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चाय की चुस्की में और बढ़ी 'गर्माहट'

गर्मी के मौसम में वैसे तो चाय की खपत ठंडी पड़ जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद जैसे ही अनलॉक का दौर शुरू हुआ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 02:54 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 05:07 AM (IST)
चाय की चुस्की में और बढ़ी 'गर्माहट'
चाय की चुस्की में और बढ़ी 'गर्माहट'

बरेली, जेएनएन : गर्मी के मौसम में वैसे तो चाय की खपत ठंडी पड़ जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद जैसे ही अनलॉक का दौर शुरू हुआ। चाय की चुस्की की गर्माहट बढ़ती गई। इसकी दो वजह रहीं। पहला, कोरोना संक्रमण से बचाव की बात पता चलने पर लोगों ने चाय ज्यादा पीनी शुरू की। दूसरा, आसाम और पश्चिम बंगाल में चाय के बागान में काम करने वाले लोगों में कमी आई। इससे उत्पादन और सप्लाई पर असर पड़ा। ऐसे में चाय की पत्ती के दाम में प्रति किलो 40 से 50 रुपये तक इजाफा हुआ। हालांकि, एक महीने बाद दाम फिर से कम होने की उम्मीद जताई जा रही है। रामपुर व हल्द्वानी तक बरेली से सप्लाई

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बरेली में थोक चाय का बड़ा कारोबार है। थोक के 10 एवं 20 से अधिक रिटेल कारोबारी हैं। जहां खुली चाय पत्ती बिकती है। किराना दुकानों व शॉपिग मॉल में कंपनियों की पैक्ड चाय पत्ती बिकती है। आसाम टी कंपनी के अंकित मोदी ने बताया कि जुलाई से अक्टूबर माह चाय के उत्पादन का सीजन रहता है। चूंकि, लॉकडाउन में आसाम व पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों का पलायन हुआ है। इस कारण इसका असर उत्पादन पर पड़ा है। दूसरी ओर मार्च, अप्रैल व मई में लॉकडाउन की वजह से काम बंद रहा। इससे सप्लाई व उत्पादन पर असर पड़ा है। इन कारणों से खुली चाय के दाम 40 से 50 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गए हैं। एक माह की खपत 1.25 लाख किलो

थोक बाजार व कंपनियों की पैक्ड चाय पत्ती को मिलाकर प्रति माह औसत 1.25 लाख किलो चाय पत्ती की खपत शहर व आसपास के 150 किमी के क्षेत्र के नगर व गांवों में होती है। बता दें कि कोरोना काल में घरों से लेकर होटल और रेस्टोरेंट में चाय की मांग बढ़ी थी। जो कि अब पहले की अपेक्षा कम हो गई है। इसलिए बढ़ गए दाम

चाय कारोबारियों के मुताबिक उनके पास पूर्व का जो स्टॉक था, वो लॉकडाउन में मिली छूट के दौरान खपत में आ गया। इसके अलावा जब अनलॉक में बाजार में दुकाने खुलीं, तो चाय की खपत बढ़ गई। वैसे गर्मी में चाय की मांग कम होती है, लेकिन चाय पत्ती की आपूर्ति न होने व मांग कायम रहने से दाम बढ़े। चाय बागान से मजूदरों के पलायन करने से उनमें चाय की पत्ती खराब हो गई। जिसके कारण भी चाय मार्केट में उछाल आया है। असम से लेकर बंगाल व दार्जिलिग तक चाय के बाग में मजदूर न होने से चाय पत्ती की आपूर्ति प्रभावित हुई। एक नजर आंकड़ों पर

थोक कारोबारी - 10

रिटेल कारोबारी - 20 से अधिक

एक महीने में खपत - 1.25 लाख किलो

वार्षिक टर्नओवर - 50 करोड़ इतने बढ़े दाम

40 से 50 रुपये प्रतिकिलो तक बढ़े सामान्य चाय के दाम।

30 से 50 रुपये प्रतिकिलो तक बढ़े कंपनियों की पैक्ड चाय के दाम। ये हैं दाम

240 रुपये किलो वाली चाय पत्ती अब 300 रुपये किलो।

300 से 450 रुपये से अधिक कंपनियों की पैक्ड चाय। ------------

बरेली के थोक बाजार से 150 किलोमीटर तक में चाय की डिलीवरी की जाती है। आसाम व दार्जिलिग के साथ पश्चिम बंगाल से ही रेट में बढ़ोत्तरी हुई है। जिसका असर साफ दिख रहा है। - कोविड मोदी, ग्लोरी टी कंपनी लॉकडाउन में पत्ती की कटिग न हो पाने, बाद में बारिश से नुकसान और नीलामी केंद्रों में अधिक बोली लगने से चाय पत्ती के दाम में इजाफा हुआ है। गर्मियों में अच्छी डिमांड होने के साथ आवक कम भी दाम बढ़ोत्तरी का कारण है। - अंकित मोदी, आसाम टी कंपनी


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