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उलमा पर बरसे राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष, कहा मुस्लिम महिलाओं पर नहीं होने देंगे जुर्म

उन्होंने सख्त शब्दों में नाराजगी जताते हुए कहा कि बरेली के मुल्ला यह क्या करा रहे हैैं। इस पर पर्सनल लॉ बोर्ड चुप क्यों हैै? बोर्ड के जिम्मेदार मुंह क्यों नहीं खोलते।

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 11:03 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 11:24 AM (IST)
उलमा पर बरसे राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष, कहा मुस्लिम महिलाओं पर नहीं होने देंगे जुर्म
उलमा पर बरसे राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष, कहा मुस्लिम महिलाओं पर नहीं होने देंगे जुर्म

बरेली (जेएनएन)। राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष तनवीर हैदर उस्मानी निदा खान को इस्लाम से खारिज करने के फतवे और एक महिला का ससुर से हलाला कराने पर बेहद खफा हैैं। उन्होंने सख्त शब्दों में नाराजगी जताते हुए कहा कि बरेली के मुल्ला यह क्या करा रहे हैैं। इस पर पर्सनल लॉ बोर्ड चुप क्यों हैै? बोर्ड के जिम्मेदार मुंह क्यों नहीं खोलते कि यह सब क्या कराया जा रहा है? उन्होंने यह भी कहा कि आयोग महिलाओं पर जुल्म नहीं होने देगा। चाहे करने वाले कितने भी असरदार क्यों न हों। जैसे बाल विवाह पर रोक लगी, वैसे हलाला पर भी लगे। सरकार से इसके लिए सिफारिश भी करेंगे। 

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तलाक और हलाला पर उठे तूफान के बीच 'दैनिक जागरण से बातचीत में उस्मानी ने कहा कि आयोग अब जल्द अपना फैसला सुनाएगा। दो सदस्य टीम बरेली से जांच करके लौट आई है। वह रिपोर्ट देगी, उसके बाद आगे की कार्रवाई तय होगी। आयोग के अध्यक्ष बोले, एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि उलमा जिस तरह के फतवे जारी कर रहे हैैं, वे इस्लाम का हिस्सा नहीं है। उदाहरण देकर कहा कि अल्लाह के रसूल पर एक औरत कूड़ा फेंका करती थी, जब एक दिन उसने ऐसा नहीं किया तो उसके बारे में मालूम किया।

बीमार होने का पता लगने पर उससे मिलने गए। उसके हक में दुआ की। इसके विपरीत आज के उलमा एक लड़की को इस्लाम से खारिज करके उसका सामाजिक बहिष्कार करा रहे हैैं। बीमार होने पर उससे कोई पूछताछ करने नहीं जाएगा। मर जाए तो जनाजे में शिरकत नहीं की जाए और दफनाने के लिए कब्रिस्तान में जगह नहीं दें..., यह क्या है?

हलाला नहीं, यह दुष्कर्म है
यह फतवे जारी करके खुद को कहते हैैं कि हम अल्लाह के रसूल के उम्मती (पैरोकार) हैैं। उनके इस जुल्म पर पर्सनल लॉ बोर्ड खामोश है। न मनमाने फतवे पर कुछ कहा जा रहा और न ससुर से महिला का हलाला कराने के खिलाफ आवाज उठा रहे हैैं। हलाला नहीं, यह दुष्कर्म है। बीवी को शौहर की मां बना दिया। इस्लाम में हलाला इसलिए रखा गया कि कोई भी शौहर इसके खौफ से बीवी को तलाक नहीं दे। जैसे बाल विवाह पर रोक लगी, वैसे हलाला पर भी लगे। सरकार से इसके लिए सिफारिश भी करेंगे। 

अल्पसंख्यक आयोग ने माना, निदा के साथ हुई नाइंसाफी

आला हजरत खानदान की पूर्व बहू निदा खान को इस्लाम से खारिज करने का फतवा जारी कर उलमा कार्रवाई की जद में आ गए हैं। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग की जांच समिति के दोनों सदस्य रूमाना सिद्दीकी और कुंवर इकबाल हैदर ने इसका इशारा दिया है। यह कहते हुए कि देश में कानून का राज है, इससे बढ़कर कुछ भी नहीं है। रूमाना सिद्दीकी ने कहा कि निदा के साथ अन्याय हुआ है। इन्हें इंसाफ दिलाया जाएगा। दिन भर चली पूछताछ को आयोग के सख्त रुख का संदेश माना जा रहा है। 

