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    Road Safety News : जरा संभलकर, मस्ती भरी तेज रफ्तार का सफर मंजिल पर नहीं श्मशान ले जाता है

    By Jagran NewsEdited By: Ravi Mishra
    Updated: Sun, 20 Nov 2022 05:46 PM (IST)

    Road Safety News जरा संभलकर चलिए। मस्ती भरी तेज रफ्तार का सफर आपको मंजिल पर नहीं पहुंचाता बल्कि सीधे श्मशान ले जाता है। जिंदगी के लिए वाहनों की रफ्तार पर नियंत्रण रखना होगा। इसके साथ ही सीट बेल्ट का भी ख्याल रखनाा हाेगा।

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    Road Safety News : जरा संभलकर, मस्ती भरी तेज रफ्तार का सफर मंजिल पर नहीं श्मशान ले जाता है

    बरेली, जागरण संवाददाता। Road Safety News : जिंदगी अनमोल है। यह शब्द ही नहीं बल्कि आत्मसात करने वाला एक सच भी है। बावजूद इसके लोग खुद की जिंदगी ही दांव पर लगा बैठते हैं। कभी गंतव्य तक जल्दी पहुंचने तो कभी मौज-मस्ती के लिए वाहनों की रफ्तार बढ़ा देते हैं। ऐसा सफर उन्हें मंजिल पर नहीं श्मशान पर ले जाता है।

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    जिले के आंकड़े बताते हैं कि बीते छह वर्ष में ओवर स्पीड (Over Speed) वाहन, नशे और सीट बेल्ट (Seat Belt) उपयोग नहीं करने पर 2643 लोग काल के गाल में समा गए। यह हादसे महज आंकड़े नहीं बल्कि जिम्मेदारों के लापरवाही की कहानी बयां कर रहे हैं। जागरण ने सड़क सुरक्षा समीक्षा के तहत जब शहरी, राज्य व राष्ट्रीय राजमार्ग पर 311 किलोमीटर तक की यात्रा की तो अधिकतर स्थान पर अव्यवस्थाएं हावी मिली।

    शहरी क्षेत्र में पांच स्थानों पर (आटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर) हाइटेक कैमरे से ओवर स्पीड (तेज गति) से चलने वाले वाहनों पर कार्रवाई करते मिले। राज्य व राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने वाले सड़क पर कोई भी नजर रखने वाला नहीं है। हाईवे व राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक भी इंटरसेप्टर वाहन नहीं होने से वाहन सवार निर्धारित गति से तेज चल रहे हैं।

    शहर में चलने के लिए अधिकतम रफ्तार 50 किलोमीटर प्रतिघंटा, हाईवे पर 80 किलोमीटर प्रतिघंटा और राष्ट्रीय राजमार्ग पर अधिकतम 100 किलोमीटर प्रतिघंटा तय की गई है। दैनिक जागरण की टीम ने किला से फतेहगंज पश्चिमी, सेटेलाइट से रिठौरा बरेली बार्डर, सेटेलाइट से फरीदपुर फतेहगंज पूर्वी, चौपुला से बदायूं रोड देवचरा तक की पड़ताल में एक भी स्थान पर तेज रफ्तार से चलने वाले वाहनों के चालान की व्यवस्था नहीं दिखी, न ही कोई यातायात व परिवहन विभाग को कोई दस्ता नजर आया।

    सड़क पर चलने वाली अधिकतम तय सीमा

    शहरी क्षेत्र - 50 किलोमीटर प्रतिघंटा

    हाइवे - 80 किलोमीटर प्रतिघंटा

    राष्ट्रीय राजमार्ग : 100 किलोमीटर प्रतिघंटा

    311 किमी. में नहीं मिला स्पीड लिमिट संकेतक

    सड़क पर सुगम यात्रा के लिए स्पीड लिमिट संकेतक लगा होना चाहिए लेकिन जागरण टीम के शहरी, राज्य व राष्ट्रीय राजमार्ग की समीक्षा में एक भी स्थान पर स्पीड लिमिट संकेतक नहीं मिला। इससे वाहन सवार मनमाने ढंग से वाहन चलाने के साथ शराब का सेवन बेधकड़ करते हैं। वहीं सीट बेल्ट भी लगाना जरूरी नहीं समझते। ओवर स्पीड की वजह से इस वर्ष 847 से अधिक हादसे हो चुके हैं।

