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पहले ही तय हो गया था दूर रहेंगे उलमा

जागरण संवाददाता, बरेली: दरगाह आला हजरत दुनियाभर में सुन्नी बरेलवी मुसलमानों का मरकज (केंद्र)। जाि

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Mar 2018 02:43 AM (IST)Updated: Wed, 07 Mar 2018 02:43 AM (IST)
पहले ही तय हो गया था दूर रहेंगे उलमा
पहले ही तय हो गया था दूर रहेंगे उलमा

जागरण संवाददाता, बरेली: दरगाह आला हजरत दुनियाभर में सुन्नी बरेलवी मुसलमानों का मरकज (केंद्र)। जाहिर सी बात है, यहां से निकलने वाला पैगाम तमाम मुसलमानों के बीच जाता लेकिन, जिस तरह श्री श्री रविशंकर के कार्यक्रम से दरगाह के सज्जादानशीन व जानशीन मुफ्ती आजम ¨हद और उनसे जुड़े उलमा दूर रहे, उससे एक अच्छी पहल के पीछे का मकसद पूरा नहीं हो सका। श्री श्री के आगमन का कार्यक्रम आते ही तय हो गया था, उलमा इससे दूर रहेंगे। इसे परखने में आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े लोग चूक कर गए।

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श्री श्री मौलाना तौकीर रजा खां के बुलावे पर दरगाह आए थे। आर्ट ऑफ लिविंग के जिम्मेदारों की तरफ से कहा गया कि श्री श्री दरगाह आगमन पर प्रमुख उलमा से मुलाकात करेंगे और मदरसों मंजरे इस्लाम और मजहरे इस्लाम में से किसी एक में भी जाएंगे। यहां बता दें कि मौलाना तौकीर रजा खां अपनी राजनीतिक पार्टी आल इंडिया इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष हैं। रिश्ते में दरगाह आला हजरत के प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खां उर्फ सुब्हानी मियां के छोटे भाई हैं लेकिन दरगाह को सियासत से अलग रखने की मंशा के तहत दोनों में दूरियां हैं। शहर काजी मौलाना असजद रजा कादरी और उनके वालिद जानशीन मुफ्ती आजम ¨हद मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां भी मौलाना तौकीर रजा खां व उनकी पार्टी से दूरी बनाए रहते हैं। ऐसे में आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े लोगों को दरगाह आला हजरत की इन दोनों अहम शख्सियत को भरोसे में लेना चाहिए था। ऐसा नहीं किया गया। श्री श्री के कार्यक्रम की सूचना दोनों को ही नहीं भेजी गई। न ही श्री श्री के आगमन को लेकर कोई उनसे जाकर मिला। यही वजह रही कि सज्जादानशीन और शहर काजी दरगाह पर मौजूद रहते हुए श्री श्री के दौरे से दूर रहे। दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां एक दिन पहले ही जिले से बाहर चले गए। यहां तक कि श्री श्री के लिए मदरसा जामियातुर्रजा इस्लामिक स्टडी सेंटर का गेट भी नहीं खुला। यह मदरसा जानशीन मुफ्ती आजम ¨हद का है। अगर पहले से सूचना दी गई होती तो मदरसे का गेट खुल जाता और आयोजकों की फजीहत भी नहीं होती।


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