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Badaun Traffic Police News : बदायूं में नाबालिग और नौसिखियों के हाथ में मौत का स्टेयरिंग, मूकदर्शक बने जिम्मेदार

Badaun Traffic Police News जिले में यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है बावजूद यातायात नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। सड़कों पर तोड़े जा रहे यातायात के नियम ट्रैफिक पुलिस को मुंह चिढ़ा रहे है। यहीं वजह है

By Ravi MishraEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 03:00 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 03:00 PM (IST)
Badaun Traffic Police News : बदायूं में नाबालिग और नौसिखियों के हाथ में मौत का स्टेयरिंग, मूकदर्शक बने जिम्मेदार
Badaun Traffic Police News : बदायूं में नाबालिग और नौसिखियों के हाथ में मौत का स्टेयरिंग

बरेली, जेएनएन। Badaun Traffic Police News : बदायूं में यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है, बावजूद यातायात नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। सड़कों पर तोड़े जा रहे यातायात के नियम ट्रैफिक पुलिस को मुंह चिढ़ा रहे है। यहीं वजह है कि मौत का स्टेयरिंग नाबालिग और नौसिखिया थामे हुए हैं। जबकि जिम्मेदार मूकदर्शक बने हुए हैं।

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बदायूं के इलाकों में इन दिनों ई-रिक्शा चालकाें की बाढ़ सी आ गई है। ई-रिक्शा के परिचालन से लोगों को जहां एक ओर यातायात की सुविधा मिल रही है तो वहीं दूसरी ओर हादसे के सबब भी ई-रिक्शा ही बन रहे है। इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकांश ई-रिक्शा नाबालिग और अनुभवहीन चला रहे हैं। नाबालिगों द्वारा ई-रिक्शा चलाने के कारण सड़क हादसों की आशंका बनी रहती है। बिना अनुभव के ही ई-रिक्शा के परिचालन से कभी भी दुर्घटनाएं घटित हो सकती हैं।

नाबालिगों द्वारा आए दिन किसी दूसरे वाहन में टक्कर मारना और ई-रिक्शा को पलटने की कई बार घटनाएं हो चुकी है। इसके चलते ई-रिक्शा पर बैठे यात्रियों की जान को खतरा बन आया है। सबसे आश्चर्य की बात है कि नगर की सड़कों पर दिन भर नाबालिग ई-रिक्शा चलाते हैं और पुलिस प्रशासन की नजर भी पड़ती है। लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता। जबकि नाबालिग चालकों को वाहन चलाते पकड़े जाने पर कार्रवाई का भी प्रावधान है। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हो रहा। इसके चलते नगर में ई-रिक्शा चलाने वाले नाबालिग चालकों की संख्या बढ़ती जा रही है।

दोगुनी सवारी बैठने पर बिगड़ता नियंत्रण

शहर में दौड़ रहे ई-रिक्शा के स्टेयरिंग पर अधिकांश नाबालिग देखने को मिल जाएंगे। भले ही वह दो वक्त की रोजी रोजी कमाने के लिए ई-रिक्शा की कमान थामे हुए लेकिन इसमें स्वंय उनका और उसमें बैठने वाली सावारियों का जान का खतरा बना हुआ रहता है। एक ई-रिक्शा में करीब छह से सात सवारियां बैठती हैं। ऐसे में नियंत्रण बिगड़ने लाजमी होता है। इसी तरह टेंपो और आटो में भी सावारियों को ठूसठूस कर बैठाया जाता है। शहर में करीब 1500 आटो समेत डग्गामार वाहन दौड़ रहे है। इतनी ही संख्या ई-रिक्शा की है। शहर में गैर परमिट के अधिकांश ई-रिक्शा और आटो चल रहे हैं, जो जाम का कारण भी बनते हैं लेकिन यातायात पुलिस को यह सब नजर नहीं आ रहा है।

अगर नाबालिग ई-रिक्शा चला रहे है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई जाएगी। नाबालिग कोई भी उसे वाहन चलाने का अधिकार नहीं है जब तक ही वह बालिग नहीं हो जाता। इसके साथ ही वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य है। सीपी सिंह, सीओ ट्रैफिक


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