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पेड़ पौधों से बनने वाली दवाओं को जानेंगे छात्र

बरेली, जेएनएन : फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने डिप्लोमा इन फार्मेसी (डी फार्मा) विषय में बड़ा बदलाव क

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 02:41 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 02:41 AM (IST)
पेड़ पौधों से बनने वाली दवाओं को जानेंगे छात्र
पेड़ पौधों से बनने वाली दवाओं को जानेंगे छात्र

बरेली, जेएनएन : फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने डिप्लोमा इन फार्मेसी (डी फार्मा) विषय में बड़ा बदलाव किया है। एजुकेशन रेगुलेशन 2020 में डी फार्मा से हेल्थ एजुकेशन विषय हटाते हुए फार्माकॉगनोसी विषय शामिल किया है। इसमें छात्र-छात्राएं पेड़ पौधों से बनने वाली दवाओं के बारे में पढ़ाई करेंगे। इसके अलावा दो साल के इस कोर्स में ट्रेनिग का समय भी 750 से घटाकर 500 घंटे कर दिया गया है।

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बरेली में करीब 10 कॉलेजों में डी फार्मा कोर्स की पढ़ाई होती है। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमित कुमार वर्मा ने बताया कि नौ अक्टूबर को फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से जारी एजुकेशन रेगुलेशन 2020 में कई परिवर्तन किए गए हैं। अभी तक बीफार्मा के डिग्री कोर्स में फार्माकॉगनोसी विषय पढ़ाया जाता था, उसे डिप्लोमा इन फार्मेसी में भी इसे शामिल कर लिया गया है। इसके अलावा मरीजों को दी जाने वाली दवाओं की डोज के बारे में भी छात्र जान सकें, डोजेस फार्म डिजाइन भी जोड़ा गया है। स्वास्थ्य शिक्षा विषय हटाना सही नहीं

असिस्टेट प्रोफेसर बताते हैं कि डीफार्मा से स्वास्थ्य शिक्षा विषय को हटा लिया गया है। यह सही नहीं है। क्योंकि डीफार्मा पास अभ्यर्थियों को ज्यादातर अस्पताल और मेडिकल स्टोर में कार्य करना होता है। जहां स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं की जानकारी जरूरी है। इसके अलावा डीफार्मा में प्रशिक्षण के घंटे भी कम कर दिए गए हैं। इतने कम समय में दवाओं का ज्ञान भी अपर्याप्त है।


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