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SadaNeera Abhiyaan : शाहजहांपुर से उदगम स्‍थल की ओर रवाना हुई भद्रशीला की अध्‍ययन यात्रा

सोमवार को भद्रशीला की अध्ययन यात्रा गुलौलाखेड़ा से उद्गम दिशा के लिए रवाना हुई। यात्रा के दौरान रुद्रपुर हरिउरा तथा गोपालपुर के प्राचीन शिव मंदि‍र में जलाभ‍िषेक क‍िया गया।

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 06:26 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 06:26 PM (IST)
SadaNeera Abhiyaan : शाहजहांपुर से उदगम स्‍थल की ओर रवाना हुई भद्रशीला की अध्‍ययन यात्रा
SadaNeera Abhiyaan : शाहजहांपुर से उदगम स्‍थल की ओर रवाना हुई भद्रशीला की अध्‍ययन यात्रा

शाहजहांपुर, जेएनएन। सावन के चौथे सोमवार को भद्रशीला की अध्ययन यात्रा गुलौलाखेड़ा से उद्गम दिशा के लिए रवाना हुई। करीब दस किमी की यात्रा के दौरान भगीरथों ने रुद्रपुर, हरिउरा तथा गोपालपुर के प्राचीन शिव मंदिर में जलाभिषेक किया। ग्रामीणों को नदी को सदानीरा बनाने जाने अभियान से जोड़ा।

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लोक भारती के नदी प्रांत प्रमुख डा. विजय पाठक, क्षेत्रीय संगठन मंत्री संजय उपाध्याय तथा अध्ययन यात्रा के नायक अखिलेश पाठक टीम के साथ गुलौला खेड़ा पहुंचे। यहां प्राचीन कुएं से जलभर पैदल यात्रा शुर कर दी। ऊं नम: शिवाय, भद्रशीला के जयघोष करते हुए सबसे पहले रुद्रपुर पहुंचे।

शिव मंदिर में जलाभिषेक के बाद दूसरा पड़ाव हरिउरा गांव था। यहां भगीरथों के साथ ही ग्रामीण यात्रा में शामिल हो गए। गोपालपुर ठठिउरा गांव पहुंचने पर शिव मंदिर में जलााभिषेक किया। अध्ययन यात्रा में सुरेंद्र स‍िंंह गांधी, राकेश सक्सेना, हरिउरा के परमाल स‍िंंह, लालू सिकंदरपुर, रिषी द्विवेदी गोपालपुर, रामवीर मौर्य, बलराम स‍िंंह आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।

द्रशीला की पहचान है कुआं, बरगद और शिव मंदिर

दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद भद्रशीला को सदानीरा बनाने के संकल्प के उतरे भगीरभ अभी तक 160 किमी की यात्रा कर चुके हैं। सावन के पहले सोमवार से प्रति सप्ताह पैदल यात्रा जारी है। इस दौरान भद्रशीला के समीपवर्ती गांवों में प्राचीन बरगद, शिव मंदिर तथा कुओं की श्रृंखला मिली है। जो भद्रशीला की पहचान है। नदी किनारे तमाम दुर्लभ प्रजाति के पेड़ भी मिले हैं।

नदी किनारे कुओं की श्रृंखला है। गोपालपुर में एक कुआं आज भी जीवित है। पानी भी पीने लायक है। सभी कुओं की सफाई होनी चाहिए। रामवीर मौर्य

भद्रशीला अध्ययन यात्रा शुरु होने के बाद क्षेत्र में उत्साह है। लोग सूखी नदी को सदानीरा बनने को उत्साहित है। सहयोग के लिए भी तैयार है। रिषी पाल द्विवेदी

भूगर्भ जलस्तर वृद्धि के लिए कुओं की सफाई, नदियों का संरक्षण जरूरी है। ग्रामीण सहयोग के लिए तैयार है। प्रशासन को आगे आना चाहिए। बलराम स‍िंंह

गांव के किनारे नदी और जंगल है। बरगद, पीपल के प्राचीन पेड़ है। नदी को स्वच्छ व सदानीरा बनाने के प्रयास होने चाहिए। बादशाह स‍िंंह, पूर्व प्रधान

 


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