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एसडीएम साहब... नेपाली हाथी को सेल्फी से बचाओ Bareilly News

रास्ते मेें लोग हाथी के साथ सेल्फी ले रहे। जिससे वे भड़ककर दूसरे रास्ते पर जा सकते है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 11:46 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 09:52 AM (IST)
एसडीएम साहब... नेपाली हाथी को सेल्फी से बचाओ Bareilly News
एसडीएम साहब... नेपाली हाथी को सेल्फी से बचाओ Bareilly News

बरेली, जेएनएन : विशेषज्ञों समेत 95 लोगों की टीम निगरानी मे लगी हुई है। नेपाली हाथियों ने वापसी की राह भी पकड़ ली मगर भीड़ का रवैया मुश्किल पैदा कर रहा। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रास्ते मेें लोग हाथी के साथ सेल्फी ले रहे। जिससे वे भड़ककर दूसरे रास्ते पर जा सकते है। इसके लिए डीएम वीरेंद्र कुमार सिंह से एक मजिस्ट्रेट पर पुलिस बल की मांग की है। 

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प्रभागीय वन अधिकारी भारत लाल ने डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि हाथियों को देखने के लिए लोगों में सेल्फी का क्रेज दिख रहा है। जैसे ही लोग हाथी के पास जाते हैं, वे भड़क रहे। व्यवस्था संभालने के लिए दी गई पीएसी पर्याप्त नहीं इसलिए पुलिस बल भी दिया जाए। इसके साथ एक मजिस्ट्रेट की तैनाती की जाएगी। इस पर प्रशासन ने एसडीएम मीरगंज रोहित यादव और एसडीएम बहेड़ी ममता मालवीय को इसके लिए तैनात किया है। प्रशासन को लग रहा है कि हाथी मीरगंज से बहेड़ी की तरफ बढ़ेंगे। ऐसे में दोनों ही अधिकारियों को इसके लिए पत्र लिखा गया है। इसके पहले भी वन विभाग पुलिस बल की मांग की थी, जिसके बाद 35 होमगार्ड के जवान मुहैया कराए गए हैं।

हाथियों को उत्तराखंड के जंगल में छोडऩे की तैयारी

27 जुलाई से जिले में घूम रहे दोनों नेपाली हाथियों को अब उत्तराखंड के जंगल में छोडऩे की तैयारी चल रही। हाथी अब उसी रास्ते पर जा रहे जिधर से आए थे। इस ऑपरेशन के नोडल अधिकारी एवं झांसी के मुख्य वन संरक्षक पीपी सिंह ने बताया कि बारिश का पानी खेतों में भरा होने के कारण हाथियों को बेहोश करने की योजना टाल दी गई है। वे अब उसी रास्ते पर वापस जा रहे, जिधर से रबर फैक्ट्री तक आए थे। बुधवार रात को नरखेड़ा गौटिया तक पहुंच गए। आठ जुलाई को भी वे इसी गांव होते हुए रबर फैक्ट्री तक आए थे। गुरुवार को दोनों हाथी नरखेड़ा में खेत में ही टहलते रहे। इसी रास्ते पर हाथी चलते रहे तो बहेड़ी और वहां से रुद्रपुर या फिर किच्छा के चुरगलिया जंगल की ओर हांककर ले जाएंगे।

लीद का सहारा
दोनों हाथी वापसी के रास्ते पर चल रहे। कहीं फिर न रास्ता भटक जाएं, इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने नया प्रयोग किया। हाथियों के आगे मादा हाथी की लीद डालते जा रहे। बुधवार को तीन किमी तक लीद डाली गई तो दोनों नेपाली हाथी उसी रास्ते चलते रहे। दरअसल, विशेषज्ञों का मानना है कि मादा हाथी की लीद को सूंघकर उस तक पहुंचने के लिए नर हाथी उसी दिशा में बढ़ते जाते हैं।

ऐसे आए थे हाथी
दो नेपाली हाथी बॉर्डर पारकर पीलीभीत के जंगल से होते हुए बहेड़ी तक पहुंच गए थे। 27 जुलाई को बहेड़ी के गांव भट्टी के किसान लाखन सिंह और तीन जुलाई को शीशगढ़ के गांव तिकड़ी में वन रक्षक हेमंत कुमार को जमीन पर पटककर मार डाला था। इसके बाद सोमवार को हाथी बरेली से पंद्रह किमी दूर रबर फैक्ट्री तक आ गए थे।  


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