Shahla Tahir : निकाय चुनाव से पहले बरेली में गिरा बड़ा विकेट, शहला ताहिर पर क्यों गर्माई सियासत, पढ़े खास रिपोर्ट
Bareilly Shahla Tahir Politics नवाबगंज पालिका अध्यक्ष शहला ताहिर का विकेट गिरते ही बरेली में सियासत गर्मा गई है।इसके लिए तीन साल से भाजपा उपाध्यक्ष घेराबंदी कर रहे थे।लेकिन शहला ताहिर के सियासी रसूख के चलते उन्हे यह सफलता निकाय चुनाव से पहले मिल सकी।
बरेली, अशाेक आर्य। Bareilly Shahla Tahir Politics : नवाबगंज नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष शहला ताहिर को पद से हटाया जाना भाजपा की बड़ी जीत मानी जा रही है। निकाय चुनाव से ठीक छह महीने पहले भाजपा ने नवाबगंज में बड़ा विकेट गिरा दिया है। इसके लिए पिछले तीन साल से चेयरमैन की घेराबंदी की जा रही थी। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है।
शहला ताहिर ने सियासी मैदान में अच्छी पैठ बना रखी है। करीब 25 साल पहले वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सबसे पहले नवाबगंज नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष चुनी गई थीं।उसके बाद से ही उन्होंने तमाम राजनीतिक दलों में अच्छा रसूख बना लिया।फिर लगातार दो बार वह चुनाव हारती चली गई।बाद में बसपा के टिकट पर एक बार फिर अध्यक्ष की कुर्सी उनके पास पहुंची।मौजूदा समय में वह सपा से नगर पालिकाध्यक्ष बनी थी।
करीब तीन साल पहले भाजपा उपाध्यक्ष नीरेंद्र सिंह राठौर ने शहला ताहिर के खिलाफ शासन में शिकायत की।नीरेंद्र उनके भाई पूर्व पालिकाध्यक्ष समेत तमाम भाजपाई शहला की घेराबंदी में लग गए। हालांकि इसी बीच भाजपा का एक धड़ा शहला के पक्ष में भी आ गया, जिसकी बदौलत ही विधानसभा चुनाव से पहले शहला ताहिर की भाजपा में ज्वाइनिंग की चर्चा जोर पकड़ी बताते हैं कि उस वक्त रविंद्र राठौर उनकी ज्वाइनिंग के खिलाफ अड़ गए।इस पर शहला की ज्वाइनिंग रोक दी गई।
अब निकाय चुनाव में करीब छह माह ही बचे हैं। ऐसे में पालिकाध्यक्ष शहला ताहिर को पद से हटाना भाजपा की बड़ी जीत मानी जा रही है। विरोधी पाले का बड़ी विकेट गिराकर भाजपा नवाबगंज में अपना चुनावी मैदान मजबूत कर सकती है।
आरोपों को पाया सही, दोषी मानते हुए कार्रवाई
बता दें कि शासन ने एक दिन पहले नगर पालिका परिषद नवाबगंज की अध्यक्ष शहला ताहिर को पद से हटा दिया है। उनके खिलाफ भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रविंद्र सिंह राठौर के भाई नीरेंद्र सिंह राठौर ने अप्रैल 2019 में वित्तीय अनियमित्ता समेत अन्य आरोप लगाए थे। डीएम की रिपोर्ट के बाद शासन ने आरोपों को सही माना।
कर्तव्य पालन में चूक, अपने कर्तव्यों के निर्वहन में गंभीर अवचार, नगर पालिका निधि को हानि पहुंचाने, निधि का दुरुपयोग और नगर पालिका के हित के प्रतिकूल कार्य करने का दोषी पाते हुए राज्यपाल ने उन्हें पद से हटाए जाने की स्वीकृति दी है।