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परीक्षा के बाद सुरक्षा में सेंध, गिरोह ने कॉपियों से मिटवाए नाम Bareilly News

यूएफएम में पकड़े गए 21 विद्यार्थियों के अलावा बाकी सबने पहचान के लिए कॉपी पर पेंसिल से रोल नंबर-कॉलेज और अपना नाम लिखा था।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 09:18 AM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 09:33 PM (IST)
परीक्षा के बाद सुरक्षा में सेंध, गिरोह ने कॉपियों से मिटवाए नाम Bareilly News
परीक्षा के बाद सुरक्षा में सेंध, गिरोह ने कॉपियों से मिटवाए नाम Bareilly News

बरेली, जेएनएन : एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय की परीक्षा में सेंध लगाकर पास कराने का ठेका लेने वाले गिरोह की दखल के सुराग से प्रशासन सकते में है। इस गिरोह ने विवि सुरक्षा का घेरा तोड़कर कॉपियों के अंदर के पन्नों पर लिखा, छात्र-कॉलेजों का नाम और रोल नंबर मिटवा दिया है। सूत्रों के मुताबिक, विवि की शुरुआती में जांच में यह सामने आया है। यूएफएम में पकड़े गए 21 विद्यार्थियों के अलावा बाकी सबने पहचान के लिए कॉपी पर पेंसिल से रोल नंबर-कॉलेज और अपना नाम लिखा था। इसलिए विवि प्रशासन अब इस गिरोह का पर्दाफाश करने की कोशिश में शिद्दत के साथ जुटा है। 

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बीपीएड की परीक्षा मई में हुई थी। शुक्रवार को रिजल्ट घोषित हुआ। यूएफएम में फंसे 21 विद्यार्थियों ने शुक्रवार को कैंपस में तालाबंदी कर धरना प्रदर्शन किया था। कुलपति के साथ घटनाक्रम को देख रहे प्रोफेसरों के मुताबिक बीपीएड की बाकी कॉपी चेक कराई गई हैं। इनमें रोल नंबर, छात्रों का नाम और कॉलेज का नाम मिटा हुआ है। यानी ठेका लेकर छात्रों को ठगने वाला गिरोह शातिर है। परीक्षा में सामूहिक नकल और ठेके पर पास कराने के गिरोह की आशंका जताए जाने के बाद उसने कॉपियों के अंदर से पेंसिल से लिखे साक्ष्य मिटवा दिए हैं, क्योंकि गिरोह के झांसे में आकर 25-25 हजार रुपये देने वालों ने पेंसिल से नाम लिखे थे।

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मिलीभगत का गहराया शक

विवि सुरक्षा में रखी कॉपियों तक गिरोह की पहुंच ने रुविवि के तंत्र पर भी प्रश्न खड़े किए हैं। प्रोफेसर अंदेशा जता रहे हैं कि या तो कोडिंग केंद्र पर कॉपियों से छेड़छाड़ की गई, या फिर परीक्षक-कर्मचारी के स्तर से। क्योंकि मई में नकल का यह खेल सामने आने के बाद से ही कुछ छात्रनेता, शिक्षक और कॉलेज वाले बेचैन थे।

घोषित करने से पहले जाना रिजल्ट

छात्रों ने रुविवि का रिजल्ट जारी होने से पहले ही परिणाम जान लिया था। इसके लिए उन्होंने दो-दो सौ रुपये दिए। यहीं उन्हें पता लगा कि उनका रिजल्ट यूएफएम में फंसा है।

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