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रुहेलखंड विश्वविद्यालय के मंच से संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- जो शक्तिशाली है वो नीतिगत मामलों में बोलेंगे Bareilly News

संघ का कार्य सिर्फ समाज के लिए काम करना है। बोले हम चुनाव नहीं लड़ते। मगर शक्ति होने पर हमें उसका उपयोग जरूर करना चाहिए।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 09:01 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 01:59 PM (IST)
रुहेलखंड विश्वविद्यालय के मंच से संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- जो शक्तिशाली है वो नीतिगत मामलों में बोलेंगे Bareilly News
रुहेलखंड विश्वविद्यालय के मंच से संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- जो शक्तिशाली है वो नीतिगत मामलों में बोलेंगे Bareilly News

अभिषेक पांडेय, बरेली : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू और हिंदुत्व के अर्थ को तो बखूबी समझाया ही। शक्ति, संगठन व सद्भाव को भी महसूस करा गए। आरोप लगाने वालों को नसीहत भी देते दिखे। कहा कि जो ऐसा कर रहे हैं, उनका इतिहास और मौजूदा वक्त भी देख लें।

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एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के मैदान में आयोजित संगोष्ठी में मोहन भागवत बोले कि संघ को समाप्त करने की कोशिश कई बार की गई। मगर, जिन्होंने ऐसा करने की कोशिश की, वे खुद ही खत्म हो गए। संघ मेरा नहीं है, बल्कि संघ हमारा है। जिसका एकमात्र ध्येय है कि समर्थ भारत बने। उन्होंने कहा कि कई तरह के दुष्प्रचार किए जाते हैं। जो ऐसी हरकत कर रहे, उन्हें करने दें। वो सारे आरोप उन्हीं लोगों पर लागू होते हैं। स्पष्ट नहीं कहा मगर इशारा राजनीतिक गलियारों की तरफ ही था। कहा कि ऐसा करने वालों के इतिहास और वर्तमान का अध्ययन कर लें।

उनका अपना मकसद : संघ प्रमुख ने कहा कि कुछ लोग वहम पैदा करना चाहते हैं। दरअसल, इसके कारण आदमी सही-गलत का विचार नहीं कर पाता। इसी का फायदा उठाकर कुछ लोग उन्हें भीड़ बनाकर अपने पीछे खड़ा कर लेते हैं। जो ऐसा कर रहे हैं, उन्हें करने दें। हम भीड़ इकट्ठी करने में विश्वास नहीं रखते। हम न तो किसी को हराना चाहते हैं और न ही हमारा कोई दुश्मन है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वे भी हमारे अपने हैं। हम उन्हें भी संघ से जोड़ेंगे, क्योंकि वे समाज का हिस्सा हैं।

जो शक्तिशाली हैं वे नीतिगत मामले में बोलेंगे : उन्होंने दोहराया कि संघ का कार्य सिर्फ समाज के लिए काम करना है। बोले, हम चुनाव नहीं लड़ते। मगर, शक्ति होने पर हमें उसका उपयोग जरूर करना चाहिए। इसीलिए, किसी भी नीतिगत मामले पर हम अपने मत व्यक्त करते हैं।

हमारे मन में अविश्वास नहीं : भागवत बोले, जिन लोगों को हमारा विरोध करना है, वे स्वतंत्र हैं। प्रजातंत्र में यह उनका अधिकार है। हम भी कुछ मुद्दों पर विरोध दर्ज करा सकते हैं। अब इनमें सही कौन है, इसका निर्णय लोकतांत्रिक व्यवस्था में बनाए गया तंत्र करे। हमें वह स्वीकार है, क्योंकि हमारे मन में किसी तरह का अविश्वास नहीं।

समय से पहले पहुंच गए मंत्री, विधायक : संगोष्ठी प्रारंभ होने का समय 10.45 तय किया गया था। केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, कैंट विधायक राजेश अग्रवाल, महापौर डॉ. उमेश गौतम, आंवला विधायक धर्मपाल सिंह, शहर विधायक डॉ. अरुण कुमार, बिथरी चैनपुर विधायक राजेश मिश्र उर्फ पप्पू भरतौल, नवाबगंज विधायक केसर सिंह, फरीदपुर विधायक प्रो. श्याम बिहारी लाल, मीरगंज विधायक डॉ. डीसी वर्मा आदि पहले ही पहुंच गए थे। डॉ. विमल भारद्वाज, उद्यमी दिनेश गोयल, सुरेश सुंदरानी, व्यापारी नेता राजेंद्र गुप्ता, विशाल मेहरोत्र, नवीन गोयल, शुभांकर मिश्र भी मौजूद रहे।

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि स्वभाव है : मोहन भागवत ने कहा कि भारत एक जमीन का टुकड़ा नहीं है, वह यह तो एक प्रवृत्ति, स्वभाव है। यदि यह प्रवृत्ति नहीं है तो नाम बदलने में देर नहीं लगती। ऐसा हुआ तो कुछ हिस्से का नाम बदलकर पाकिस्तान हो गया।

इन्होंने भी की संगोष्ठी में शिरकत : रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता, अजमेर यूनिवर्सिटी के प्रो. आरपी सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. सुनीता पांडेय, परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजीव कुमार सिंह, डॉ. प्रवीण तिवारी, राज्य ललित कला अकादमी के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. राम बाबू सिंह, डॉ. विमल यादव, प्रो. एके जैतली, प्रो. वृजेश त्रिपाठी, संघ के आलोक सक्सेना, डॉ. विवेक मिश्र, भाजपा जिलाध्यक्ष पवन शर्मा, महानगर अध्यक्ष डॉ. केएम अरोड़ा, गुलशन आनंद, सुधीर मौर्य, हरवेंद्र यादव, विकास शर्मा, भुजेंद्र गंगवार, रमेश जैन, उमेश कठेरिया, रजनीश सक्सेना, रितुराज बॉस, मनोज पाण्डेय, डॉ. रवीश अग्रवाल, डॉ. शशांक, मनोज खटवानी इत्यादि व्याख्यान में मौजूद रहे।


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