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डरी-डरी सी जुबां, सहमे-सहमे से थे लफ्ज

जागरण संवाददाता, बरेली: धार्मिकता के उफान में कोर्ट के बाहर राममंदिर निर्माण पर सहमति बन पाना

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Mar 2018 02:40 AM (IST)Updated: Wed, 07 Mar 2018 02:40 AM (IST)
डरी-डरी सी जुबां, सहमे-सहमे से थे लफ्ज
डरी-डरी सी जुबां, सहमे-सहमे से थे लफ्ज

जागरण संवाददाता, बरेली: धार्मिकता के उफान में कोर्ट के बाहर राममंदिर निर्माण पर सहमति बन पाना जितना कहने में आसान है, हकीकत में उतना ही मुश्किल। इसका अंजाम मौलाना सलमान नदवी पर्सनल लॉ बोर्ड से बर्खास्तगी की शक्ल में भुगत चुके हैं। यही वजह रही कि जब श्री श्री रविशंकर अपना फार्मूला लेकर दरगाह आला हजरत पर मौलाना तौकीर रजा खां से मिलने आए तो दोनों ही मीडिया से बातचीत में बहुत सतर्क होकर बोले। फिक्र सताती दिखी कि कहीं जुबां से कुछ गलत नहीं निकल जाए। श्री श्री कुछ कहते तो मौलाना फौरन ही अपनी स्थिति साफ कर देते। दोनों बार-बार मीडिया को भी सीख देते रहे कि इस संवेदनशील मसले पर संयम बरता जाए। अर्थ का अनर्थ नहीं होना चाहिए।

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भारत के सीरिया बनने के बयान पर सफाई

पौन घंटे बाद जब आइएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां के आवास पर बंद कमरे का दरवाजा खुला तो बाहर इंतजार में खड़े मीडिया कर्मियों को अंदर जाने की इजाजत मिली। गुफ्तगू की शुरूआत करते हुए श्री श्री ने दरगाह आने के मकसद पर रोशनी डाली। भारत के सीरिया बनने के बयान पर सफाई दी। साफ किया कि वह किसी को धमकी देने की बात सपने में भी नहीं सोच सकते। उन्होंने कहा था कि कुछ लोग देश में सीरिया जैसे हालात बनाना चाहते हैं। कहा कि मेरी बात को गलत तरीके से प्रसारित किया गया।

श्री श्री बोले कुछ सहमति बनी, मौलाना ने कहा-सिर्फ बात हुई

इस सवाल पर कि क्या मौलाना तौकीर अयोध्या में आपके राममंदिर निर्माण के संकल्प से सहमत हैं? श्री श्री ने जवाब दिया कि हमने अभी अपना फार्मूला मौलाना के सामने रखा है। कुछ चीजों पर सहमति बनी है। उनके इतना कहने पर मौलाना तौकीर बीच में बोल पड़े, कुछ तय नहीं हुआ। अभी बातचीत हुई है। आगे के लिए शर्त तय होंगी। मुलाकात महज मुल्क में अमन औैर भाईचारा कायम रखने के मकसद से हुई है। मस्जिद या मंदिर दोनों में से किसी एक पक्ष को यह नहीं लगना चाहिए कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है। इसके मद्देनजर ही दोनों पक्षों में बातचीत का पक्षधर हूं। चाहता हूं कि दोनों तरफ के मुद्दई बैठकर बातचीत करें। मैं इसके लिए कोशिश भी करूंगा। गुजारिश की कि मीडिया इस अहम पहल को विवाद की भेंट नहीं चढ़ाए। जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या मस्जिद को शिफ्ट किया जा सकता है, जवाब में मौलाना ने तेवर बदलते हुए कहा कि विवाद मत खड़ा कीजिए।


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