    महज एक इंटरसेप्टर से दो मंडल की सड़कों पर नजर

    हाईवे व राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्धारित गति मानक, उनके अनुपालन की व्यवस्था और कार्रवाई के लिए परिवहन विभाग के पास महज एक इंटरसेप्टर वाहन है। जो बरेली में 15 व मुरादाबाद में 15 दिन तक रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार इंटरसेप्टर वाहन सड़क पर दुर्घटना बाहुल्य रहते हैं, लेकिन इनके नहीं होने से वाहन चालक मनमाने ढंग से रफ्तार भर रहे हैं।

    50 किमी. के ऊपर जाने पर इन स्थानों पर कट रहा चालान

    इज्जतनगर से नैनीताल रोड

    झुमका चौराहा रोड

    डेलापीर से पीलीभीत रोड

    पीलीभीत से फीनिक्स माल तक

    इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी रोड

    विशेषज्ञ की राय

    सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ दिनेश कुमार अरोरा ने बताया कि सड़क पर ओवर स्पीड की वजह से अधिक ईंधन की खपत बढ़ने के साथ, वायु प्रदूषण और दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही टायर के गर्म होकर फटने की भी आशंका बढ़ जाती है। सीट बेल्ट का लगाने से हादसे के दौरान एयरबैग भी खुल जाता है।

    इससे वाहन सवार के बचने के अवसर बढ़ जाते हैं। शराब या अन्य नशे में वाहन चलाने से चालक वाहन से नियंत्रण खो देता है। इससे हादसे की आशंका बढ़ जाती है। सड़क पर जगह-जगह स्पीड लिमिट संकेतक लगे होने से वाहन सवार को यात्रा में काफी सहूलियत मिलती है।

    बीते छह वर्ष में हुए सड़क हादसे

    वर्ष कुल दुर्घटना घायल मौत

    2017 1121 914 467

    2018 1150 907 484

    2019 1093 696 536

    2020 680 425 346

    2021 936 757 421

    2022 848 747 389

    यातायात पुलिस व परिवहन विभाग द्वारा किए गए चालान

    ओवरस्पीड - 8799

    सीट बेल्ट - 5285

    नशे में - 161

    सड़क के हाल

    दुर्घटना बहुल क्षेत्र--- 15

    रोड पर शराब की दुकानें---12

    खतरनाक मोड़ कितने--- 11

    गड्ढे कितने---- 271 से अधिक

    रोड पर एम्बुलेंस कितनी मिली- 01

    अवैध कट की संख्या---100

    कितनी जगह सूचना बोर्ड ठीक नहीं--- 52

    रांग साइड ड्राइविंग वाले स्पाट-14

    एक इंटरसेप्टर वाहन हमें 15 दिन के लिए मिलती है इससे तेज रफ्तार वाहनों पर नजर रखी जाती है। हादसों पर नियंत्रण के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है। दिनेश कुमार सिंह, आरटीओ प्रवर्तन, बरेली

    शहर में पांच स्थानों पर हाइटेक कैमरे के जरिए ओवरस्पीड वाहनों के चालान काटे जा रहे हैं। दुर्घटना बाहुल्य व प्रमुख चौराहों पर यातायात पुलिस के सिपाहियों की तैनाती की जाती है। सड़क दुर्घटना को नियंत्रित करने के लिए पीडब्लयूडी व एनएचएआइ को संकेतक लगाने व अन्य आवश्यक पहलुओं पर काम करने के सामंजस्य स्थापित किया जाता है। राम मोहन सिंह, एसपी ट्रैफिक