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Tantra Ke Gan : बरेली में बीबीए के छात्रों ने जेब खर्च से चमका दिए जरुरतमंदो के रोजगार

Tantra Ke Gan होप्स एंड ड्रीम्स यानी उम्मीद व सपने. जैसा नाम वैसा काम। लॉकडाउन में यह संस्था परेशान लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनी। रोजगार देकर उनके सपनों को टूटने नहीं दिया। संस्था चलाने वाले छात्रों ने अपने जेब खर्च से लोगों के रुके काम शुरू कराए।

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 10:29 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 10:29 AM (IST)
Tantra Ke Gan : बरेली में बीबीए के छात्रों ने जेब खर्च से चमका दिए जरुरतमंदो के रोजगार
Tantra Ke Gan : बरेली में बीबीए के छात्रों ने जेब खर्च से चमका दिए जरुरतमंदो के रोजगार

बरेली, अशोक आर्य। Tantra Ke Gan : होप्स एंड ड्रीम्स यानी उम्मीद व सपने. जैसा नाम वैसा काम। लॉकडाउन में यह संस्था परेशान लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनी। उन्हें रोजगार देकर उनके सपनों को टूटने नहीं दिया। संस्था चलाने वाले छात्रों ने अपने जेब खर्च से तमाम लोगों के रुके हुए काम शुरू कराए। उनकी लगातार मदद की, जिसकी बदौलत उन लोगों का रोजगार चमक गया। होप्स एंड ड्रीम्स चैरीटेबल ट्रस्ट चलाने वाले बीबीए के छात्र ऋषभ नारायण सिंह और विभूति अग्रवाल आज अपने साथ करीब सवा सौ छात्र-छात्रओं को जोड़ चुके हैं। उनकी संस्था गरीबों को भोजन कराने और महिलाओं को सेनटरी नैपकिन बांटने का काम भी कर रही है।

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चाय चौक खोला तो होने लगी आमदनी

शहर के एक स्कूल में ड्राइवर रहे यशपाल की लॉकडाउन में नौकरी छिन गई। उनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं बचा। छात्रों की इस संस्था के संपर्क में आने पर उन्होंने यशपाल को चाय का स्टाल लगाने में मदद की। डीआइजी कार्यालय से कैंट वाली सड़क पर चाय चौक खुलवाया। इतना ही नहीं उसकी चाय का प्रचार भी इन छात्र-छात्रओं ने किया। अब यशपाल चाय चौक से अच्छी आमदनी कर रहे हैं।

महेंद्र को दिया सहारा, बनवाई रसोई

गांधी नगर में विधायक आवास के पास सीबीगंज निवासी महेंद्र कई साल से छोटा होटल चलाते हैं। हर साल बारिश में उनके होटल पर पानी भर जाता था। लॉकडाउन में काम बंद हो गया। सात महीने खाली बैठना पड़ा। महेंद्र पाई-पाई को मोहताज हो गए। तब छात्रों की संस्था ने उसकी मदद की। उनका होटल ठीक कराया और नौ इंच ऊंचा फ्लोर भी बनवा दिया। महेंद्र वहां आमदनी के साथ ही परिवार समेत रह भी रहे हैं।

तेजी से चल पड़ा दादी का ढाबा

स्टेडियम रोड पर खुशलोक अस्पताल के सामने बुजुर्ग सुमन लता राजमा-चावल, छोले-चावल का ठेला लगाती थी। परिवार में मात्र एक पोता है। बहुत ज्यादा आमदनी नहीं हो पाती थी। लॉकडाउन के दौरान सारा काम बर्बाद हो गया। भूखे मरने की नौबत आ गई। तब संस्था ने वृद्धा की मदद की। महीने भर का राशन और बर्तन दिए। उनका ठेला भी ठीक करवाया। आज उनके ठेले पर भीड़ उमड़ती है। दादी के ढाबे का वीडियो छात्रों ने इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल किया था।


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