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New Education Policy: बस्ते के बोझ से राहत, मिलेगी रोजगार परक शिक्षा

नई शिक्षा नीति को शिक्षाविदों ने छात्र-छात्राओं के लिए भविष्य का बेहतर निर्णय बताया है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 06:56 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 06:56 PM (IST)
New Education Policy: बस्ते के बोझ से राहत, मिलेगी रोजगार परक शिक्षा
New Education Policy: बस्ते के बोझ से राहत, मिलेगी रोजगार परक शिक्षा

बरेली, जेएनएन : अक्सर आपने बच्चों को भारी भरकम बस्ता उठाकर स्कूल जाते देखा होगा। लेकिन अब यह बोझ कम हो जाएगा। वहीं, कक्षा से ही बच्चों को रोजगारपरक शिक्षा दी जाएगी, ताकि आगे चलकर उन्हें आसानी से रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें। नई शिक्षा नीति में इसका भी प्राविधान किया गया है। शिक्षाविदों ने इसे छात्र-छात्राओं के लिए भविष्य का बेहतर निर्णय बताया है। दैनिक जागरण से बातचीत में शहर के कई प्रमुख शिक्षाविदों ने नई शिक्षा नीति पर अपने विचार साझा किए।

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बच्चों को सिखाने पर रहेगा जोर

मैं पिछले 62 साल से लगातार शिक्षण कार्य में लगा हूं। तब से देखता आ रहा हूं कि वही पुराना पाठ्यक्रम, पढऩे-पढ़ाने और परीक्षा लेने के तरीके सब पुराने थे। नई शिक्षा नीति से व्यापक बदलाव आएगा। यह जरूरी भी है। नीति की खास बाद बच्चों के बस्ते का बोझ कम करना, उम्र के हिसाब से उनका दाखिला स्कूल में होना और कक्षा छह से वोकेशनल एजुकेशन की पढ़ाई कराया जाना प्रमुख है। अभी स्कूल में दो साल के बच्चे का भी दाखिला ले लेते हैं। अब तीन साल तय किए गए हैं। छोटे-छोटे बच्चे भारी भरकम बस्ता उठाते हैं। नई नीति में ऐसा नहीं रहेगा। मात्र भाषा में पढ़ेंगे तो किताबें भी कम होंगी। रटने की जगह लर्निंग बेस एजुकेशन होगी। 9वीं क्लास से बच्चा अपने मनपसंद विषय पढ़ सकेगा। रोजगार परक शिक्षा से बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे। ओवरऑल शिक्षा नीति अच्छी है।

डॉ. आरके शर्मा, शिक्षाविद्, पूर्व प्राचार्य बरेली कॉलेज

ट्रेंड टीचर पढ़ाएंगे तो मिलेगी अच्छी शिक्षा

नई शिक्षा नीति की बहुत जरूरत थी। सबसे अच्छी बात एंट्री और एग्जिट प्वाइंट है। जिससे छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ता भी है तो उसका साल नहीं बर्बाद होगा। एक साल में सर्टिफिकेट, दो साल में डिप्लोमा और तीन साल में डिग्री मिल जाएगी। जिसे रिसर्च करना है वो चार साल का कोर्स पढ़ेंगे। शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ट्रेङ्क्षनग बोर्ड होगा। इंटीग्रेटेड बीएड भी चार साल का होगा, जिससे अच्छे शिक्षक स्कूलों में पढ़ाने के लिए मिलेंगे। नई नीति बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अच्छी है।

प्रो. एसके पांडेय, डीन, फैकल्टी ऑफ इंजीनियङ्क्षरग एवं टेक्नोलॉजी, रुविवि

रिसर्च पर रहेगा फोकस

नई शिक्ष नीति में शोध को बढ़ावा और गुणवत्ता में सुधार के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना होगी। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध को बेहतर करना है। बोर्ड परीक्षा का जो भय छात्रों में होता था, वह भी कम किया है। हालांकि इसमें 9वीं से 12वीं तक का सिलेबस देश भर में एक समान करने का प्राविधान करना चाहिए था ताकि बच्चों के साथ दाखिले में कहीं भेदभाव न हो सके। इसके अलावा यूजीसी, एआइसीटीई और एनसीटीई तीनों को भंग कर एक नई हायर एजुकेशन फंङ्क्षडग एजेंसी बनाया जाना सही नहीं है।

डॉ. आलोक खरे, विभागाध्यक्ष, बॉटनी, बरेली कॉलेज।


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