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मनाई गई शरद पूर्णिमा,श्रद्धालुओं ने किया व्रत व स्नान-दान

पूर्णिमा तिथि में सबसे महत्वपूर्ण शरद पूर्णिमा विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं ने मनाई। लोगों ने खीर बनाकर छत पर खुले आसमान के नीचे रखा। ऐसा माना जाता है कि इस रात अमृतवर्षा होती है। इसलिए चंद्रमा के नीचे रखी खीर खाने से कई प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है

By Vivek BajpaiEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 08:33 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 08:33 AM (IST)
मनाई गई शरद पूर्णिमा,श्रद्धालुओं ने किया व्रत व स्नान-दान
शरद पूर्णिमा का महत्व लक्ष्मी पूजा के लिए भी है।

 मनाई गई शरद पूर्णिमा, श्रद्धालुओं ने किया व्रत व स्नान-दान 

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बरेली, जेेएनएन।  पूर्णिमा तिथि में सबसे महत्वपूर्ण शरद पूर्णिमा विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं ने मनाई। लोगों ने खीर बनाकर छत पर खुले आसमान के नीचे रखा। ऐसा माना जाता है कि इस रात अमृतवर्षा होती है। इसलिए चंद्रमा के नीचे रखी खीर खाने से कई प्रकार की परेशानियों व रोगों से मुक्ति मिलती है। आचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की बूंदें बरसती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। शरद पूर्णिमा का महत्व लक्ष्मी पूजा के लिए भी है। 

श्रद्धालु करेंगे आज व्रत व स्नान-दान

ज्योतिषाचार्य मुकेश मिश्र के मुताबिक अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर को शाम करीब 5 बजकर 47 मिनट से शुरू हो गई, जो रातभर रही। इसलिए शुक्रवार की रात को ही शरद पूर्णिमा मनाई गई। पूर्णिमा तिथि अगले दिन यानी 31 अक्टूबर, शनिवार को पूरे दिन रहेगी और रात को करीब 8 बजकर 27 मिनट पर खत्म हो जाएगी। इस वजह से शनिवार को पूर्णिमा व्रत, पूजा, तीर्थ स्नान और दान किया जाएगा। रामगंगा नदी पर शुक्रवार को ही लोग स्नान के लिए पहुंचे थे। 


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