखा भी। शहर से लेकर गांवों तक की मस्जिदों में इमाम हजरात ने शरीयत के बारे में बयान फरमाया। कुरान शरीफ के हवाले से तलाक और हलाला के मायने समझाए। बरेली में जामा मस्जिद में तकरीर करते हुए शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने कहा कि दरगाह आला हजरत से फतवे जारी होते रहे है और होते रहेंगे। फतवों के जरिये शरीयत के हुक्म को सामने रखते हैैं। इसी तरह का एक फतवा हलाला को लेकर दिया गया है। इसमें किसी का नाम नहीं था। सवाल किया गया था और उसका जवाब था। जिन्होंने भी बयान देकर हलाला पर गलत बयानी की थी, उन पर शरीयत का क्या हुक्म लागू होगा, यह बताया था। शरीयत का हुक्म बताना उलमा का काम है। हमने अपना काम कर दिया। अब उसे मानना उन लोगों का काम है, जिन्होंने शरीयत की मुखालफत की है। शहर इमाम ने यह भी साफ किया कि शरीयत का हुक्म डंडा लेकर लागू नहीं कराया जा सकता। फतवा रहमत है, किसी पर जुल्म नहीं है। न ही उसे जबरन लागू कराएंगे। इसी तरह शहर की अन्य मस्जिदों में भी निकाह और हलाला से जुड़े मसाइल पर रोशनी डाली गई।