क्राइम रडार : कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाली खाकी के जज्बे को सलाम
सर्दी-गर्मी और बरसात में डटी रहने वाली खाकी कोरोना जैसी महामारी में भी शिद्दत के साथ ड्यूटी को अंजाम दे रही है। संक्रमण फैलने से रोकने के लिए पुलिसकर्मी जुटे हैं।
अंकित गुप्ता, बरेली। कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाली पुलिस इस कठिन समय में लोगों की मददगार साबित हो रही है। सर्दी-गर्मी और बरसात में डटी रहने वाली खाकी कोरोना जैसी महामारी में भी शिद्दत के साथ ड्यूटी को अंजाम दे रही है। संक्रमण फैलने से रोकने के लिए जहां पुलिसकर्मी दिनभर चौराहों और तिराहों पर खड़े होकर लॉकडाउन का पालन कराने में जुटे हैं। वहीं लॉकडाउन के चलते घरों में कैद होने को मजबूर हुए गरीब, असहाय और जरूरतमंद लोगों की मदद को भी खाकी आगे दिख रही है। बड़ी बात तो यह है कि जहां लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए दूरी बना रहे हैं, पुलिस कोरोना संक्रमित मिलने पर उसके घर तक जा रही है। इस वैश्विक महामारी और आफत के दौर में हर ओर खाकी के कार्यो की सराहना हो रही है। वहीं आमजन उनके जज्बे को सलाम और धैर्य को प्रणाम कहते दिख रहे हैं।
कोरोना के चक्कर में थाने में कोल्ड वार
जहां जाएंगे चर्चा में कोरोना ही पाएंगे। वैश्विक महामारी बन चुका कोरोना रूपी वायरस अब झगड़ों की वजह भी बनने लगा है। शहर के सेना वाले क्षेत्र के थाने में कोरोना के चलते कोल्ड वार चल रहा है। थाने के सबसे बड़े साहब को कोरोना फोबिया है। उन्होंने साथियों से कमरे खाली करा दिए। परिवार कोरोना से बचाने के फिक्रमंद साहब ने कमरे में रहने वाले एक दारोगा का सामान बाहर फेंक दिया। कह दिया कि अब वहां कोई नहीं रहेगा। अब थाने के साहब हैं तो कोई भला सामने कोई कैसे कहे, लेकिन पीठ पीछे सब नाराजगी जता रहे हैं। दारोगा जी से ही नहीं बड़े साहब से थाने के ज्यादातर स्टाफ की बोलचाल बंद है। साहब आदेश देते हैं तो लोग अनसुना कर देते हैं। कई बार कहने पर साहब का काम हो रहा है। साहब का यह कारनामा जब सामने आया तो वह मान मनौव्वल करने लगे।
दर्द में हम आगे, तुम पीछे
कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन हुआ तो लोगों के सामने खाने का संकट हो गया। ऐसे में सबसे पहले पुलिस ही आगे आई। स्वयं ही सड़क पर रह रहे लोगों, स्टेशन पर ठहरे यात्रियों की भोजन की व्यवस्था की गई। धीरे धीरे इस पर अन्य लोगों ने भी ध्यान देना शुरू किया। पुलिस के साथ सामाजिक संगठनों ने भी सहयोग करना शुरू कर दिया। फेसबुक, ट्विटर समेत अन्य सोशल साइट्स पर पुलिस ही मदद करती दिख रही थी। शासन तक पहुंच रही सूचनाओं में भी पुलिस ही आगे थी। ऐसे में प्रशासनिक अमला भी अलर्ट हुआ। पुलिस अधिकारियों से संपर्क कर प्रशासन ने कुछ न माने जाने वाले प्रयास भी किए। लोगों की मदद के लिए होटल मालिकों, व्यापारियों के साथ हुई मीटिंगों में भी कुछ अनबन सी नजर आई। शुक्रवार तक मदद के लिए श्रेय लेने की होड़ बनी रही। हालांकि बाद में सब सेट हो गया।
साहब उन्हें छुट्टी दे दो..
मालूम तो होगा ही कि आपदा कोई भी आए सबसे पहले छुट्टी पुलिस विभाग की बंद कर दी जाती है। जिम्मेदारी भी पुलिस पर ही सबसे ज्यादा होती है। आम आदमी की सुरक्षा की, राहत सामग्री पहुंचाने की, उनका ख्याल रखने की जिम्मेदारी भी उन पर। इन दिनों भी पुलिस कर्मियों की छुट्टियां रद कर दी गईं। सोच रहे होंगे कि इतनी बातें क्यों की। दरअसल घुमक्कड़ घूमते हुए एसएसपी कार्यालय पहुंचा था। वहां जो बातचीत चल रही थी वह कोरोना से ही जुड़ी थी। कार्यालय में तैनात एक कर्मचारी के बच्चे को खांसी, जुकाम और बुखार था। उसे छुट्टी की चिंता नहीं थी, न ही उसने छुट्टी मांगी थी, लेकिन साथी कर्मचारी काफी परेशान थे। दरअसल बच्चे की बीमारी के लक्षण कोरोना से मिलते जुलते थे। इसके चलते पहुंच गए साहब के पास, बोले साहब उन्हें छुट्टी दे दो। इस पर साहब गुस्साए और बोले, चलो जाओ काम करो।