मौसमी फलों की बहार, खरबूजा-तरबूजा जमकर बिक रहा
बरेली(जेएनएन)। मौसमी सब्जियों की पैदावार बढ़ने से इन दिनों शहर की मंडियों में बाहर से सब्जियों की आम
बरेली(जेएनएन)। मौसमी सब्जियों की पैदावार बढ़ने से इन दिनों शहर की मंडियों में बाहर से सब्जियों की आमद काफी कम हो गई है। महीने भर पहले बेंगलुरू से आ रहा जो सुर्ख टमाटर थोक में 20 रुपये और फुटकर में 60 रुपये प्रतिकिलो तक बेचा जा रहा था, उसका स्थान अब अमरोहा और जिले के फतेहगंज पश्चिमी के टमाटर ने ले लिया है। यह टमाटर बंगलुरू जितना सुर्ख तो नहीं है लेकिन यह सस्ता इतना हो गया है कि थोक में तीन रुपये तक और फुटकर में 10 से 15 रुपये तक बेचा जा रहा है। इसी तरह इंदौर की सफेद चमकदार गोभी तीन महीने से लोकल गोभी के मुकाबले इसलिए मंडी से नदारद हो चुकी है, क्योंकि दोनों के रेट में आधे का अंतर है। शिमला मिर्च, लौकी, करेला, तोरई जैसी मौसमी सब्जियों के दाम कुछ महीने पहले की तुलना में एक चौथाई ही रह गए हैं। डिमांड बढ़ने से नीबू जरूर महंगा हुआ है और आलू के रेट भी कम नहीं हुए हैं। इसके अलावा खीरे की डिमांड बढ़ने से मंडी में हाईब्रीड खीरा भी महज चार रुपये किलो थोक रेट पर देसी खीरे को मात दे रहा है। कभी महंगाई से लोगों को रुला देने वाला प्याज 32 से 38 रुपये प्रति किलो के थोक रेट से घटकर मंडी में छह से आठ रुपये तक आ गया है, जो फुटकर में 15 से 20 रुपये तक बेचा जा रहा है। हालांकि कटहल अपने पुराने थोक रेट 16 से 20 रुपये प्रतिकिलो तक बरकरार है।
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संतरा खत्म, कश्मीरी सेब महंगा हुआ
फल मंडी में संतरा है ही नहीं, इसका स्थान मौसमी ने ले लिया है। स्टोर में रखा कश्मीरी सेब भी अब खत्म होने जा रहा है इसलिए थोक और फुटकर में इसका रेट पिछले महीने के मुकाबले 20 रुपये महंगा कर दिया गया है। चूंकि रमजान आने वाले इसलिए आढ़ती को अब चाइना के इंपोर्टेड सेब का इंतजार है। चीन के फुलूनी और वाशिंगटन, न्यूजीलैंड तथा आस्ट्रेलिया के लाल सेब का इंतजार है। आढ़ती हरदीप सिंह बताते हैं कि इम्पोर्टेड सेब चार-पांच दिन में यहां आ जाएगा, इसके बाद सेब की किल्लत दूर हो जाएगी। वहीं, स्टोर में रखा नासिक का अंगूर भी सप्ताह भर पहले खत्म हो चुका है। अब आस्ट्रेलिया के अंगूर का इंतजार किया जा रहा है, जो लाल होता है। अनार इन दिनों 15 रुपये तक महंगा हो गया है। आढ़ती बाबू बताते हैं कि नासिक के अनार की डिमांड मंडी में ज्यादा है, क्योंकि इसके दाने लाल सुर्ख होते हैं, जबकि इसके मुकाबले गुजरात के डीसा और मालेगांव का अनार कम उठ रहा है, क्योंकि इस मौसम में इसके दाने कम हैं और काफी दूर से आने की वजह से इसके रेट भी नासिक से बहुत कम नहीं हैं। केले की डिमांड इन दिनों में बढ़ी जरूर है लेकिन आमद कम हो गई है। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में इन दिनों पैदावार कम होने से केले के रेट में 10 से 15 रुपये दर्जन की वृद्धि हुई है। संतरे का स्थान लेने वाली मौसमी हैदराबाद से आ रही है। 15-20 दिन पहले जो मौसमी थोक में 18 से 20 रुपये प्रति किलो बिक रही थी, वो अब 25 से 30 रुपये किलो हो गई है। फुटकर में इसे अब 40 से 45 रुपये से बढ़ाकर 50 से 55 रुपये तक बेचा जा रहा है।
क्या कहते हैं आढ़ती
आढ़ती जाफर का कहना है कि महंगाई की वजह से मौसमी की बिक्री पहले से 25 फीसदी ही रह गई है। हालांकि पपीता की आमद कम नहीं हुई है, इसीलिए रेट भी कम हो गया है। जो पपीता सप्ताह भर पहले 18 से 25 रुपये किलो थोक में था, वह अब 10 से 15 रुपये प्रति किलो है।
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खरबूजा-तरबूजा ही बिक रहा
मौसमी फल के रूप में इन दिनों गंगापार से आने वाला खरबूजा और तरबूज काफी बिक रहा है। तरबूज का थोक रेट पांच से सात रुपये तक है, जो फुटकर में 15 से 20 रुपये तक बेचा जा रहा है। इसी तरह खरबूजा का थोक रेट आठ से 10 रुपये प्रति किलो तक है, जो थोक में 20 से 25 रुपये तक बिक रहा है। रमजान के दिनों में इंपोर्टेड खजूर भी आएगा, जिसका रेट आ गया है 40 से 80 रुपये किलो तक। फिलहाल सऊदी, ईरान, ईराक का खजूर मंडी में 60 से 100 रुपये प्रति किलो तक है। इन दिनों मंडी में दो ही किस्म के आम हैं। मद्रास से आने वाला सुर्खा-सिंदूरी और सफेदा। दोनों के रेट 40 से 50 रुपये प्रति किलो तक हैं, जो रिटेल में 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक बेचा जा रहा है। हालांकि सप्ताह भर बाद इसकी आमद भी कम हो जाएगी क्योंकि मंडी में दशहरी आम आने को तैयार है।
सब्जी थोक भाव फुटकर भाव
शिमला मिर्च 7 20
लौकी 3 10
करेला 5 15
तोरई 6 15
टमाटर 3 15
गोभी 10 15
नीबू 40 60
ग्वार 10 20
प्याज 8 15
कद्दू 2 10
मिर्च 5 15
आलू 15 20
खीरा 5 15
कटहल 16 25
भिंडी 10 15
परमल 15 25
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मौसमी सब्जियों की आमद बहुत है इसलिए यह सस्ती हैं। ऐसे में बाहर से सब्जियां इन दिनों नहीं आ रही हैं। फलों में भी अब इंपोर्टेड फलों के आने का इंतजार कर रहे हैं, जो रमजान से पहले आ जाएंगे।
-हशमुद्दीन, आढ़ती