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Smart Education : यूपी के इस सरकारी स्कूल का कंप्यूटर और लैपटॉप खीच रहा प्राइवेट स्कूलों के ... Bareilly News

भारतीय संस्कृति में महिलाओं को ‘घर की लक्ष्मी’ माना जाता है। क्योंकि वह घर-परिवार की शिक्षा स्वास्थ्य सशक्तीकरण नियोजन और समृद्धि आदि के हरदम तत्पर रहती हैं।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 08:50 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 05:50 PM (IST)
Smart Education : यूपी के इस सरकारी स्कूल का कंप्यूटर और लैपटॉप खीच रहा प्राइवेट स्कूलों के ... Bareilly News
Smart Education : यूपी के इस सरकारी स्कूल का कंप्यूटर और लैपटॉप खीच रहा प्राइवेट स्कूलों के ... Bareilly News

जेेएनएन, बरेली : भारतीय संस्कृति में महिलाओं को ‘घर की लक्ष्मी’ माना जाता है। क्योंकि वह घर-परिवार की शिक्षा, स्वास्थ्य, सशक्तीकरण, नियोजन और समृद्धि आदि के हरदम तत्पर रहती हैं। वहीं, लक्ष्मी रूपी कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो समाज को ही कुटुंब मानकर उसकी खुशहाली, तरक्की के बारे में अपना अमूल्य योगदान दे रही है। दीपावली पर हर घर में देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। ऐसे में दैनिक जागरण इस दीपावली अपने सात सरोकारों के तहत आपको शहर की सात ‘लक्ष्मी’ से रूबरू कराएगा जिन्होंने अपने प्रयासों से समाज में बदलाव को नई दिशा दी। आइए.. आपको मिलाते हैं जागरण के पहले सरोकार सुशिक्षित समाज की परिकल्पना को पंख लगाने वाली ‘लक्ष्मी’ नम्रता वर्मा से।

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मॉडल प्राथमिक विद्यालय उनासी में है शिक्षिका

नम्रता मूल रुप से गाजियाबाद के साहिबाबाद की रहने वाली हैं। पिता मदन मोहन वर्मा म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली (एमसीडी) में तैनात हैं और मां संतोष गृहिणी हैं। नम्रता ने 2010 में डीएलएड का कोर्स किया। जिसमें उन्हें गोल्ड मेडल मिला। उन्होंने वर्ष 2015 में बरेली के उनासी प्राथमिक स्कूल में बतौर सहायक अध्यापिका बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया।

जिन्होंने कंप्यूटर नहीं देखा, अब लैपटॉप से पढ़ते हैं

 नम्रता पर्यावरण अध्ययन की शिक्षिका हैं। उन्होंने जो कुछ अपनी पढ़ाई के दौरान सीखा, अब उसे प्राथमिक स्कूल के बच्चों को पढ़ाती हैं। मसलन, वह 3 डी तकनीक से बच्चों को जीव-जंतुओं के बारे में बताती हैं। जिन बच्चों ने कंप्यूटर नहीं देखा, वह जब लैपटॉप से 3 डी तकनीक के जरिए चिड़िया को निकलते हुए देखते हैं तो उनके चेहरे की खुशी देखते बनती है। संगीत के माध्यम से पहाड़े और योग सीखते हैं। नम्रता मिट्टी, लकड़ी के खिलौनों से भी बच्चों को पढ़ाती हैं। जिससे खेल-खेल में बच्चों को विषय की जानकारी भी होती है और साथ में मनोरंजन भी। आमतौर पर सरकारी स्कूलों की बदहाल शिक्षा व्यवस्था में कोई बच्चा पढ़ना नहीं चाहता। फिर वह गरीब ही क्यों न हो। लेकिन नम्रता ने अपने पढ़ाने के तरीकों से यह सोच ही बदल दी। 


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