निदा को इस्लाम से खारिज करने, तलाक और हलाला के मुद्दे पर देश भर में मचे शोर के बीच आयोग की टीम बुधवार रात बरेली पहुंची थी। गुरुवार सुबह साढ़े नौ बजे से टीम ने जांच शुरू कर दी। सबसे पहले सर्किट हाउस में पुलिस प्रशासन से पूरे मामले की रिपोर्ट ली। इसके बाद निदा को बुलाकर दो घंटे बात की। इस दौरान निदा ने खुलकर अपने साथ हुई ज्यादती बयां की। यहां से टीम फतवा जारी करने वाले शहर काजी मुफ्ती मुहम्मद असजद रजा खां कादरी से मिलने दरगाह आला हजरत पहुंची। वहां शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम से भी मुलाकात की। बंद कमरे में करीब एक घंटे उनका पक्ष जाना। बताते हैं, उलमा ने सफाई दी कि फतवा निदा के नाम से जारी नहीं हुआ है। इसके बाद टीम निदा की पूर्व ससुराल पहुंची। यहां उनके पूर्व शौहर शीरान रजा खां का भी पक्ष सुना।
हालांकि, निदा का पक्ष जानने के बाद ही आयोग की टीम ने पूरे मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर ली। मीडिया से बातचीत में बार-बार फतवे की अहमियत को सिरे से खारिज किया। सदस्यों ने कहा कि निदा के साथ अब तक नाइंसाफी हुई है। आयोग इस पर सख्त है। फतवा के जरिये कानून का उल्लंघन करने वालों पर मुकदमा दर्ज हो सकता है। डीएम और एसएसपी को निदा खान की सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैैं। यह भी कहा कि फतवे पर आगे की कार्रवाई का फैसला शुक्रवार को लखनऊ में आयोग की बैठक के दौरान लिया जाएगा।

मुस्लिम औरतों को डरने की जरूरत नहीं : आयोग
तलाक, हलाला की घटनाओं पर प्रशासन-सरकार के संज्ञान न लेने से महिलाओं में डर बढ़ रहा है। इस सवाल पर अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य रूमाना सिद्दीकी ने कहा कि महिलाओं को डरने की जरूरत नहीं है। आयोग उनके साथ है। किसी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। रूमाना सिद्दीकी ने कहा कि किसी को इस्लाम से कोई खारिज नहीं कर सकता है। पत्रकारों को ही उदाहरण देते हुए कहा कि अगर आप कलमा पढ़ लो तो आप भी मुसलमान हो जाओगे, फिर आपको कोई इस्लाम से नहीं निकाल सकता है।

फतवा किसी तरह से मान्य नहीं है। लोकतंत्र में हर इंसान के अपने हक हैं। उसे न तो कोई धर्म से निकाल सकता है न ही सामाजिक बहिष्कृत करने का हक है। ऐसा करना कानून अपराध है। इस पर सजा मिल सकती है।
- कुंवर इकबाल हैदर, सदस्य अल्पसंख्यक आयोग जांच समिति

तलाक, हलाला पर जुमे की नमाज में डालें रोशनी
तीन तलाक और हलाला पर देशभर में शोर मचने के बाद उलमा-ए-कराम ने इसके बारे में कौम को सही जानकारी देने का फैसला लिया है। गुरुवार को दरगाह आला हजरत के जमात, रजा-ए-मुस्तफा संगठन ने एलान किया कि जुमे की नमाज के दौरान उलमा अपनी तकरीर में इन मसाइल पर तफसील से रोशनी डालें। ताकि मुसलमानों को तलाक, हलाला और शरीयत का सही इल्म हो सके।

संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खां कादरी ने कहा कि शहर से लेकर गांवों तक की मस्जिदों के इमाम हजरात को यह पैगाम भेजा गया है कि वह हर जुमे को शरीयत के बारे में तकरीर करें। यह बताएं कि मुसलमानों के लिए क्या शरई हुक्म है। तलाक का सही तरीका क्या है? कुरान शरीफ में हलाला का क्या फरमान है? परिवार में अमन-सुकून से रहें। तलाक जैसे हालात न बन पाएं। शरीयत की सही जानकारी होने से लोग ऐसे गुनाहों से बचेंगे।


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