Jagran Special : मोबाइल एप से रखिए बेजुबानों का ख्याल
आइवीआरआइ ने मोबाइल एप आइवीआरआइ वैक्सीनेशन गाइड लॉच किया है। इसमें करीब एक दर्जन पशुओं की बीमारी और वैक्सीन के बारे में जानकारी मिलती है।
दीपेंद्र प्रताप सिंह, बरेली : इंसान और जानवरों का रिश्ता सदियों पुराना है। वे एक-दूसरे के पूरक भी हैं। अपनी जरूरतों, स्नेह और कभी शौक के लिए करोड़ों लोग जानवर रखते हैं। बड़ी तादाद में लोग अपने जानवरों को प्यार तो बेशुमार करते है मगर उनके स्वास्थ्य को लेकर अंजान बन रहते हैैं। जो सजग भी हैं, उन्हें भी वैक्सीनेशन व अन्य जरूरतें पता नहीं होती। पशु चिकित्सक की जानकारी खोजना दूसरी बात। इसी मुश्किल को केंद्रीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) ने दूर करने के लिए मोबाइल एप 'आइवीआरआइ वैक्सीनेशन गाइड लॉच किया है। इसमें करीब एक दर्जन पशुओं की बीमारी और वैक्सीन के बारे में जानकारी मिलती है।
बेजुबानों की बीमारी पता करने में मददगार
कई बार पालतू जानवर परेशानी में होता है। मगर बेजुबान होने के कारण उनकी असल समस्या का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। एप में हर बीमारी के शुरुआती लक्षण और इसकी वजह के बारे में भी बताया गया है। ताकि वैक्सीनेशन के जरिए समय पर उपचार हो सके। आइवीआरआइ के वैज्ञानिक जानवरों की सेहतमंद और लंबी उम्र के लिए समय पर वैक्सीनेशन अहम मानते हैं। अधिकतर जानवरों में यह हर छह महीने में होती है।
एक क्लिक पर समस्या का समाधान
इसी साल लॉच हुई आइवीआरआइ वैक्सीनेशन गाइड में दुधारू और मांस व्यवसाय से जुड़े पशुओं को लिया है। इसमें गाय, भैंस, बकरी, कुक्कुट, सुअर आदि जानवर शामिल हैं। इसके अलावा घोड़े, ऊंट, कुत्ता, बिल्ली और याक जैसे जानवरों को होने वाली बीमारी, इसकी वजह और निदान के लिए उचित वैक्सीनेशन और तरीके के बाबत एक क्लिक पर ही जानकारी मिलती है।
एप पर हेल्पलाइन नंबर भी मौजूद
अगर आप अपने जानवर के व्यवहार में आ रहे बदलाव को लेकर परेशान है। इलाके में कोई अच्छा पशु चिकित्सक नहीं या वो बीमारी पकड़ नहीं पा रहा। ऐसी स्थिति में भी एप फायदेमंद है। वजह, इसमें हेल्पलाइन का नंबर भी दिया गया है। इसकी मदद से आप संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर से बात कर उचित इलाज और नजदीकी पशु चिकित्सक की जानकारी हासिल कर सकते हैं।
पशु पालकों की मदद के लिए तैयार किया गया
बेहद कम पशु पालक वैक्सीन के प्रति जागरूक हैं। आइवीआरआइ का वैक्सीनेशन गाइड एप पशु पालकों की मदद के लिए है। जरूरत पडऩे पर वैज्ञानिकों और डॉक्टरों से सलाह भी ले सकते हैं।-डॉ. राजकुमार सिंह, निदेशक, आइवीआरआइ