लोगों की परेशानी देख शाहजहांपुर के अनपढ़ इंजीनियर झनकार ने नदी पर तैयार किया लकड़ी का पुल
नाम झनकार... न कभी स्कूल गए न ही कही प्रशिक्षण लिया। लेकिन क्षेत्रवासियों की जिंदगी को आसान करने के लिए नदी में उतर कर सरोकार का पुल तैयार कर दिया। इस वर्ष 28 हजार की लागत से पुल बना है। पुल बनने के बाद क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर है।
शाहजहांपुर जेएनएन। नाम झनकार... न कभी स्कूल गए, न ही कही प्रशिक्षण लिया। लेकिन क्षेत्रवासियों की जिंदगी को आसान करने के लिए नदी में उतर कर सरोकार का पुल तैयार कर दिया। इस वर्ष 28 हजार की लागत से पुल बना है। पुल बनने के बाद क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर है। बिलंदपुर गद्दीपुर क्षेत्र के गांव पसिगनपुर के पास से खन्नौत नदी बहती है। इस नदी से पार जाने के लिए एक मात्र सहारा है लकड़ी का पुल। जिसे अनपढ़ इंजीनियर झनकार ग्रामीणों की मदद से हर साल अक्टूबर में तैयार करते है। बारिश से पूर्व जुलाई में बांस बल्ली हटाकर नाव का संचालन करते हैं।
गुरबत के पहाड़ से निकली सरोकार की धार
झनकार के जीविकोपार्जन का एक मात्र जरिया आठ बीघा जमीन है। चार बच्चों समेत परिवार के पालन पोषण को वह मजदूरी से भी पीछे नहीं रहते है। पांच वर्ष पूर्व जब गांव में कोई पुल बनाने को तैयार नहीं था, तब गुरबत से जूझकर झनकार ने पुल बनाकर लोगाें की जिंदगी आसान बनाने का जिम्मा उठाया। इससे पसिगनपुर, शिवनगरा, रावतपुर, शेखूपुर, उमरापुर, खमरिया, सिमरा, सरैयां, मनवावारी समेत दर्जनों गांवों के लोगों को जिंदगी आसान हो गई। सुहेली दुलाहपुर, उमरापुर ईटारोरा गैरतपुर पनवाड़ी जसवंतपुर नोगामा कलुआपुर भटूरा आदि गांवो के लोगों का भी इस पुल से करीब 15 किमी का फेर बच जाता है।
इस तरह बनाया पुल
पसिगनपुर में करीब 50 साल से लकड़ी का पुल बन रहा है। झनकार ने बचपन से ही पुल को बनते व बिगड़ते देखा। पांच वर्ष पूर्व झनकार ने पुल का जिम्मा संभाला। वह यूकेलिप्टस के छह पेड़ खरीदकर 40 फीट के टिंबर तैयार करते। इन्हें नदी में 15 फिट तक गहराई में गाड़कर फिर उनमें पानी के ऊपर बेड़ा बल्ली बांध देेते। सबसे ऊपर आठ फीट चौड़ाई के बांस की फट्टियां बल्लियों में बिरंजी से ठोककर आवागमन का रास्ता बना दिया गया। प्रतिवर्ष अक्टूबर से जुलाई तक पुल पर संचालन होता है। इसके बाद झनकार नाव की व्यवस्था करते है।
ग्रामीण स्वेच्छा से करते मदद
दर्जन भर गांवों के लोगों को झनकार निश्शुल्क सेवा प्रदान करते है। उनके रिश्तेदारों से भी पैसे नहीं लेते। बदले में ग्रामीण झनकार को प्रतिवर्ष 20 किलो धान व बीस किलो गेहूं को खरियक के रूप में देते है। इसके अलावा पदयात्री दस रुपये व मोटरसाइकिल चालक 20 रुपये की सहायता प्रदान करते। किराए से मिलने वाली रकम से हर साल झनकार पुल तैयार करते है। वह न सरकार की ओर निहारते न ही किसी जनप्रतिनिधि से अब सहायता की फरियाद करते।