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एनडी तिवारी के नाम से सदा जुड़ा रहेगा यूपी और यूके राज्यों का रिश्ता

वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी अब नहीं रहे लेकिन उनके नाम से दो राज्यों का रिश्ता सदा जुड़ा रहेगा।

By Edited By: Published: Fri, 19 Oct 2018 08:26 AM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2018 02:45 PM (IST)
एनडी तिवारी के नाम से सदा जुड़ा रहेगा यूपी और यूके राज्यों का रिश्ता
एनडी तिवारी के नाम से सदा जुड़ा रहेगा यूपी और यूके राज्यों का रिश्ता

बरेली(जेएनएन)। सियासी भूमि पर लंबी पारी खेलने वाले सरल व मृदुभाषी वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी अब नहीं रहे लेकिन उनके नाम से दो राज्यों का रिश्ता सदा जुड़ा रहेगा। तीन साल पहले उनके जन्मदिन के मौके पर उप्र. के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बरेली-बागेश्वर मार्ग का नाम एनडी तिवारी रखकर उन्हें अनमोल तोहफा दिया था। उसी साल अपने जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले वह शहर आखिरी बार आए थे।

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तीन साल पहले हल्द्वानी में मनाया था जन्मदिन

पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के 90वें जन्मदिन के मौके पर 18 अक्टूबर 2015 को हल्द्वानी में भव्य कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी पहुंचे थे। मुख्यमंत्री ने 540 करोड़ रुपये की लागत से बने बरेली-बागेश्वर राष्ट्रीय राजमार्ग का नाम बदलकर एनडी तिवारी के नाम पर रखने की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को आपसी बातचीत से सुलझाने की बात भी कही थी। पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी अपने जन्मदिन में नायाब तोहफा पाकर अभिभूत हुए थे।

सर्किट हाउस में आखिरी बार आए थे पूर्व मुख्यमंत्री

तीन साल पहले अपने जन्मदिन से दो दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी सर्किट हाउस पहुंचे थे। उस वक्त उनके साथ पत्नी उज्जवला शर्मा और बेटा रोहित शेखर तिवारी भी थे। सर्किट हाउस में उनके आने पर पुराने कांग्रेसियों का जमावड़ा लग गया। उस वक्त वह ठीक से चल-फिर नहीं पा रहे थे। रोहित उन्हें सबके बारे में बता रहे थे। शहर में आकर पुराने लोगों से मिलकर वह काफी खुश थे।

गाड़ी पर टेक लगाकर देखा था नेहरू युवा केंद्र

एनडी तिवारी नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। तीन साल पहले अपने जन्मदिन से पहले जब वह शहर आए थे तो उसी दौरान यहां नेहरू युवा केंद्र को देखने भी पहुंचे थे। वहां अंदर ही गाड़ी से पहुंचे। बुजुर्ग व कमजोर होने के कारण अधिक चलने की क्षमता नहीं थी उनमें। गाड़ी से उतरकर ठीक से खड़े होने के लिए उन्होंने बेटे रोहित का सहारा लिया और गाड़ी पर टेक लगा ली थी। इसके बाद उन्होंने वही से खड़े होकर नेहरू युवा केंद्र को देखा। कांग्रेसियों ने उन्हें वहां के बारे में बताया। कुछ देर रुकने के बाद वह वापस सर्किट हाउस चले गए।


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