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State Bird Stork : राजकीय पक्षी सारस को भा रही नाथ नगरी का आवोहवा, बढ़ रहा कुनबा, जानिए वजह

State Bird Stork राजकीय पक्षी सारस को नाथनगरी की आबोहवा कुछ अधिक रास आ रही है। लगातार चौथे वर्ष इनके कुनबे की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। शीतकालीन के बाद हुई ग्रीष्मकालीन गणना के मुताबिक इस वर्ष 81 सारसों कीं संख्या बढ़ी है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 04:42 PM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 04:42 PM (IST)
State Bird Stork : राजकीय पक्षी सारस को भा रही नाथ नगरी का आवोहवा, बढ़ रहा कुनबा, जानिए वजह
State Bird Stork : राजकीय पक्षी सारस को भा रही नाथ नगरी का आवोहवा

बरेली, जेएनएन। State Bird Stork : राजकीय पक्षी सारस को नाथनगरी की आबोहवा कुछ अधिक रास आ रही है। लगातार चौथे वर्ष इनके कुनबे की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। शीतकालीन के बाद हुई ग्रीष्मकालीन गणना के मुताबिक इस वर्ष 81 सारसों कीं संख्या बढ़ी है।

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उत्तर प्रदेश वन एवं वन्यजीव विभाग ने 2010 में पहली गणना की। फिर प्रतिवर्ष इनके संरक्षण को गणना होती है। इसके लिए प्रदेश में सारस संरक्षण समिति का गठन हुआ। यह समिति पानी से तर रहने वाले स्थलों के विकास और संरक्षण के साथ सारस संख्या में वृद्धि के सभी कारकों में मदद करता है। सारस की गणना जनवरी (शीतकालीन) व उसके बाद जुलाई (ग्रीष्मकालीन) माह में सारस की गणना होती है।

जिसमें सारस की संख्या अधिक पाई गई है। इस बार भी सारस के 33 बच्चे मिले हैं। इससे स्पष्ट है, सारस का कुनबा बरेली के तराई इलाके में बढ़ा है। वन अधिकारियों का जागरूकता अभियान रंग लाया है। 2019 दिसंबर में हुई गणना में बरेली में कुल 245 सारस थे। जिसमें 229 वयस्क और 16 अवयस्क मिले थे। जबकि इस बार हुई गणना में यह संख्या 326 रही। जिसमें 293 वयस्क और 33 अवयस्क मिले हैं।

दांपत्य प्रेम का प्रतीक है सारस

वन्य जीव विशेषज्ञ बताते हैं कि सदैव जोड़े के साथ रहने वाला सारस (क्रेन) सामाजिक पक्षी है। यह जीवन काल में एक ही साथी के साथ आजीवन समय व्यतीत करता है। साथी से बिछड़कर यह खाना-पीना छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में कई बार इनकी मौत भी हो जाती है। कीटनाशी रसायनों के प्रयोग से सारस की संख्या में कमी हुई थी। इसलिए इसके संकटग्रस्त प्रजाति घोषित कर संरक्षण शुरू किया गया है।

इस तरह बढ़ा कुनबा

2017 - 152

2018 -158

2019 - 245

2020 - 311

2021- 326

किसानों व पर्यावरण का मित्र है सारस

नम क्षेत्रों व खेतों में रहने वाला सारस पानी में पैदा होने वाली वनस्पति व उसकी जड़ खाते हैं। मेढक, मछली, छिपकली, सांप घोंघा तथा फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े मकोड़े भी इनका भोजन है। फसलों को दानों को भी यह चुगते हैं। सारस की उपस्थिति से फसल कीटों से सुरक्षित रहती है। इससे वातावरण भी सुरक्षित व संरक्षित रहता है।

जिलेवार एक नजर

जिला - वयस्क - बच्चे - कुल

बरेली - 293 - 33 - 326

बदायूं - 56 - 01 - 57

शाहजहांपुर - 1196 - 382 - 1578

पीलीभीत - 84 - 08 - 92

मुरादाबाद - 46 - 15 - 61

संभल - 04 - 01 - 05

अमरोहा - 06 - 00 - 06

रामपुर - 00 - 00- 00

बिजनौर - 116 - 43 - 159

नजीबाबाद - 34 - 02 - 36

जोन का योग - 1835 - 485 -2320

विभाग द्वारा सारस के संरक्षण के लिए गणना कराई जाती है। हमारी टीमें इनकी निगरानी भी कर रही हैं। यही वजह है कि सारसों की संख्या बढ़ रही है। - ललित कुमार वर्मा, मुख्य वन संरक्षक रुहलेखंड जोन


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