Shahjahanpur Mishap: काश ! न खराब होता पंखा तो बच जाती मासूमों की जान
Mishap in Shahjahanpur अल्ताफ का महज 80 गज का मकान है। जिसमे सिर्फ एक कमरे पर खपरैल पड़ी है। घर में दो चारपाई है। जिस वजह से कमरे में जमीन पर ही सभी लोग बिस्तर बिछाकर लेटते थे।
शाहजहांपुर, जेएनएन। Mishap in Shahjahanpur : अल्ताफ का महज 80 गज का मकान है। जिसमे सिर्फ एक कमरे पर खपरैल पड़ी है। घर में दो चारपाई है। जिस वजह से कमरे में जमीन पर ही सभी लोग बिस्तर बिछाकर एक साथ लेटते थे। लेकिन चार दिन से पंखा खराब हो जाने की वजह से शबनम बच्चों के साथ खपरैल के बाहर आंगन में जमीन पर बिस्तर बिछाकर सो रही थी। शबनम के बेटे साहिल ने बताया कि अम्मी के पास पंखा ठीक कराने के लिए रुपये नहीं थे। गर्मी अधिक होने की वजह से चार दिन से लगातार आंगन में ही जमीन पर लेटने को मजबूर हो रहे थे। हादसे के बाद मौके पर जो लोग पहुंचे तो वह परिवार की बेबसी के बारे में जानकर अपने आंसू भी नहीं रोक पा रहे थे।
ऐसे बची दो बच्चों की जान
दीवार के किनारे शबनम ने तीन चादर जमीन पर ही बिछा ली थी। दीवार के किनारे सिर कर के सो गए थे। राहिल व साहिल सबसे किनारे लेटे थे जो धीरे-धीरे घूमकर पैरों वाली साइड में पहुंच गए। जिस वजह से जब ईंटे गिरी तो राहिल पूरी तरह से बच गया जबकि साहिल के सिर में ईंट लुढ़कर लग गई थी। जबकि शबनम, रूबी, चांदनी, शोएब व शहजाद के सीधे सिर पर ईंट गिरी जिससे उनकी मौत हो गई।
हादसे के बाद मिली मदद
आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से अल्ताफ व उनकी बेटी मजदूरी करने लगे थे। कई बार परिवार में संकट आए जिन्हें पिता व बेटी ने बड़े संघर्ष कर दूर किए। लेकिन प्रशासन से लेकर कोई भी समाजसेवी इस परिवार की मदद को आगे नहीं आया। लेकिन एक साथ पांच लोगों की मौत होने के बाद प्रशासन से लेकर समाजसेवी भी मदद को पहुंच गए।